बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा
प्रश्न- मूल्य शिक्षा की परिभाषा दीजिए एवं इसके महत्व का विवेचन कीजिए।
अथवा
मूल्य शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
मूल्य शिक्षा से तात्पर्य विद्यार्थियों में मान्यता, देश-प्रेम व दूसरों के लिए कल्याण इत्यादि अनेक अच्छी भावनाओं का संचार करता है। मूल्य शिक्षा द्वारा मानव संस्कारिक एवं योग्य बनता है। मूल्य हमें ऐसे दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करते हैं, जो हमारे जीवन में मन-मस्तिष्क की स्वच्छता प्रदान करते हैं।
मूल्यों के विकास में विद्यालय की आंतरिक व्यवस्था, शिक्षकों का आचार्य, आपसी सहयोग, बच्चों की प्रीत भावना आदि का विशेष महत्व है।
मूल्य शिक्षा की परिभाषाएं- मूल्य शिक्षा को हम निम्नलिखित परिभाषाओं के माध्यम से परिभाषित कर सकते हैं-
बर्टन (1961) के अनुसार- "नैतिक विकास एक संयुक्त घटना है, न कि पुरुष-पुरुष प्रक्रिया।"
लेविन (1964) के अनुसार- "लालित्य की भावना में उच्चतम सामाजिक सृजनात्मक रूप से शारीरिक दंड की प्रक्रिया से और नकलीकरण रूप से विचार और तार्किकता की प्रतिक्रिया।"
गुडस्टाइन (1978) के अनुसार- "नैतिक मूल्यों का ज्ञान, प्रशिक्षण पूर्णता से प्रभावित होता है।"
मूल्यों की शिक्षा सम्बन्धी महत्व
मूल्यों के अभाव में एक स्वस्थ समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। मूल्यों के विकास के माध्यम से ही बालकों एवं मनुष्यों को एक आदर्श नागरिक बनाया जा सकता है।
(1) शिक्षा की व्यवस्था के सुधार में मूल्यों का महत्व अत्यंत व्यापक है। बालकों की तब तक नहीं सुधारा जा सकता जब तक उनमें स्वअनुशासन का बोध न हो जाए, इसके लिए मूल्यों का महत्वपूर्ण किरदार होता है।
(2) व्यक्ति के विकास में मूल्यों का अहम किरदार होता है। इसके द्वारा सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा मानवीय मूल्यों का विकास होता है।
(3) व्यक्ति के विकास में मूल्य महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, इससे राष्ट्र के अंतर्गत ही नहीं, बल्कि समस्त विश्व में शांति कायम करने एवं विश्व बंधुत्व की भावना के विकास में महत्वपूर्ण होता है।
(4) मूल्यों से समाज को सेवा भावना की प्रेरणा मिलती है। समाज में व्यक्ति को उसकी जिम्मेदारी का अहसास होता है तथा वह दूसरों साथ सहयोग करने के लिए तत्पर रहता है।
(5) आध्यात्मिक विकास में मूल्यों का प्रमुख योगदान होता है। व्यक्ति यह सोचता है कि ईश्वर द्वारा बनाए गए इस संसार में सद्गुणों का विकास करना तथा ईश्वर के पथ को प्रयोग करना है।
(6) अच्छा एवं बुरा दोनों ज्ञान होता है।
(7) मूल्यों के द्वारा ही जीवन स्तर को ऊंचा जा सकता है। जब व्यक्ति की सोच एवं विचारधारा बड़ी होगी, तभी उसे सफलता प्राप्त हो सकेगी, जिसमें मूल्य अहम किरदार निभाते हैं।
|