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बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- दृष्टि बाधित बालकों की शिक्षा में अध्यापक की क्या भूमिका है?
उत्तर -
दृष्टि बाधित बालकों की शिक्षा में अध्यापक की भूमिका व उत्तरदायित्व अधिक हो जाता है। इन बच्चों की समस्याओं से अध्यापक को परिचित होना आवश्यक है। अध्यापक को बालक की वास्तविक समस्या का ज्ञान होना आवश्यक है, जिससे कि वह उन्हें सुविधानुसार शिक्षण दे सके। उसे बालक में ऐसी क्षमता विकसित करने का प्रयास करना चाहिए कि वह अपनी शारीरिक कमजोरी के कारण हीन न समझे। वर्तमान समावेशी शिक्षा में इन बच्चों को एक साथ शिक्षा प्रदान करने के लिए दृष्टि शिक्षक की व्यवस्था की जाने लगी है।
इन बालकों की शिक्षा का उत्तरदायित्व सामान्य व दृष्टि शिक्षक दोनों का ही है। दृष्टि बाधित बालक की शिक्षा में अध्यापक की भूमिका इस प्रकार है—
- दृष्टि बाधित बालकों को सामान्य बालकों की भाँति अधिगम अनुभव प्रदान किए जाने चाहिए।
- इन बच्चों को समस्याओं के समाधान के लिए अतिरिक्त समय दिया जाए।
- इन बच्चों को पाठ्य सहगामी क्रियाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। अध्यापक को चाहिए कि वे उनका आत्मानुभव क्रियाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
- इन बालकों के कार्यों को समय-समय पर जाँच व निरीक्षण किया जाना चाहिए।
- श्यामपट्ट पर लिखते समय बड़े शब्द लिखे जाएँ व चित्र बनाए जाएँ।
- शिक्षण सहायक सामग्री, चार्ट, मॉडल आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
- आंशिक बाधित बालकों के लिए दृश्य-श्रव्य सामग्री की व्यवस्था हो। उनका उचित प्रयोग किया जाए।
- गंभीर दृष्टि बाधित बच्चों के लिए श्रव्य सामग्री, टेप रिकॉर्डर आदि का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- कक्षा का वातावरण अच्छा हो, प्रकाश की उचित व्यवस्था हो तथा इनके बैठने के लिए उचित व्यवस्था की जानी आवश्यक है।
- कक्षा शिक्षण में अध्यापक हाव-भाव, संकेत आदि का प्रयोग किया जाना चाहिए।
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