बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा
प्रश्न- मूल्यों के परिस्थितिगत निर्धारक क्या हैं?
अथवा
मूल्यों के निर्धारक तत्व बताइए।
उत्तर-
वैदिक दर्शन की यह मान्यता रही है कि प्रकृति प्राणधारा से संपन्न होती है। सम्पूर्ण चराचर जगत अर्थात् पृथ्वी, आकाश, स्वर्ग, वायु, जल, वनस्पति और जीव-जंतु सभी में देवत्व की धारणा विद्यमान है। इस तथ्य में विज्ञान में साहचर्य व तात्कालिक अध्ययन में भी किया जा चुका है। मनुष्य की आवश्यकताएँ सीमित थीं- और मनोरंजन इतना था कि प्रकृति के शोषण की बात तो वह सपने में भी नहीं सोच सकता था। प्रकृति का मनुष्य के साथ अधिक सम्बन्ध ही सभी धर्मों का मूल था। समय के साथ शहरीकरण और औद्योगीकरण ने चलते मनुष्य का प्रकृति से सम्पर्क टूटता गया और तथा कठोर विकास की प्रक्रिया में इसे असम्भव यह अनुभवित होती गई।
मूल्यों के परिस्थितिगत निर्धारक तत्व निम्नलिखित हैं-
(1) सत्य - सार्वभौमिक मूल्यों में सर्वोपरि मूल्य सत्य है। सत्य का अर्थ होता है, वास्तविक में आचरण। सत्यता के अंदर वास्तविकता, वही सत्य है। सत्य को ही मनुष्य के स्वत्वगत मूल्य माना जाता है अतः वर्तमान में मनुष्य अनैतिक व गलत आचरण करने लगता है तो सामाजिक परिस्थितियों का अवलोकन करता है।
(2) ईमानदारी - ईमानदारी वास्तव में सत्य को ही समझने है अर्थात् सत्य को ही एक अन्य रूप में सत्य नैतिकता या दायित्व के उपलक्ष्य ईमानदारी व्यवहारिक है। जबकि ये दोनों ही मानसिक एवं आध्यात्मिक है जो व्यक्ति को नैतिक पथ पर अग्रसर करती है।
(3) प्रेम - यह बड़ा आम का एक शब्द है परन्तु प्रभाव में अत्यन्त विशालतम समझे हैं। सम्पूर्ण समाज एवं संसार आज इस भावात्मक सम्बन्ध पर टिका है। प्रेम एक सद्भावना है। यह मनुष्य को ईश्वर द्वारा प्रदत्त एक अनमोल वरदान है।
(4) अहिंसा - अहिंसा को सभी धर्मों में श्रेष्ठ माना गया है। महात्मा बुद्ध, महात्मा गांधी, दयानंद सरस्वती इत्यादि भारतीय विचारकों का भारतीय परम्परा ही अहिंसात्मक है। अहिंसा का अर्थ है हिंसा का कोई प्रयोग दूसरों को कष्ट या चोट न पहुँचाना। भारतीय मनोविज्ञान ने सदैव अहिंसा के पथ पर चलने को सीख दी है।
(5) शान्ति - नैतिक मूल्यों के अन्तर्गत आने वाले एक अत्यन्त महत्वपूर्ण गुण शान्ति है। शान्ति एक ऐसा तत्व है जिसे धारण करने के बाद मानसिक क्लेश नष्ट हो जाता है। वाणी पुष्ट हो जाती है अनावश्यक मानसिक क्लेश व दुःखनों का निवारण हो जाता है मन सन्तुष्ट व शरीर पुष्ट रहता है।
इसके अतिरिक्त लोकतांत्रिक मूल्यों स्वतंत्रता, भ्रातृत्व, सम्मानता व न्याय के प्रति निष्ठा, सामाजिक सम्बन्धों के महत्व, जरूरतमंदों की मदद, समाज के नागरिक होने के नाते नागरिक कर्तव्यों का पालन आदि मूल्यों के परिस्थितिगत निर्धारक हैं।
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