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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2701
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र के निर्माण की विभिन्न चरणों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर-

यथास्थिति अंतर्राष्ट्रीय संगठन के पक्ष में सरकारी घोषणाएँ - द्वितीय विश्वयुद्ध के होने ही एक नया अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना होने की संभावना बन जाने। समाचार-पत्र, जनता, विद्वान लेखक एवं सरकारी विभाग भविष्य के विश्व-संगठन की रूपरेखा तैयार करने में सतत् लगे रहे। जैसे-जैसे युद्ध की भीषणता बढ़ती गई वैसे-वैसे इस कार्य में शीघ्रता आती गई। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की पृष्ठभूमि तैयार की जाने लगी। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान महत्वपूर्ण निम्नलिखित सरकारी घोषणाएँ की गईं-

(1) लन्दन की घोषणा (12 जून 1941) - 12 जून 1941 ई. में मित्र राष्ट्रों द्वारा एक घोषणा की गई। चूँकि यह घोषणा लन्दन में हुई, इसलिए इसे लन्दन घोषणा के नाम से जाना जाता है। इस घोषणा में भावी अंतर्राष्ट्रीय संगठन के सिद्धांतों की और संकेत किया गया था। इसके हस्ताक्षर करने वालों में सेस्ट अमेरिका, यूनियन, कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, निर्वासित बेल्जियम, चेकोस्लोवाकिया, फ्रांस, ग्रीस, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, यूगोस्लाविया आदि के प्रतिनिधि थे। अतः इसे एक ऐतिहासिक घोषणा कहा गया। यह घोषणा नाजी आक्रमण से त्रस्त होकर की गई थी। इस घोषणा में निम्नलिखित दो बातें का उल्लेख था -

(2) एटलांटिक चार्टर - एक नई विश्व-संस्था की स्थापना के दिशा में महत्वपूर्ण 14 अगस्त, 1941 को एटलांटिक-घोषणा पत्र उठाया गया। 9 अगस्त 1941 को राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल से मुलाकात की। इस घोषणा के अनुसार कुछ बिंदुओं को उल्लिखित किया गया एवं सहमति बनी। 12 अगस्त, 1941 को राष्ट्रपति एवं चर्चिल एटलांटिक महासागर में युद्धपोत पर मिले। आपस में विचार-विमर्श के बाद उन्होंने एक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये। 14 अगस्त 1941 को उसकी घोषणा की गई। यह घोषणा-पत्र एटलांटिक-चार्टर के नाम से विख्यात हुआ। एटलांटिक चार्टर एक सामान्य सिद्धांतों की घोषणा पत्र था। इस घोषणा के आधार पर एटलांटिक-चार्टर को एक सामान्य प्रस्तावना एवं 8 बिंदु से संयुक्त तुलनात्मक राष्ट्रीय विश्वास के 14 सूत्रों से की गई।
इस घोषणा पत्र प्रस्तावना में राष्ट्रपति रूजवेल्ट तथा प्रधानमंत्री चर्चिल ने यह घोषणा किया कि वे अपने देशों की विदेश नीति के कुछ समान सिद्धांतों को बताना अनिवार्य समझते हैं जिन पर विश्व के अच्छे भविष्य का निर्माण निर्भर है।

(3) संयुक्त राष्ट्र घोषणा, 1 जनवरी 1942 - संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना करने के दिशा में दूसरा महत्वपूर्ण कदम संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के रूप में उठाया गया। यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र घोषणा, 1 जनवरी 1942 को की गई थी। यह एटलांटिक घोषणा की दूसरी महत्वपूर्ण घोषणा थी। बेडस्लेवेन तात्कालिक होने के ठीक ही लिखा है कि “यदि एटलांटिक घोषणा राष्ट्रसंघ की स्थापना की घोषणा थी।”

(4) मास्को घोषणा - संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की दिशा में तीसरा कदम 30 अक्टूबर 1943 को मास्को घोषणा के उठाया गया। मास्को सम्मेलन युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों का सर्वोच्चतम सम्मेलन था। इस सम्मेलन में अमेरिका की विदेशन मंत्री कॉर्डेल हॉल, ब्रिटिश विदेश मंत्री ईडन, रूस के विदेश मंत्री मोलोतोव एवं चीन के प्रतिनिधि ने भाग लिया। इस सम्मेलन का उद्देश्य ‘संयुक्त राष्ट्र’ के बीच किसी प्रकार की दरार को रोकना था।

(5) तेहरान सम्मेलन - मास्को सम्मेलन के बाद ईरान की राजधानी तेहरान में संयुक्त राष्ट्र के तीन बड़े नेताओं के बीच एक ऐतिहासिक तथा राजनीतिक महत्व का सम्मेलन हुआ। यह सम्मेलन 28 नवम्बर 1943 से 1 दिसम्बर 1943 ई. तक हुआ एवं तेहरान सम्मेलन का नाम विख्यात हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध का यह पहला शिखर सम्मेलन था। इसमें तीनों राष्ट्रों के अटूट सम्बन्धित हुए। यह सम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह पहला अवसर था जब राष्ट्रध्यक्ष रूजवेल्ट एवं मार्शल स्टालिन एक-दूसरे के संपर्क में आए।

