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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2701
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

प्रश्न- संस्कृति एवं शैक्षिक मूल्य पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-

संस्कृति एवं शैक्षिक मूल्य- मूल्य का शाब्दिक अर्थ है - कीमत, महत्व, उपयोगिता, उपयोगिता एवं श्रद्धा। मनुष्य वस्त्र की दृष्टिकोण पर आधारित होता है। यदि किसी व्यक्ति को कोई वस्त्र बहुत उपयोगी लगती है, तो उस वस्त्र में उस व्यक्ति की रुचि है तो वह उसके लिए मूल्यवान है। यदि किसी के वह वस्त्र अच्छे नहीं लगते तो वह वस्त्र उसके लिए मूल्यवान नहीं है।

इसी प्रकार शिक्षा प्रणाली में भी विभिन्न तत्वों में कुछ न कुछ मूल्य होते हैं, जिनमें निश्चित अनुसरण पालन के नियम और क्रियाएं इसलिए की जाती हैं, ताकि इनके उपयोगिता होती है। बालक की शिक्षा में निहित कुछ मूल्य होते हैं। शिक्षा क्रियाओं जिनमें निम्नलिखित उपयोगिता की दृष्टि से जिनका कोई न कोई महत्व है वे शैक्षिक मूल्य ही होते हैं। तथापि शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार तो शिक्षा के उद्देश्यों से शैक्षिक मूल्य होते हैं। इसी सम्बन्ध में बुकनेक का कथन इस प्रकार है -

"शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित करना शैक्षिक मूल्यों को निर्धारित करना है।"

बुकनेक के अनुसार शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति का गुण एवं उपयोगिता को प्राप्त करना होता है। शैक्षिक मूल्य शिक्षा के उन तत्वों, उपयोगिता एवं शिक्षण से आत्मसाक्षात्कार तथा बौद्धिक विकास के लिए अध्ययन करने में लगे रहने की प्रेरणा देते हैं। शैक्षिक मूल्यों की उपयोगिता एवं उसके प्रति सम्मान भावना व्यक्ति की रुचि पर निर्भर है। इसलिए कुछ विचारक शैक्षिक मूल्यों को आत्मनिष्ठ भी मानते हैं। शिक्षा के पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि आदि से उत्पन्न सम्मान व्यक्ति विशेष के दृष्टिकोण पर अवलंबित है। जो व्यक्ति इन्हें जितना उत्तम दृष्टि से देखता है, इसके लिए वे उतनी ही मूल्यवान हैं। इसी आधार पर शैक्षिक मूल्यों को आत्मनिष्ठ कहा जाता है। इसके विपरीत कुछ विद्वान शिक्षण, मूल्यों को वस्तुनिष्ठ मानते हैं। उनका तर्क है कि किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति कोई अभिरुचि माने या ना माने, उसमें यदि कोई विशेष गुण विद्यमान है तो वह उसमें है ही। वे वस्तु मूल्यवान हैं। यदि कोई व्यक्ति उसे नहीं मानता तो भी वह मूल्यवान ही रहेगा। यदि व्यक्ति का उसके प्रति दृष्टिकोण उस वस्तु के गुणों के प्रति अग्रसर होगा तो वह भी उसका मूल्यांकन करने लगेगा। इस दृष्टि से शैक्षिक मूल्यों के लिए बाह्य वातावरण तथा व्यावहारिक पक्ष का महत्व होता है।

मूल्यों के प्रकार - बुकनेक के अनुसार सांस्कृतिक एवं शैक्षिक मूल्यों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से है -

शैक्षिक मूल्य
तात्कालिक मूल्य इच्छित अथवा मध्यम मूल्य
साधन मूल्य साध्य या आन्तरिक मूल्य

तात्कालिक मूल्य - जो मूल्य हमारी इच्छाओं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, उन्हें तात्कालिक मूल्य कहते हैं। ये मूल्य केवल उन्हीं वस्तुओं से प्राप्त होते हैं जिससे हमारे संबंध होते हैं। इन मूल्यों की प्राप्ति की तात्पर्य इच्छाओं की वृद्धि या संतुष्टि होती है। उदाहरण के तौर पर एक खिलाड़ी व्यक्ति की प्रतिभा खेलने के देखने से ही होगी। इस प्रकार चित्रकला के प्रति रुचि रखने वाला छात्र चित्र प्रदर्शनी में, चित्र बनाना तथा उसमें रंग भरने को तात्कालिक मूल्य की संज्ञा देता है, इसीलिए उन्हें तात्कालिक मूल्य कहा जाता है।

इच्छित अथवा मध्यम मूल्य - व्यक्ति की या बालक की इच्छाएं अनेक होती हैं। विद्यालय में भी अनेक क्रियाएं होती हैं, विभिन्न पाठ्यक्रम होते हैं, अनिवार्य तथा ऐच्छिक विषय भी अनेक होते हैं। बालक इन सभी को ग्रहण नहीं कर सकता है। इन क्रियाओं में से वह महत्वपूर्ण विषयों को ही चुनते हैं। छोटे हुए पाठ्य को ग्रहण करते हैं। ऐसे प्रकार चयन विषय अथवा क्रियाएं ही उसकी उन्नति, अधिक उपयोगी या कम उपयोगी विषयों का चयन हृदय व बुद्धि से करना पड़ता है। हित, अनहित, उचित, अनुचित, अधिक उपयोगी या अनुपयोगी विषयों का चयन हृदय एवं बुद्धि से समन्वित मूल्यों को कहते हैं। इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए किसी कार्य या विषय को मध्यम बनाने के कारण इसे मध्यम मूल्य कहा जाता है।

