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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2701
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

प्रश्न- महात्मा गांधी के शिक्षा-दर्शन के आधारभूत सिद्धांतों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर -

महात्मा गांधी के शिक्षा दर्शन सम्बन्धी आधारभूत सिद्धांतों को निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-

  1. साक्षरता शिक्षा नहीं - साक्षरता स्वयं में शिक्षा नहीं है, वह लिखते हैं कि "साक्षरता तो शिक्षा का अंत है और न प्रारंभ, यह केवल एक साधन है, जिसके द्वारा पुरुष एवं स्त्री को शिक्षित किया जा सकता है।"
  2. मातृभाषा का माध्यम - गांधी जी ने शिक्षा के माध्यम मातृभाषा को ही स्वीकार किया है। किसी भी देश के साहित्य एवं विद्या का मतलब उसकी संस्कृति का ज्ञान करना है, अतः अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा से भारत का विकास सम्भव नहीं है। बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षित करके ही उनका सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
  3. हस्तशिल्प शिक्षा - गांधी जी शिक्षा के साथ-साथ उन्हें स्वावलंबी भी बनाना चाहते थे एवं बालकों की शिक्षा के साथ-साथ हस्तकला में निपुण करना चाहते थे। गांधीजी लिखते हैं- "मातृभाषा को अपनाए बिना हमारा शिक्षा-तंत्र त्रुटिपूर्ण रहेगा। अतः प्राथमिक हस्तशिल्प शिक्षण एवं श्रम। समय से वह अपनी शिक्षा प्रारंभ करता है, उसी समय से उत्पादक कार्य के योग्य बनाकर आरंभ करना चाहता हूँ।"
  4. निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा - गांधीजी निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करते हैं, बालकों को 7 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाए।
  5. सर्वांगीण विकास - गांधीजी बालकों के स्वतंत्रता एवं स्वाभिमान विचारों पर बल देते हैं, बालकों के शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक एवं नैतिक विकास को केन्द्र बिन्दु में रखकर शिक्षा की व्यवस्था करते हैं।
  6. बेरोजगारी से सुरक्षा - गांधीजी भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में देखना चाहते थे, जिसके लिए यह आवश्यक था कि यहाँ के प्रत्येक नागरिक के पास रोजगार हो एवं वह अपने पैरों पर खड़ा हो। इसके लिए, हस्तकला एवं कुटीर उद्योगों की शिक्षा में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं।
  7. शिक्षा का सम्बन्ध वास्तविक जीवन से - गांधीजी शिक्षा का सम्बन्ध वास्तविक जीवन से मानते थे, वह मानते थे कि, समस्त शिक्षा, जीवन की वास्तविक परिस्थितियों से किया जाना चाहिए एवं उसका सम्बन्ध किसी दस्तावेजी या सामाजिक और भौतिक वातावरण से होना चाहिए।
  8. सामाजिक शिक्षा - गांधी जी शिक्षा के द्वारा एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते थे जिसमें स्वार्थ एवं शोषण के कोई स्थान न हो। बालक को अपनी शक्ति एवं श्रम के महत्व को समझना चाहिए। सामाजिक वातावरण की समझ बालक उस रूप में निर्मित करता है, उन्हें बढ़ावा देना चाहिए।

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