बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
उत्तर -
शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक सिद्धान्तों के साथ-साथ व्यक्ति के व्यवहार का भी ध्यान करता है। शिक्षा मनोविज्ञान विधायक तथा व्यावहारिक विषय होने के कारण शैक्षिक सिद्धान्त तथा शैक्षिक प्रक्रिया दोनों ही के लिये महत्त्वपूर्ण है-
शिक्षा की सैद्धान्तिक दृष्टि से शिक्षा मनोविज्ञान का महत्त्व
शिक्षा की सैद्धान्तिक दृष्टि से शिक्षा मनोविज्ञान के महत्त्व को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-
1. बाल केन्द्रित शिक्षा के रूप में - शिक्षा की आधुनिक अवधारणा में बदलाव के कारण आज शिक्षा को पाठ्यक्रम या शिक्षक केन्द्रित न मानकर बाल केंद्रित माना जाता है और इस अवधारणा को विकसित करने में शिक्षा मनोविज्ञान की विशेष भूमिका है। जॉन एडम्स ने कहा है कि, "अध्यापक को केवल लैटिन ही नहीं जान लेना है बल्कि साथ ही विद्यार्थियों को भी जानना है जिसे वह पढ़ाता है।"
2. पाठ्यचर्या के सम्बन्ध में - प्राचीन काल में पाठ्यचर्या बनाते समय बालक की आवश्यकता, रुचि तथा समस्याओं को ध्यान में नहीं रखा जाता था किन्तु आधुनिक युग में पाठ्यचर्या पूर्णत: मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित है। आज पाठ्यचर्या निर्धारण करते समय बालकों के मानसिक विकास, आयु, आवश्यकता, रुचि तथा अभिक्षमताओं को ध्यान में रखा जाता है।
3. शिक्षण प्रणाली के सम्बन्ध - शिक्षण के क्षेत्र में किण्डरगार्टेन, माण्टेसरी एवं प्रोजेक्ट इत्यादि अनेक शिक्षण सिद्धान्तों व विधियों का जन्म शिक्षा मनोविज्ञान के प्रयोगों के द्वारा ही हुआ है। आज गणित तथा इतिहास से अरुचिकर लगने वाले विषयों को बड़े ही रोचक ढंग से पढ़ाया जा रहा है।
4. स्मृति तथा अवधान के सम्बन्ध में - शिक्षा मनोविज्ञान के आधुनिक प्रयोगों ने स्मृति तथा अवधान के सम्बन्ध में नवीन दृष्टिकोण विकसित करने में सफलता हासिल की है। आज कक्षा तथा पाठ्यक्रम में बालकों का अवधान आकर्षित करना शिक्षा में केन्द्रीय विषय माना जाता है।
5. समस्यात्मक बालकों के सम्बन्ध में - कक्षा में कुछ समस्यात्मक बालक भी होते हैं। ऐसे बालकों के लिये मानसिक चिकित्सा या उपचार आवश्यक है। मनोविज्ञान बालक को कभी भी समस्यात्मक मानने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि शिक्षा मनोविज्ञान बालक के असामाजिक व्यवहार के कारण जानने की चेष्ठा करता है।
शैक्षिक प्रक्रिया की दृष्टि से शिक्षा मनोविज्ञान का महत्त्व
शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है इस दृष्टिकोण से शिक्षक के लिये शिक्षा मनोविज्ञान का विशेष महत्त्व है। एलिस क्रो के अनुसार, "शिक्षकों को अपने शिक्षण में उन मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग करने के लिये तैयार रहना चाहिये जो सफल शिक्षण और प्रभावशाली अधिगम के लिये अनिवार्य हैं।"
शैक्षिक प्रक्रिया में शिक्षा मनोविज्ञान के महत्त्व को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-
1. बालक की आवश्यकता के सम्बन्ध में - बालक की कुछ मौलिक आवश्यकताएँ एवं समस्याएँ होती हैं; जैसे-स्नेह एवं सुरक्षा, जिज्ञासा, दूसरे बालकों से सम्पर्क, भय, सामाजिक प्रतिष्ठा, आत्म अभिव्यक्ति इत्यादि को जानना प्रत्येक शिक्षक के लिये आवश्यक है।
2. सीखने के उद्देश्यों के सम्बन्ध में - शैक्षिक प्रक्रिया में सीखने के उद्देश्यों का विशेष महत्त्व होता हैं। बिना उद्देश्यों के प्रक्रिया का कोई मतलब नहीं होता है। शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक उद्देश्यों को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान के बिना शैक्षिक उद्देश्यों का निर्धारण सम्भव नहीं है और जब तक शैक्षिक उद्देश्यों का निर्धारण नहीं होगा तब तक शैक्षिक प्रक्रिया नहीं बढ़ सकती।
