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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2700
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

प्रश्न- विशिष्ट बालकों के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं? ये बालक सामान्य बालकों से किस प्रकार भिन्न होते हैं?

उत्तर -

विशिष्ट बालकों के प्रकार
(Types of Exceptional Children)

प्रत्येक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनेक बालक आते हैं। इनमे अलग-अलग कुछ ऐसे बालक भी आते हैं, जिनकी अपनी कुछ शारीरिक और मानसिक विशेषताएँ होती हैं। इनमें कुछ प्रतिभाशाली, कुछ मंद बुद्धि, कुछ पिछड़े हुए और कुछ शारीरिक दोषों वाले होते हैं। इनको विशिष्ट बालक की संज्ञा दी जाती है। जो निम्न प्रकार हैं—

  1. प्रतिभाशाली बालक (Gifted Children)
  2. सृजनात्मक बालक (Creative Talents Children)
  3. पिछड़े बालक (Backward Children)
  4. मंदबुद्धि बालक (Mentally Retarded Children)
  5. विकलांग बालक (Handicapped Children)
  6. चंचल अथवा समस्यात्मक बालक (Problem Children)
  7. श्रवण बाधित बालक (Hearing Handicap Children)
  8. अधिगम असमर्थ बालक (Learning Disability Children)
  9. अस्थि बाधित बालक (Orthopaedic Handicap Children)
  10. बहुविकलांग से पीड़ित बालक (Multiple Handicap Children)
  11. दृष्टि बाधित बालक (Visual Handicap Children)
  12. मदिरा से अनुपस्थित बालक (Socially Disadvantaged Children)
  13. विशिष्ट स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या युक्त बालक (Special Health Problems Children)
  14. वाणी बाधित बालक (Speech Handicap Children)
  15. संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालक (Children with Emotional Disturbance)
  16. अपराधी बालक (Delinquent Children)

सामान्य एवं विशिष्ट बालकों में अंतर
(Difference between Normal and Exceptional Children)

सामान्य बालकों एवं विशिष्ट बालकों में निम्न रूपों में अंतर पाया जाता है—

 

सामान्य बालक (Normal Children)विशिष्ट बालक (Exceptional Children)
1. सामान्य बालक अच्छी शारीरिक बनावट रखते हैं सामान्यतः ये "एथलीट-शरीर" (Athlete Physique) के होते हैं। 1. विशिष्ट बालक बहुधा शारीरिक रूप से दोषपूर्ण बनावट, जैसे - पोलीओग्रस्त, बौने, अत्यधिक लंबे, लंबे या मोटे शरीर वाले होते हैं।
2. इनकी बुद्धि-लंब्ध 90 से 110 के बीच होती है। 2. इनकी बुद्धि-लंब्ध 0 या 10 से लेकर 140 या इससे भी अधिक के बीच कुछ भी हो सकती है।
3. ये शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं। 3. ये शारीरिक रूप से प्रायः अस्वस्थ व नाजुक होते हैं।
4. ये बालक उद्यममुखी होते हैं। 4. प्रायः ये ‘अनुसंघुकी’ (Introvert) होते हैं।
5. ये बालक अति महत्वाकांक्षी नहीं होते बल्कि स्तर व शिक्षा के कारण मध्यम सोच रखते हैं। 5. ये बालक प्रायः अति महत्वाकांक्षी होते हैं तथा शारीरिक व बौद्धिक पिछड़पन की भी दृष्टि नहीं रखते हैं।
6. ये मानसिक बीमारियों से ग्रस्त नहीं होते हैं। जल्दी तनाव व संघर्ष में नहीं आते हैं। 6. ये मानसिक बीमारियों से ग्रस्त होते हैं तथा शारीरिक विकार का भी प्रभाव मानसिक पर पड़ता है।
7. इनके संवेगों पर नियंत्रण रहता है। प्रेम, क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, स्नेह, आनंद की सहज अनुभूति करते हैं व इनका सामान्य प्रदर्शन करते हैं। 7. संवेगों पर पूर्णतः नियंत्रण नहीं रहता वे प्रेम, क्रोध, घृणा, स्नेह, आनंद को अस्वस्थ ढंग से प्रदर्शित करते हैं, कभी बहुत ज्यादा तो कभी बिल्कुल ही नहीं।
8. शैक्षिक उपलब्धि अच्छी होती है, असफलता का मुंह नहीं देखते हैं। 8. इनकी शैक्षिक उपलब्धि या तो बहुत अच्छी होती है कि अति प्रतिभाशाली बालक होते हैं या फिर बहुत न्यून या शून्य होती है जिसके कारण असफलता का सामना करना पड़ता है।
9. ये आशावादी होते हैं व जीवन को व्यवहारिक ढंग से जीने की इच्छा रखते हैं। 9. ये अति आशावादी या प्रायः चोर निराशावादी होते हैं व जीवन ज्यादा व्यवहारिक नहीं मानते।
10. ये कक्षा में पढ़ायी व बतायी बातों को ठीक से समझ लेते हैं। 10. ये कक्षा में बतायी बातों को या तो अति शीघ्र समझ लेते हैं या फिर बार-बार समझाने पर भी नहीं समझ पाते।
11. ये घर, विद्यालय तथा समाज में अच्छा सामायोजन रखते हैं। 11. इनका घर, विद्यालय या समाज में अच्छा सामायोजन नहीं हो पाता।

 

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