(1) साधन मूल्य - जिन मूल्यों से कोई हित या कार्य सिद्ध होते हैं, वे साधन मूल्य कहे जाते हैं। किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए या किसी इच्छा को पूर्ण करने के लिए इन मूल्यों का उपयोग साधन रूप में होता है। जैसे छात्र शिक्षकों बनने की इच्छा रखता है तो बी.एड. कक्षा को उत्तीर्ण करना उसके लिए साधन मूल्य है। इसी प्रकार इंजीनियर के लिए गणित एवं विज्ञान का, एक डॉक्टर के लिए विज्ञान एवं जीव विज्ञान का, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के लिए वाणिज्य का अध्ययन साधन मूल्य में समझा जाएगा। साधन मूल्यों का उपयोग केवल उसी के लिए होता है जिससे उससे सम्बन्ध होता है। ये मूल्य आत्मनिष्ठ होते हैं, एवं व्यक्ति काल परिस्थितियों के अनुसार बदलते रहते हैं।

(2) साध्य मूल्य - जो किसी वस्तु पर आधारित होते हैं, वे साक्ष्य में पूर्ण होते हैं। साध्य मूल्य नैतिक कहे जाते हैं। साध्य मूल्य अमूल्य होते हैं। साध्य में ज्ञान प्राप्त हो। काव्य के लिए कविता लिखना, संगीत के लिए गाना साध्य मूल्य है। इसी तरह ज्ञान प्राप्ति, आध्यात्मिक जागृति के लिए साध्य मूल्य कहलाते हैं।

(3) सौंदर्यात्मक मूल्य - ऐसे मूल्य जिसमें सामूहिक हित, उन्हें सौंदर्यात्मक मूल्य कहा जाता है। इन मूल्यों का प्राप्ति हेतु सच्चरित्र भावना आवश्यक होती है, जिससे यह हमारे हृदय को अनुभूति का लगाव देता है, आदर्श जिनमें हमारे सम्पूर्ण मानव जीवन में अधिक होते हैं। वास्तव में वे सौंदर्यात्मक मूल्यों से युक्त होती है। किसी काव्यगत दृश्य से सम्बद्ध कविता को सुनकर हम दया विह्वल हो उठते हैं। मधुरतम गीतों को सुनकर हम भावनाओं में बह जाते हैं, इसी प्रकार किसी सुंदर चित्र को देखकर भावनाओं में अवगाहन में मग्न हो जाते हैं। ललित कलाओं (चित्रकला, मूर्तिकला, कला, संगीतकला एवं काव्यकला) में निश्चित रूप से सौंदर्यात्मक मूल्य होते हैं। किंतु यदि कोई व्यक्ति गणित के प्रश्नों को हल करने में रुचि लेता है। सामूहिक करता है। वह गणित को विषय भी उसके लिए सौंदर्यात्मक मूल्य वाला ही होगा। इतना आवश्यक है कि सौंदर्यात्मक मूल्यों की प्राप्ति के लिए प्रेरणा आवश्यक है। प्रेरणा जीवों की भावनात्मक या मानसिक अनुभूति का होना आवश्यक है।

आज्ञापन के अनुसार सांस्कृतिक एवं शैक्षिक मूल्य - आज्ञापन ने मूल प्रवृत्तियों के आधार पर निम्नलिखित मूल्यों को बताया है -

मूल प्रवृत्तियांमूल्य
क्षुधा एवं प्यास शारीरिक मूल्य
साहस एवं अभिव्यक्ति आर्थिक मूल्य
सामूहिकता सामाजिक मूल्य
सहअनुभूति, आत्म प्रकाशन चारित्रिक मूल्य
जिज्ञासा बौद्धिक मूल्य
क्रीड़ा सौंदर्यात्मक मूल्य
धार्मिकता धार्मिक मूल्य
क्रीड़ा-प्रवृत्ति मनोरंजनात्मक मूल्य

आज्ञापन द्वारा निर्दिष्ट शैक्षिक मूल्यों को शिक्षा प्रक्रिया में स्थान देना अत्यंत आवश्यक है। मूल प्रवृत्तियों को रोका नहीं जा सकता। अपितु उन्हें उभार कर शिक्षा प्रक्रिया में इनका उचित लाभ उठाया जा सकता है।

संस्कृति एवं शैक्षिक मूल्यों के कार्य - शैक्षिक मूल्यों के कार्य शिक्षा प्रक्रिया में सहायता करने के लिए ही होते हैं। इसके कार्य निम्नवत हैं -

(1) विद्यालय के वातावरण को उपयोगी बनाने में सुझाव प्रदान करता।
(2) बालक के व्यक्तित्व अध्ययन करने में शिक्षकों की सहायता करता।
(3) विद्यार्थियों को आत्म निरीक्षण का अवसर देना।
(4) शिक्षकों के उद्देश्यों का निर्धारण करना।
(5) पाठ्य-पुस्तकों को निर्धारण करना।

शैक्षिक मूल्यों के कार्य शैक्षिक उद्देश्यों के निर्माण में सहायता करना है। शैक्षिक उद्देश्यों को निर्माण करने में शिक्षकों एवं दार्शनिक विचारों का महत्व होता है।

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