बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- मंद-बुद्धि बालकों की विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
मंद बुद्धि बालकों की विशेषताएँ निम्नलिखित प्रकार की हैं-
1. अधिगम की धीमी गति - मानसिक रूप से मंद बुद्धि बालकों की अधिगम की गति बहुत धीमी रहती है। इसे तीव्र करना असंभव होता है।
2. शारीरिक हीनता - इस प्रकार के बच्चे में शारीरिक हीनता भी आ जाती है। उनका शरीर विकृत हो जाता है। शारीरिक लोगों की समान गति शक्ति इनमें कम होती है। सामान्यतः इनका समुचित शारीरिक विकास का स्तर कम होता है।
3. संवेदनात्मक अश्थिरता - मानसिक रूप से पिछड़े बालक संवेदनात्मक रूप से अश्थिर होते हैं अर्थात उनका संयम पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। कई बार तो बहुत ही निम्न श्रेणी के बालक जीवन रहने की इच्छा खो देते हैं व बैठते हैं। वे अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को अभिव्यक्त करने में भी असमर्थ होते हैं।
4. अपूर्ण और दोषपूर्ण शब्दावली - इस श्रेणी के बालकों की शब्दावली अपूर्ण और दोष पूर्ण होती है। उन्हें भाषा का सीमित ज्ञान होता है।
5. सीमित रुचियाँ - मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की रुचियाँ बहुत ही सीमित होती हैं। वे किसी भी क्षेत्र में अपनी विशेष रुचि प्रदर्शित करने में सक्षम नहीं होते हैं।
6. लघु प्रवर्तन विश्लेषण - मंद बुद्धि बालकों में लघु अवधारण विश्लेषण होता है। यदि कोई कार्य में मानसिक रूप से मंद बालक की रुचि समाप्त हो जाती है, तथा उनका ध्यान विचलित हो जाता है। ऐसे बालक सामान्य बालकों की तरह किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना का अनुसरण नहीं कर पाते।
7. मौलिकता का अभाव - इन बालकों में मौलिकता का अभाव रहता है। अर्थात वे अपने स्वार्थ व प्रवृत्त व्यवहार में कोई नवीनता नहीं ला पाते।
8. सामान्यीकरण की योग्यता का अभाव - मानसिक रूप से मंद बालकों में तथ्यों का सामान्यीकरण करने की योग्यता का अभाव रहता है अर्थात वे किसी स्थिति का निष्कर्ष निकालने के योग्य नहीं होते।
9. प्रोत्साहन का अभाव - ऐसे बालकों में प्रायः प्रोत्साहन की कमी रहती है। तथा स्कूल में जाने की रुचि बिल्कुल नहीं होती। इनका झुकाव अनैतिकता और अपराध की ओर रहता है।
10. धीमी विकास गति - ऐसे मंद बुद्धि बालक सामान्य बालकों की अपेक्षा प्रत्येक क्षेत्र में धीरे-धीरे विकसित होते हैं। कई बार इनका विकास इतना धीमा होता है कि वे आयु वर्ग से बहुत पीछे रह जाते हैं।
11. सामायोजन का अभाव - स्कूल की शिक्षा का कम होने के कारण ये बालक सामाजिक और संवेदनात्मक रूप से स्वयं का सामायोजन नहीं कर पाते।
12. निरंतर अस्वस्थता एवं धीमी प्रतिक्रियाएँ - मानसिक रूप से विकलांग बालकों का स्वास्थ्य निरंतर रूप से ठीक नहीं रहता। उनके को न कोई रोग घेरे रहता है। तथा उनकी प्रतिक्रियाएँ भी बहुत धीमी गति से होती हैं।
13. अनुपूरक व्यक्तित्व - ऐसे बालकों का व्यक्तित्व कभी संपूर्ण नहीं हो सकता। उनमें स्वाभाविकता तथा ग्रहणक्षमता बहुत कम होती है। वे स्वयं निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते। उन्हें भविष्य की स्थिति से कोई लेना-देना नहीं होता। वे केवल वर्तमान में जीते हैं।
14. दूसरों पर निर्भरता - मंद बुद्धि बालक दूसरों पर अधिक आश्रित रहते हैं। वे व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं से निपटने की योग्यता में बराबर नहीं होते हैं। उनका अपनी इच्छाओं आदि पर नियंत्रण भी नहीं होता तथा वे असामाजिक कार्यों में भाग ले सकते हैं।
15. सीमित बुद्धि - मंद बुद्धि बालकों की बुद्धि बहुत ही सीमित होती है अर्थात 70 से कम होती है। उनमें सामायोजन करने तथा अन्य मानसिक प्रक्रियाओं को संपन्न करने की क्षमता नहीं होती।
16. अमूर्त चिंतन का अभाव - मंद बुद्धि बालकों को बुद्धिलब्धि कम होने के कारण अमूर्त चिंतन करने में सक्षम नहीं होते। वे समस्या का विश्लेषण नहीं कर सकते हैं।
|