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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2700
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

प्रश्न- मानसिक रूप से पिछड़े बालक किसे कहते हैं। बुद्धिलब्धि के आधार पर इनका वर्गीकरण कीजिए।

उत्तर-

कुछ बालक मानसिक रूप से उप-सामान्य बालक कक्षा में अध्ययन से शिक्षा कार्य को समझने में असमर्थ होते हैं। वे आसानी से समझ नहीं पाते। ऐसे बालकों को मंद बुद्धि बच्चों की श्रेणी में रखा जाता है। यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि ऐसे बालकों की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

बालकों को उनके बुद्धिलब्धि के आधार पर ही वर्गीकृत किया जाता है। टर्मन के अनुसार 70 से कम बुद्धिलब्धि (IQ) वाले बालक को मंद बुद्धि बालक कहते हैं। ऐसे बालक किसी भी शारीरिक तथा मानसिक यंत्र के कारण मंद बुद्धि का प्रदर्शन करते हैं और अपनी आयु के अनुसार किसी कार्य को करने में असमर्थ होते हैं। इस दोष का परिणाम यह होता है कि वे अनेक प्रकार की ज्ञान कठिनाइयों पैदा हो जाती हैं। मंद बुद्धि बालक हर ओर से उपेक्षित रहते हैं।

मानसिक रूप से पिछड़े ऐसे बालक संवेदनात्मक दृष्टि, सामाजिक परिपक्वता तथा बौद्धिक दृष्टि में पिछड़े रहते हैं। कई बार ऐसे बच्चे शारीरिक रूप से तो परिपक्व हो जाते हैं लेकिन उनका सामाजिक और संवेदनात्मक व्यवहार उनकी आयु के बच्चों से बहुत पिछड़ा हुआ होता है।

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार, "मानसिक क्षमताओं का अपूर्ण एवं अप्रयास सामान्य विकार ही मानसिक मंद बुद्धि कहलाता है।"

पेज के अनुसार, मानसिक मंद बुद्धि मानसिक विकास के उप सामान्य स्थिति है जो बच्चे के जन्म समय विद्यमान होती है या प्रारंभिक बाल्यकाल में पैदा हो जाती है। इसका मुख्य विशेषता है सीमित बौद्धिक और सामाजिक अपर्याप्तता।

हेब के अनुसार, मंद बुद्धि बालक वे हैं जो किसी कार्य को करने में इसलिए असमर्थ होते हैं क्योंकि उनमें मानसिक परिपक्वता की कमी होती है।

बुद्धिलब्धि के आधार पर वर्गीकरण- बुद्धिलब्धि के आधार पर किया गया वर्गीकरण सभी द्वारा मान्य वर्गीकरण नहीं है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने मंद बुद्धि की भिन्न-भिन्न सीमाएं बताई हैं। लेकिन इस बात पर सभी सहमत हैं कि इन बालकों का मानसिक विकास सामान्य बच्चों की तुलना में बहुत कम होता है। मानसिक क्रियाओं में ये बालक सामान्य बच्चों के बराबर नहीं हो सकते।

यूनिसको के एक प्रकाशन ने मंद बुद्धि बालकों की बुद्धिलब्धि (IQ) के स्तर प्रकाशित किये जो इस प्रकार हैं-

क्र. सं.मानसिक न्यूनता की श्रेणीसंभावित बुद्धि स्तर
1 जड़ 0-19
2 हीन बुद्धि 20-49
3 दुर्बल बुद्धि 50-69
4 मंद तथा पिछड़ा 70-80

एक अन्य वर्गीकरण के अनुसार मानसिक रूप से विकलांग बच्चे निम्न प्रकार के हो सकते हैं:

(a) जड़ बुद्धि या मूर्ख- इस वर्ग के बच्चों की बुद्धिलब्धि (IQ) 20-25 तक होती है। ये मूर्ख सबसे निम्न श्रेणी के होते हैं। इनका मानसिक स्तर निम्न होता है कि कोई भी कार्य स्वयं नहीं कर पाते। यहाँ तक कि इन्हें खाना भी खिलाना पड़ता है तथा कपड़े भी दूसरों द्वारा ही पहनाये जाते हैं। ऐसे बच्चों की सुरक्षा विशेष रूप से करनी पड़ती है। इस वर्ग के बच्चे कुछ भी सीखने में असमर्थ होते हैं तथा आसानी से दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। इनका जीवन रक्षा की इच्छा की कमी होती है। ऐसे बच्चे बहुत ही लाचार होते हैं।

