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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2700
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा

प्रश्न- श्रवण बाधित बालकों की शिक्षा में अध्यापक की क्या भूमिका है?

उत्तर - 

किसी प्रकार के भी बालक हों—सामान्य हों या फिर विशिष्ट, सभी के लिए अध्यापक की भूमिका सर्वोपरि होती है। क्योंकि बालक विद्यालय समय में सबसे अधिक समय अध्यापक के संपर्क में ही व्यतीत करता है। अध्यापक अपने ज्ञान, अनुभव, शिक्षण विधि, प्रविधि एवं व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से बच्चों को ज्ञान व अनुभव प्रदान करता है।

जहाँ तक श्रवण बाधित बालकों का प्रश्न है, उनके लिए अध्ययन का उत्तरदायित्व और अधिक बढ़ जाता है। अध्यापक इन बच्चों पर विशेष ध्यान देने के आदी होते हैं, क्योंकि इन बालकों को सुनने में समस्या आती है, जिस कारण वे कक्षा में आसानी से नहीं समझ पाते हैं। इन्हें आसानी से समझने के लिए शिक्षकों को विभिन्न तकनीकों का प्रयोग कर इनकी सहायता करनी पड़ती है। जिससे वे कक्षा में आसानी से सीख सकें। इन बच्चों की शिक्षा के लिए अध्यापक को विभिन्न भूमिकाएँ व उत्तरदायित्व निभाने होंगे।

  1. सर्वप्रथम श्रवण बाधित बालकों की कक्षा में पहचान की जाए और उनकी सूचना माता-पिता को दी जाए, ताकि माता-पिता भी इन बच्चों को देख-रेख करें व चिकित्सक जाँच करा सकें।
  2. इन बच्चों को कक्षा में आगे की सीट पर बैठाया जाए, जिससे ये बच्चे सुन सकें या जो गंभीर रूप से बाधित हों वे ओठ पठन का सहारा लेकर सीख सकें।
  3. शिक्षक को पढ़ाने समय ऊँची आवाज़ तथा श्यामपट्ट का प्रयोग करना चाहिए, जिससे इन बच्चों को सीखने में आसानी हो।
  4. यदि आवश्यकता हो तो इनके शिक्षण के लिए दृश्य सामग्री की अधिक व्यवस्था व प्रयोग किया जाना चाहिए।
  5. अध्यापक के पाठ या शब्दों की पुनरावृत्ति करनी होगी, जिससे वे सुनकर समझ सकें।
  6. इन बच्चों के लिए शरीर संचालन, संकेत विधि द्वारा समझाया जाए।
  7. ऐसे बच्चों के लिखने व पढ़ने पर ध्यान दिया जाए।
  8. इन बच्चों का समय-समय पर निरीक्षण किया जाना चाहिए, ताकि गलतियों को ठीक किया जा सके।
  9. ऐसे बालकों को प्रोत्साहित किया जाए। कठिन शब्दों के लिए सामूहिक उच्चारण का सहारा लिया जाए।
  10. बाधिता के आधार पर श्रवण सहायक यंत्रों का प्रयोग किया जाए। इसका निरीक्षण किया जाए कि वे ठीक प्रकार से प्रयोग हो रहे हैं या नहीं।
  11. अध्यापक को इन बच्चों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखना होगा।
  12. इन बच्चों की प्रगति की सूचना माता-पिता को देना व ठीक मूल्यांकन करना।
  13. इन बच्चों के लिए धीमी गति से शिक्षण की आवश्यकता होती है। गति धीमी और संकेत का प्रयोग कर शिक्षण किया जाए।

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