बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- अधिगम अक्षमता का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए तथा इसकी विशेषताएँ बताइये।
उत्तर -
अधिगम अक्षमता का अर्थ (Meaning of Learning Disabilities)- अधिगम अक्षमता शब्द दो अलग-अलग शब्दों अधिगम एवं अक्षमता से मिलकर बना है। अधिगम शब्द का आशय सीखने से है तथा अक्षमता का तात्पर्य क्षमता के अभाव या क्षमता की अनुपस्थिति या कमी से है। सामान्य भाषा में अधिगम अक्षमता का तात्पर्य सीखने की क्षमता अथवा योग्यता की कमी से है।
शिक्षा की कठिनाइयों को समझने के लिए यह एक बच्चे की लिखने की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों का आंकलन करता है। प्रवाही अधिगम में केवल मौखिक अभिप्रेरणा, सकारात्मक आत्म छवि और उचित अध्ययन रणनीतियाँ आवश्यक हैं। (ऐरी, हेनरा, तथा मकनाउटन, 2011) औपचारिक शब्दों में अधिगम अक्षमता को विद्यालयी पाठ्यक्रम सीखने की क्षमता की कमी या अनुपस्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
"अधिगम अक्षमता पद का सर्वप्रथम प्रयोग 1963 ई. में सैमुअल कर्क द्वारा किया गया था।"
अधिगम अक्षमता की परिभाषा- किर्क (1963) के अनुसार- "अधिगम अक्षमता को वाणी, भाषा, लेखन, अंकगणितीय प्रक्रियाओं में से किसी एक या अधिक प्रक्रियाओं में मंदता, विकृति अथवा अवरुद्ध विकास के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। संभवतः मस्तिष्क क्रिया दोषिता और संवेदनात्मक अथवा व्यवहारिक विशेष का परिणाम है न कि मानसिक मंदता, संवेदी अक्षमता अथवा सांस्कृतिक अनुशिक्षण कारक का।"
फैस्टर (1977) के अनुसार- "विशिष्ट अधिगम अक्षमता को, लिखित एवं मौखिक भाषा से ग्रहण एवं समझने में उत्पन्न त्रुटि के रूप में अधिक, न कि मानसिक क्रियाओं में विकृति, जो व्यक्तिगत सोच, वाच, पढ़ना, लेखन एवं अंकगणितीय गणना को पूर्ण या आंशिक रूप से प्रभावित करता है, के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।"
डी नेशनल ज्वाइंट कमेटी ऑन लर्निंग डिसएबिलिटीज - 1944 ने अधिगम अक्षमता को परिभाषित करते हुए कहता है कि अधिगम अक्षमता एक सामान्य पद है, जो मानव में अनुमातः केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के सुचारू रूप से कार्य न करने के कारण उत्पन्न आंतरिक विकृतियों के विषय समूह, जिसमें कि बोलने, सुनने, पढ़ने, लिखने, तर्क करने या गणनात्मक क्षमता के प्रयोग में कठिनाइयाँ शामिल होते हैं, के कारण ही ये जीवन के किसी भी पड़ाव पर बढ़ने में सक्षम हैं। हालाँकि, अधिगमात्मक अक्षमता अन्य प्रकार की अक्षमताओं (जैसे - संवेदी अक्षमता, मानसिक मंदता, गम्भीर संवेगात्मक विशेषता) या सांस्कृतिक विभाजन, अनुशासनहीनता या अपर्याप्त अनुशासन के कारण होता है, लेकिन ये दूसरी अक्षमताओं का प्रत्यक्षतः प्रभावी नहीं करती हैं।
उपयुक्त विशेषताओं की समीक्षाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अधिगम अक्षमता एक बहुअयामी समस्या है। यह स्वभाव से आंतरिक होती है।
अधिगम अक्षमता की प्रकृति एवं विशेषताएँ- अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयाँ, श्रवण, दृष्टि, स्वास्थ्य, वाच एवं संपर्क आदि से सम्बन्धित अस्थायी समस्याओं से जुड़ी होती हैं। समस्या का समाधान होते ही अधिगम सम्बन्धी कठिनाई समाप्त हो जाती है।
अधिगम अक्षमता की विभिन्न मान्यताओं पर दृष्टिपात करने से अधिगम अक्षमता की प्रकृति निम्नलिखित है -
- अधिगम अक्षमता आंतरिक होती है।
- यह स्थायी स्वरूप का होता है अर्थात यह व्यक्ति विशेष में आजीवन विद्यमान रहता है।
- यह कोई एक विकृति नहीं बल्कि विकृतियों का एक विषय समूह है।
- इस समस्या से ग्रसित व्यक्तियों में कई प्रकार के व्यवहार और विशेषताएँ पाई जाती हैं।
- यह एक जीवन समस्या है क्योंकि यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्यविधता से सम्बद्ध है।
- यह मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया में विकृति का फलस्वरूप उत्पन्न होता है, अतः यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या भी है।
अधिगम अक्षमता की मुख्य विशेषताएँ या लक्षण-
- बिना सोचे-विचारे कार्य करना।
- उपयुक्त आचरण नहीं करना।
- निर्णायक क्षमता का अभाव।
- स्वयं के प्रति लापरवाही।
- लक्ष्य से आसानी से विचलित होना।
- सामान्य ध्यानाकर्षण से दृश्य के प्रति आकर्षण।
- ध्यान का केंद्रित न होना।
- भावनात्मक अस्थिरता।
- एक ही स्थिति में शांत एवं स्थिर रहने में असमर्थता।
- सामान्य से ज्यादा सक्रियता।
- सामान्य क्रियाओं में बाधा।
- कार्य करने की मंद गति।
- क्षीण स्मरण शक्ति।
- सामान्य कार्य को करने के लिए एक से अधिक बार प्रयास करना।
- पाठ्य सहगामी क्रियाओं में शामिल न होना।
- प्रतिस्पर्धात्मक समन्वय दोष।
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