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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2700
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

प्रश्न- निशक्तता का अधिनियम, (पी. डब्ल्यू. डी. एक्ट) 1995 के प्रमुख प्रावधानों को संबंध में लिखिए।

अथवा

पी. डब्ल्यू. डी. अधिनियम, 1995 क्या है?

उत्तर -

निशक्तता का अधिनियम, (पी. डब्ल्यू. डी. एक्ट) 1995 के प्रमुख प्रावधान

विकलांग व्यक्तियों के लिए एशिया एवं पैसिफिक क्षेत्र की दृष्टि से इस अधिनियम को सन 1995 में घोषित किया गया। इस अधिनियम के अन्तर्गत प्रावधान है कि शारीरिक अक्षमता से युक्त बालकों एवं बालिकाओं को प्रत्येक क्षेत्र में सामान्य बालक एवं बालिकाओं के समान अवसर प्रदान किए जाएं, जिससे वे अपनी विकलांगता को अभिशाप के रूप में अनुभव न हो। उनको समाज से सहज रूप से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा सम्पूर्ण प्रयास किए जाने चाहिए। इस कार्य में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों को ही पूर्ण सहयोग करना चाहिए।

इस अधिनियम के अन्तर्गत शारीरिक अक्षमता वाले छात्र-छात्राओं के लिए निम्नलिखित प्रावधानों की व्यवस्था की गई है—

1. अक्षमता की स्थिति को परिभाषित करना - इसके अन्तर्गत यह निश्चित किया गया है कि किस सीमा तक व्यक्ति को शारीरिक रूप से अक्षम माना जाएगा। इससे कम सीमा तक उसका शारीरिक रूप से अक्षम नहीं माना जाएगा। जैसे- 60 डेसिबल की आडिटरी को सुन पाने अक्षमता के अन्तर्गत माना जाएगा। इसी प्रकार मानसिक, दृष्टि सम्बन्धी एवं कुछ रोग सम्बन्धी अक्षमता को भी इस प्रावधान में परिभाषित किया है, जिनमें यदि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों की पहचान हो जाती है तो उनको सामान्य से पृथक रखा जा सकता है।

2. समावेशी नीति का निर्माण - इस अधिनियम के अन्तर्गत यह प्रावधान है कि अक्षम व्यक्तियों के लिए सुविधाओं का प्रबन्ध तथा उन सुविधाओं का विस्तार किया जाए। राज्य सरकार से समावेशी समाज की स्थापना के लिए इसे सामाजिक सेवाओं में सम्मिलित किया गया है।

शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास, ग्रामीण विकास इत्यादि क्षेत्रों में समावेशी नीति को लागू किया गया है। इस नीति में स्थान विशेष तय किया गया है। इस प्रावधान में चिकित्सा विभाग के अंतर्गत विकलांग छात्र-छात्राओं के पुनर्वास की प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है।

3. पृथक शैक्षिक व्यवस्था - शारीरिक रूप से अक्षम छात्र के लिए पृथक शैक्षिक व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित व्यवस्थाएँ हैं—

  1. इन विद्यालयों की संरचना भी शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के अनुकूल होनी चाहिए जिससे इनको असुविधा न हो।

  2. इन छात्रों को पृथक शिक्षण विधियों से शिक्षण कराया जाए, जिससे इनके अधिकतम स्तर को उच्च बनाया जा सके।

  3. शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के लिए पृथक विद्यालयों की रचना की जाए, जिससे उनके अनुकूल वातावरण तैयार किया जा सके।

  4. विद्यालयों में शारीरिक अक्षमता के अनुसार उपकरणों की व्यवस्था हो, जिससे अक्षम छात्रों को शिक्षण व्यवस्था में रुचि उत्पन्न हो सके।

  5. विद्यालयों में पृथक पथ की व्यवस्था की जाए, जिससे पैरों से विकलांग छात्रों का विद्यालय में सरल प्रवेश हो सके।

  6. इन विद्यालयों के शिक्षकों को पृथक रूप से प्रशिक्षित किया जाए, जिससे कि शिक्षण में गुणवत्ता लाई जा सके।

4. रोजगार के अवसर प्रदान करना - केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों का प्रमुख दायित्व है कि शारीरिक रूप से अक्षम छात्र एवं छात्राओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएं तथा उनकी स्थापना के व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। जिन क्षेत्रों में अक्षम छात्रों को रोजगार मिल सकता है, उन क्षेत्रों का सरकार द्वारा विकास किया जाना चाहिए।

5. आरक्षण व्यवस्था - सरकारी एवं गैर-सरकारी नौकरियों में शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के लिए आरक्षण व्यवस्था होनी चाहिए। वर्तमान समय में सरकार द्वारा नौकरियों में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के आरक्षण का प्रतिशत निर्धारित कर दिया गया है। विद्यालयों में प्रवेश के लिए भी इस प्रकार के छात्रों के लिए आरक्षित स्थान रखे जाते हैं।

6. यात्रा सम्बन्धी सुविधाएँ - यात्रा सम्बन्धी सुविधाओं में इन छात्रों के लिए किराये में छूट का प्रावधान हो। सामान्य व्यक्तियों की तुलना में शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों से कम किराया लिया जाना चाहिए, जिससे इनकी किसी प्रकार की असुविधा न हो।

7. उपकरण - शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के लिए उनकी अक्षमता से सम्बन्धित उपकरण निःशुल्क प्रदान किए जाने चाहिए;जैसे- पैरों से न चलने वाले छात्रों को व्हील चेयर, श्रवण अक्षमता से युक्त छात्रों के लिए श्रवण यंत्र उपलब्ध कराना आदि।

8. अक्षमता निवारण के लिए शोध - इस अधिनियम में विभिन्न प्रकार के शोध कार्यों को प्रोत्साहन देने के तत्व को स्वीकार किया गया है।

  • इन शोधकार्यों का प्रमुख उद्देश्य छात्रों की शारीरिक अक्षमताओं को टेढ़ा न रखकर उन्हें दूर करना होगा।
  • जैसे- दृष्टि से सम्बन्धित अक्षमता विटामिन A की कमी से होती है,
  • यदि बचपन में ही छात्रों को विटामिन A की खुराक पिला दी जाए तो इस अक्षमता को रोका जा सकता है।

9. उपकरणों के निर्माण की व्यवस्था - केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों का यह दायित्व होगा कि शारीरिक अक्षमता से सम्बन्धित उपकरणों का निर्माण किया जाए, जिससे कम दर पर अक्षम छात्रों को यह उपलब्ध कराया जा सके।

10. स्वास्थ्य सुविधाएँ - शारीरिक अक्षमता से युक्त छात्रों को विद्यालय या चिकित्सा केंद्रों द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए। वर्तमान समय में सरकार द्वारा विकलांग व्यक्तियों हेतु विशेष अस्पतालों का निर्माण कराया गया है। जिससे अक्षम व्यक्ति चिकित्सा हेतु बिना किसी कठिनाई के पहुँच सकें।

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