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बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-A - समावेशी शिक्षा
प्रश्न- समावेशी शिक्षा में परिवार के योगदान से लाभ का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। प्रायः देखा जाता है कि जिस परिवार में माता-पिता सजग रहते हैं उनके बच्चों में भी सुधार रहता है। माता-पिता का कर्तव्य होता है कि वे बच्चों को शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति करियर परिवार असमर्थ बालकों को ठीक से प्रोत्साहित करें व उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करें तथा उनका सहयोग करें तो ऐसे बच्चे अपने में नींवों को अपनाने एवं शैक्षिक कार्य में रुचि बढ़ाने में सक्षम होते हैं।
सकारात्मक दृष्टिकोण - विभिन्न प्रकार के असमर्थ बालकों को परिवार, विद्यालय में समायोजन करने में असुविधा होती है। ऐसे बच्चों के लिए परिवार का स्वस्थ वातावरण होना आवश्यक है। ऐसे बच्चों को छोटे कार्यों पर उन्हें प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है। इन बच्चों को परिवार में ही तो सब सिखाया जाना चाहिए जिससे कि वे अपने को पूर्णतः न समझे और आत्मविश्वास के साथ जीवन व्यतीत करें। परिवार के द्वारा ही बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति होती है और उनकी अलग-अलग समस्याओं का समाधान होता है। यदि बच्चे की शैक्षिक व भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो रही है व समस्याओं का समाधान हो रहा है तो स्वाभाविक है कि बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ेगा, इस प्रकार के वातावरण से सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न होता है।
समाज विरोधी व्यवहार में कमी - असमर्थता व बाधित बालकों पर माता-पिता की सहभागिता रहती है। दैनिक क्रियाओं में माता-पिता सहयोग में संलग्न रहते हैं। परिवार की सहभागिता व संतुलनता के कारण बच्चों में आवश्यक मूल्यों व सामाजिक गुणों का विकास होता है। यह समाज विरोधी व्यवहार में न्यूनता लाती है। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वह इन बच्चों की दिनचर्या में कुछ समय अवश्य दें जिससे इन बच्चों में सकारात्मक दृष्टिकोण आए।
अधिगम एवं अध्ययन - माता-पिता की सहायता से इस प्रकार के बालक अध्ययन सीख सकते हैं, इनका अध्ययन के प्रति रुचि बढ़ती है। यदि माता-पिता अध्ययन में रुचि रखते हैं तो इसका लाभ बच्चों को अवश्य ही मिलता है।
विद्यालय उपस्थिति - परिवार व माता-पिता के सहयोग से छात्र की उपस्थिति पर प्रभाव पड़ता है। बालक के कार्यों में माता-पिता की रुचि लेना, स्कूल में उनकी बेहतर उपस्थिति के रूप में प्रदर्शित होता है।
पुनर्बलन - असमर्थ बालकों को सहायता देने व उन्हें प्रोत्साहित करने में परिवार व माता-पिता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। सहयोग देने तथा प्रोत्साहित करने वाले माता-पिता बालकों के लिए पुनर्बलन एक मजबूत प्रेरक स्रोत होते हैं।
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