(6) डम्बार्टन ओक्स सम्मेलन - ऊपर हमने देखा कि 1943 के अन्त तक आते-आते सभी बड़ी शक्तियों एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना के प्रश्न पर सहमत हो गई थी। युद्ध की समाप्ति के पश्चात् वे चाहते थे कि एक स्थायी संगठन के निर्माण की प्रक्रिया को निर्देश दिया जाए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि इस संगठन राज्य अमेरिका तथा सोवियत रूस इस तरह के संगठन में सम्मिलित होने की कल्पना कर चुके थे। ऐसा करके उन्होंने उन लोगों के भय को निराधार बना दिया था जो यह सोच रहे थे कि भविष्य में भी भीतरी राजनीति की नीति कोई विशेष शक्तिशाली का सहयोगी नहीं रहेगा। इस प्रकार यह स्पष्ट हो सका कि एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के निर्माण के विषय पर संयुक्त राष्ट्र भी सहमत थे। परन्तु नया संगठन का स्वरूप क्या होगा। उसमें कौन-कौन से देश रहेंगे? इस पर विचार नहीं हो पाया।

(7) याल्टा सम्मेलन - डम्बार्टन ओक्स सम्मेलन में बहुत सी बातें पर विचार नहीं हो सका था। कुछ विषयों पर अभी भी मतभेद विद्यमान था। इन मतभेदों को दूर करने के उद्देश्य क्रिमिया के याल्टा नगर में एक सम्मेलन का आयोजन हुआ। यह सम्मेलन 4 फरवरी 1945 से 11 फरवरी 1945 तक हुआ। इस सम्मेलन में रूजवेल्ट, स्टालिन तथा चर्चिल ने भाग लिया यह दूसरा शिखर सम्मेलन के लिहाज से द्वितीय विश्व युद्ध का दूसरा शिखर सम्मेलन कहा जाता हैं। इस सम्मेलन में डम्बार्टन ओक्स के अधूरे कार्य को पूरा किया गया। अनेक विषयों पर विचार हुआ एवं निर्णय लिया गया।

(8) सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन - याल्टा सम्मेलन के निर्णय के अनुसार 25 अप्रैल 1945 को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन बुलाया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र को तैयार करना। यह संयुक्त राष्ट्र को पूर्णतः स्थापित करना था। इस सम्मेलन में 46 राष्ट्र के प्रतिनिधि उपस्थित थे। बाद में चार अन्य राष्ट्रों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। इस तरह कुल 50 राष्ट्र इस सम्मेलन में शामिल हुए। इस सम्मेलन में कुल 282 विभिन्न समितियाँ गठित की गई। अनेक सलाहकारों को आमंत्रित किया गया। इसकी संख्या 1500 से अधिक थी। विश्व-प्रेस तथा रेडियो-सेवाओं की ओर से 2636 प्रतिनिधियों को भेजा गया। इस प्रकार यह इतिहास में सबसे बड़ा सम्मेलन था।

इस सम्मेलन की तुलना सन 1919 में होने वाले पेरिस सम्मेलन से की जाती है। जिस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध के बाद शांति-संधियों तथा राष्ट्रधर्म के निर्माण के लिए सन 1919 में शांति सम्मेलन का आयोजन किया गया था उसी प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा-पत्र का निर्माण करने हेतु 1945 में सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन का आयोजन किया गया। परन्तु दोनों सम्मेलनों के उद्देश्य एवं दृष्टिकोण एक-दूसरे से भिन्न थे।

यह सम्मेलन अप्रेल से जून 1945 तक चला 25 जून को संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया 26 जून को 50 देशों के प्रतिनिधियों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए। पोलैंड के प्रतिनिधि किसी कारण उपस्थित न हो सके। अतः उनके हस्ताक्षर बाद में करवाने के लिए स्थान छोड़ दिया गया। इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ के कुल 51 प्रारम्भिक सदस्य थे। 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर लागू हो गया। अतः यह दिन विश्व में ‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ (U. N. O.) के रूप में जाना जाता है। 10 जनवरी, 1946 को लन्दन के वेस्टमिनिस्टर हाल में संघ का प्रथम अधिवेशन हुआ। इसमें अनेक प्रतिनिधियों को भेजा गया। 15 फरवरी 1946 को संघ का प्रथम अधिवेशन समाप्त हुआ। संघ का प्रधान कार्यालय पहले लेक सक्सेस (अमेरिका) में रखा गया एवं तत्पश्चात, न्यूयॉर्क में बने विशेष भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया।

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