बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा
प्रश्न- मूल्य शिक्षा का संस्कृति एवं सभ्यता पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
शिक्षा का उद्भव अतीत के झरोखों से हुआ माना जाता है। शिक्षा हर प्राणीमात्र को कुछ न कुछ सिखाती आ रही है, यह प्रक्रिया अविरत चल रही है। आज विषय में बहुत लोग यह सोचते हैं कि शिक्षा में रुचि न रखते हैं। शिक्षा शब्द का प्रयोग वर्तमान में ही नहीं बल्कि प्राचीनकाल से प्रयोग किसी न किसी अर्थ में होता चला आया है। इस तथ्य को स्पष्ट करने हेतु कुछ विद्वानों के उद्धरण दिए गए हैं, यथा -
"मूल्य शिक्षा वह अभिप्राय उस प्रशिक्षण से है जो अच्छी आदतों बच्चों में अच्छी नैतिकता का विकास करती है।" - प्लेटो
"मूल्य शिक्षा व्यक्ति की उस पूर्णता का विकास है, जिसे वह ग्रहण कर सकता है।" - बाउचर
"मूल्य शिक्षा स्वयं शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण करती है।" - अरस्तू
शिक्षा सांस्कृतिक स्वरूपों के साथ बौद्धिकता पूर्वक समझता बनाए रखने की एक प्रक्रिया भी है। प्रायः अध्ययन से ऐसा ज्ञात होता है कि प्रत्येक बालक का जन्म विशेष विरासत के साथ होता है जो जैविकी एवं सांस्कृतिक विरासत के रूप में जानी जाती है। जैविकीय विरासत से बच्चे को अपनी शारीरिक विशेषताएँ, मानसिक क्षमता एवं आध्यात्मिक आवश्यकताएँ प्राप्त होती हैं। इसी प्रकार उसे सांस्कृतिक विरासत में, जो सभी आध्यात्मिक साधन होती हैं। सांस्कृतिक विरासत में, सभ्यताओं समाज से कुछ विशेष प्राप्त होती हैं जो जीवन-पर्यंत बालक को समाज के अनुकूल बनाने, परिवर्तित करने एवं उसकी सहायता की ओर प्रेरित होती रहती है। बालक की शिक्षा से उसकी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में सहायता मिलती है। यह तथ्य जैविकीय विरासत में इस प्रकार डालते हुए डॉ. टी.डी. अंडरसन ने लिखा - "यदि समाजशास्त्रियों की खोजों से सिद्ध कर दिया है कि संस्कृतिजन्य विरासत के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है, फिर भी इसके सीखने को इतना अधिक महत्व दिया जाता है कि इसकी तुलना जन्म नहीं की जा सकती है।"
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