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			 बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- निशक्तता अधिनियम 2016 के प्रमुख प्रावधानों को संक्षेप में लिखिए।
अथवा
RTE 2016 की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर - 
 16 दिसंबर 2016 को लोकसभा में "विकलांग व्यक्तियों के अधिकार विधेयक - 2016" को पारित कर दिया गया। इस विधेयक ने PWD अधिनियम 1995 (PWD Act 1995) की जगह ली, जिसे 24 साल पहले लागू किया गया था। राज्य सभा इसे पहले ही 14 दिसंबर 2016 को पारित कर चुकी थी। यह एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में दिव्यांग व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और समानता की उपलब्धि को मान्यता प्रदान करता है और उनकी शिक्षा, उनके रोजगार, बाधा रहित परिवेश की उपलब्धि, सामाजिक सुरक्षा इत्यादि का प्रावधान करता है।
RTE 2016 के अन्तर्गत 6 से 18 वर्ष की आयु के बीच विकलांगता वाले प्रत्येक बच्चे को मुफ्त शिक्षा का अधिकार दिया जाएगा।
यह अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि विकलांग बच्चों के लिए अलग-अलग प्रकार के स्कूलों का सामान्य अस्तित्व रहेगा, जिनमें नियमित स्कूल, विशेष स्कूल और घर पर शिक्षा शामिल हैं।
 लेकिन मंत्रालय द्वारा अलग-अलग योजनाओं को लागू करने में विभागों के बीच समन्वय तालमेल की वजह से और पर्याप्त संसाधनों के अभाव में शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम में दिव्यांग बच्चों के लिए पास के स्कूल में दाखिला तो प्रावधान है, लेकिन गंभीर रूप से विकलांग बच्चों की घर पर शिक्षा का विकल्प नहीं है।
वैसे, तो निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009, सर्व शिक्षा अभियान, दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (RPWD) 2016, और हाल ही में शिक्षा नीति 2020 के तहत दिव्यांग बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा की मान्यता मिली हुई है, लेकिन देश में समावेशी शिक्षा के लिए एक समान स्वरूप को लेकर अब तक असमंजस मौजूद है।  
 
आर.पी.डब्ल्यू.डी. अधिनियम 2016 की मुख्य विशेषताएँ
(The Salient Features of the Rights of Persons with Disabilities Act 2016)
- 6 से 18 वर्ष की आयु के बीच बेंचमार्क विकलांगता वाले प्रत्येक बच्चे को मुफ्त शिक्षा का अधिकार होगा।
 - सरकारी वित्तपोषित शिक्षा संस्थानों के साथ-साथ सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थानों को विकलांग बच्चों को समावेशी शिक्षा प्रदान करनी होगी।
 - बेंचमार्क विकलांगता (benchmark disability) वाले कुछ व्यक्तियों या वर्गों को सरकारी प्रतिज्ञाओं में रिजर्वेशन 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया गया है।
 - विकलांग व्यक्तियों की वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय और राज्यीय कोष का निर्माण किया जाएगा।
 - विकलांगों के लिए मौजूदा सुलभता कोड और विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए ट्रस्ट के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा, रोजगार उपलब्ध किया जाएगा।
 - इस अधिनियम में ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ अपराध के लिए दंड का प्रावधान है जो विकलांग व्यक्तियों के खिलाफ अपराध करते हैं या कानून के प्रावधानों की उल्लंघना करते हैं।
 - विकलांगों के अधिकारों के उल्लंघन से सम्बन्धित मामलों की निपटान के लिए प्रत्येक जिले में विशेष न्यायालयों की गठन किया जाएगा।
 - यह अधिनियम हमारे कानून को विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के संयुक्त राष्ट्र संधि (UNCRPD)सम्मेलन के अनुसार लागू करेगा, जिसमें भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है। यह UNCRD के संदर्भ में भारत की ओर से दायित्वों को पूरा करेगा।
 
नया कानून न केवल दिव्यांगों के अधिकारों और प्रवेश को बढ़ाएगा, बल्कि सशक्तिकरण तरीके से समाज में उनके सशक्तिकरण और सच्चे समावेश को सुनिश्चित करने की प्रभावी रणनीति भी प्रस्तुत करेगा।
						
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