(b) कम या मूढ़ बुद्धि- इनकी बुद्धिलब्धि की सीमा 26-50 तक है। ऐसे बच्चे भी पढ़ लिख नहीं सकते। इन्हें भी दिनचर्या के कई कार्य सिखाये जाते हैं। स्वयं की रक्षा व प्रति सचेत किया जाता है। लेकिन स्वतंत्र जीवन व्यतीत करने में ये सभी असमर्थ होते हैं। इनका मानसिक विकास तथा मानसिक योग्यताएं बहुत कम होती हैं व ये स्वयं को देखभाल नहीं कर सकते।

(c) असहाय या मूढ़ बुद्धि- इनकी बुद्धिलब्धि 51-70 तक होती है। ये बालक भी बहुत कम पढ़ लिख सकते हैं। इनका अभिमुख बहुत ही धीमा गिरता है। ऐसे बच्चों को किसी अनुकरण कार्य में शिक्षा प्रदान की जा सकती है। इन्हें छोटे कार्य के लिए तैयार किया जा सकता है। सामान्य स्कूल शिक्षा इनके लिए भी कठिन होती है। वे शारीरिक दृष्टि से सामान्य होते हैं। वे कुछ ट्रेनिंग के बाद अमूमन, मोटे कार्य कर सकते हैं।

(d) सीमांत बच्चे- इस प्रकार के बच्चों की बुद्धिलब्धि 71-80 के बीच होती है। ऐसे बालक कक्षा में अन्य बच्चों के साथ नहीं पढ़ सकते हैं। ये जन संस्था का अधिकतर हिस्सा होते हैं। ये सामान्य बालकों जैसी क्षमताओं और योग्यताओं के बहुत निकट होते हैं।

अमेरिकन एसोसिएशन (1973) के अनुसार बुद्धिलब्धि के आधार पर मंदबुद्धि बालकों को निम्न प्रकारों में बांटा गया है-

1. गंभीर रूप से मंद-बुद्धि बालक - इस वर्ग के बालकों की बुद्धिलब्धि 25 तक होती है। इन बालकों में भाषा का विकास बहुत कम होता है। वे बहुत अधिक देखभाल चाहते हैं। उनमें सामान्य कार्य करने की भी योग्यता नहीं होती है। शारीरिक संरचना में भी बहुत विकृतियाँ होती हैं। इनका स्वास्थ्य दुर्बल होता है। रोगों के प्रति प्रतिरोध बहुत कम होता है।

2. तीव्र रूप से मंद-बुद्धि बालक - इन बालकों की बुद्धिलब्धि 25 से 39 तक होती है। उचित प्रशिक्षण द्वारा वे सामान्य भाषा और संकेत द्वारा सम्प्रेषण करने की योग्यता ग्रहण कर लेते हैं। इनमें संवेदनशीलता अशिक्षा रहती है।

3. मध्यम रूप से मंद-बुद्धि बालक - ऐसे बालकों की बुद्धि-लब्धि 40 से 54 तक होती है। ये सामाजिक रूप से स्थापित नहीं कर सकते हैं। इनका ज्ञानवर्धन विकास धीमा होता है। ऐसे बच्चों को उचित प्रशिक्षण द्वारा सामान्यीकृत किया जा सकता है। वे सामान्य स्कूलों में पढ़ने में सक्षम नहीं होते। विशेष परीक्षा द्वारा बच्चे थोड़ी बहुत पढ़ना लिखना सीख लेते हैं। ये बालक औद्योगिक प्रशिक्षण के उपयोगी प्रकार से प्रशिक्षित किये जा सकते हैं।

4. अल्प रूप से मंद-बुद्धि बालक - इस वर्ग के बालकों की बुद्धिलब्धि 56 से 69 तक होती है। सामान्य बालकों की तुलना में इस वर्ग के बच्चे कुछ सुस्त प्रकृति के होते हैं। उनमें उत्साह, संवेदनात्मक प्रतिक्रियाओं में सहजता की कमी होती है। ऐसे बालकों को आसानी से वेवकूफ बनाया जा सकता है। तथा उनमें समाज विरोधी कार्य करने की प्रवृत्ति भी उत्पन्न हो सकती है। इनमें अमूर्त चिंतन करने की योग्यता सीमित होती है। स्कूल में इनकी उपलब्धियाँ सीमित होती हैं।

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