बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा
प्रश्न- संस्कृति का मूल्यों पर प्रभाव का वर्णन कीजिए।
अथवा
मूल्यों के विकास में संस्कृति की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
संस्कृति का मूल्य पद्धति शिक्षा पर प्रभाव- संस्कृति मूल्य शिक्षा को निम्न प्रकार से प्रभावित करती है -
(1) संस्कृति मानव के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक होती है- संस्कृति से विचार व व्यवहार दोनों के क्रियाशील सम्मिलित होते हैं। जिनके प्रति व्यक्ति के विभिन्न पक्ष जागरूक होते हैं और यह जागरूकता व्यक्ति को एक सुलझा हुआ व्यक्तित्व प्रदान करती है, जिसके फलस्वरूप उसका व्यक्तित्व सुदृढ़ एवं संगठित रूप में उभरकर हमारे समाज प्रकट होता है।
(2) संस्कृति मूल्यों का बालकों पर प्रभाव- बालक भी समाज का एक अंग होता है तथा वह जब विद्यालय में प्रवेश करता है तो वह संस्कृति जानता है, जो उसके परिवार विशेष से सम्बंधित होती है। अध्यापक व विद्यालय उसे समाज की संस्कृति के अनुरूप ढालने के प्रयास करते हैं।
(3) संस्कृति मूल्यों का अनुशासन पर प्रभाव- सांस्कृतिक मूल्यों का अनुशासन पर भी प्रभाव पड़ता है। जिस समाज में अनियमित तत्व होगा, वहां दमनात्मक अनुशासन होगा, जहां प्रजातंत्र होगा, वहां स्वतः अनुशासन होगा।
(4) सांस्कृतिक मूल्य मनुष्य का सामाजिक वातावरण से सामायोजन करती है- प्रत्येक समाज की आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक परिस्थितियां भिन्न-भिन्न होती हैं एवं इसके साथ ही प्रत्येक व्यक्ति के यह अपेक्षा की जाती है कि समाज की विभिन्न परिस्थितियों से स्वयं को अनुकूल बनाए। संस्कृति व्यक्ति को इतना सुग्राह्य बनाती है कि व्यक्ति स्वयं को सामाजिक पर्यावरण में अनुकूल ढालता है।
(5) सांस्कृतिक मूल्य का मनुष्य का प्राकृतिक वातावरण से सामायोजन करती है- मनुष्य का रहन-सहन उसकी भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप होता है। विशेष मनुष्य वहीं होते हैं जो इन भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को ढाल सके। उदाहरण देश के वह प्रदेश हैं जहां वर्षभर में साल में गर्मी पड़ती है जबकि कुछ प्रदेश ऐसे हैं जहां अत्यधिक सर्दी पड़ती है। व्यक्ति को अपना जीवन-यापन उस वातावरण के अनुरूप करना चाहिए जिसमें वह रहता है।
(6) सांस्कृतिक मूल्यों का शिक्षा के उद्देश्यों पर प्रभाव- प्रत्येक समाज में शिक्षा के कुछ उद्देश्य शाश्वत होते हैं एवं कुछ सामाजिक। यह दोनों ही उद्देश्य संस्कृति के आदर्शों, मूल्यों व प्रतिमानों से प्रभावित होते हैं, उदाहरणतः भारतीय संस्कृति के कुछ शाश्वत मूल्य हैं, जैसे - आध्यात्मिकता, मानव सेवा, परोपकार आदि। शिक्षा में इन्हें ही स्थान दिया गया है। ये कुछ मूल्य विभिन्न समाजों में समान रूप से माने जाते हैं। शिक्षा में इन्हें सामाजिक मूल्यों की संज्ञा दी गई है, जो समाज के अनुरूप बदलते रहते हैं।
(7) सांस्कृतिक मूल्यों का शिक्षण पद्धतियों पर प्रभाव- प्राचीन संस्कृति में गुरु महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। इस कारण शिक्षण पद्धति अध्यापक केंद्रित थी या उनके अनुकूल अध्यापक को शिक्षण प्रदान किया जाता था। आधुनिक मानववादियों में यह शिक्षण पद्धति परिवर्तित हो गई है। अतः शिक्षण पद्धति बनाते समय सामाजिक आवश्यकताओं, इच्छाओं, योग्यताओं, क्षमताओं व अनुरूपता के अनुरूप बनानी पड़ती है।
(8) सांस्कृतिक मूल्यों का पाठ्य-पुस्तकों पर प्रभाव- सांस्कृतिक मूल्यों का संस्कृति पर प्रभाव पड़ता है। सांस्कृति के अनुकूल पाठ्य-पुस्तकें लिखी जाती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर हम उसी पाठ्य-पुस्तक को स्वीकारते हैं जो सांस्कृतिक मूल्यों एवं आदर्शों को प्रकट करने में सहायक होती हैं।
(9) सांस्कृतिक मूल्यों का पाठ्यक्रम पर प्रभाव- पाठ्यक्रम के निर्धारण करने में शिक्षा के उद्देश्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उद्देश्य निर्धारित किए जाने पर ही अनुकूल पाठ्यक्रम बनाया जाता है। यह उद्देश्य सांस्कृतिक तत्वों पर आधारित होते हैं तो पाठ्यक्रम निश्चित सांस्कृतिक अनुरूप होता है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि शिक्षा में पाठ्यक्रम के द्वारा समाज की आवश्यकताओं एवं मूल्यों को प्राप्त किया जाता है।
(10) सांस्कृतिक मूल्यों का अध्यापक पर प्रभाव- शिक्षक समाज का एक सदस्य होता है व उसमें वे विभिन्न सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्यों का प्रभाव एक अचूक अंग बनाकर पढ़ाया जाता है। शिक्षक का मूल्य एवं आचार, विचार, व्यवहार, सामाजिक विरासत व मूल्यों को प्रभावित करते हैं। चूंकि ऐसी ही शिक्षक सही दिशा दिखा सकता है, जो शिक्षक संस्कृति को अध्ययन कर सके, वह बालक का सांस्कृतिक विकास कभी नहीं कर सकेगा।
(11) सांस्कृतिक मूल्यों का विद्यालय पर प्रभाव- विद्यालय की सभी गतिविधियां एवं विकास सांस्कृतिक आदर्शों व मान्यताओं पर आधारित होते हैं। यही कारण विद्यालय संस्कृति को विकसित करने में सहायक होते हैं। विभिन्न सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित विद्यालय उसी संस्कृति का प्रसार व प्रचार करते हैं, जिस पर वह आधारित है।
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