3. वैयक्तिक विभिन्नता के सम्बन्ध में - शैक्षिक प्रक्रिया में बालक केन्द्रीय बिन्दु होता है और प्रत्येक बालक दूसरे बालक से किसी-न-किसी रूप में भिन्नता रखता है। इस वैयक्तिक विभिन्नता का ज्ञान, बिना शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान के हो ही नहीं सकता और जब तक शिक्षक कक्षा के बालकों की वैयक्तिकता से परिचित नहीं होगा तब तक शिक्षा की प्रक्रिया सफलतापूर्वक आगे नहीं बढ़ सकती।
4. अधिगम के सम्बन्ध में - शिक्षा मनोविज्ञान, अधिगम की प्रकृति, स्थितियों, परिणामों तथा मूल्यांकन से सम्बन्धित जानकारी प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण है। अधिगम के विभिन्न सिद्धान्तों को जानकर विद्यार्थियों की अधिगम आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में शिक्षा मनोविज्ञान मदद करता है।
5. अभिप्रेरणा के सम्बन्ध में - शैक्षिक प्रक्रिया की सफलता का आधार ही अभिप्रेरणा है बिना अभिप्रेरित किये हम बालक को कुछ भी नहीं सिखा सकते। बालक को अभिप्रेरित करने पर ही उसमें सीखने के प्रति रुचि उत्पन्न की जा सकती है। बिना इच्छा को जाग्रत किये बालक को अध्ययन की क्रिया में संलग्न नहीं किया जा सकता। बालकों को सीखने के लिये कैसे तैयार किया जाये उन्हें कैसे अभिप्रेरित किया जाये? इसका ज्ञान शिक्षा मनोविज्ञान के बिना नहीं प्राप्त किया जा सकता।
6. मूल्यांकन के सम्बन्ध में - शिक्षण की सफलता तथा विद्यार्थियों के अधिगम के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये शिक्षणकर्त्ता को मूल्यांकन की तकनीकी जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। विद्यार्थियों के सीखने के प्रयासों का परिणाम पता चलने पर शिक्षण प्रक्रिया की सफलता तथा असफलता का सही-सही आंकलन किया जा सकता है तथा उसमें अपेक्षित सुधार किये जा सकते हैं। मूल्यांकन की तकनीकी जानकारी को प्राप्त करने के लिये शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
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- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
- प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
- प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
- प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
- प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
- प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने क्या है?
- प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
- प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन-से हैं?
- प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से क्या तात्पर्य है? इसके स्वरूप तथा प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मक की परिभाषाएँ बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता के स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से आप क्या समझते हैं? अपने शिक्षण को अधिक सृजनशील बनाने हेतु आप क्या करेंगे? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता की परिभाषा दीजिए तथा सृजनात्मक छात्रों का पता लगाने की विधि स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता एवं समस्या समाधान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कक्षा वातावरण किस प्रकार विद्यार्थियों की सृजनात्मकता के विकास को प्रभावित करता है? सृजनात्मकता को विकसित करने हेतु आप ब्रेनस्टार्मिंग का प्रयोग कैसे करेंगे?
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समूह कारक या संघसत्तात्मक सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के बहु-प्रकारीय सिद्धान्त की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (बुद्धि एवं सृजनात्मकता )
- प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के लक्षणों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन हैं?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समूह चर्चा से आपका क्या अभिप्राय है? समूह चर्चा के उद्देश्य एवं मान्यताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व मूल्यांकन की प्रश्नावली विधि को समझाइए।
- प्रश्न- व्यक्तित्वं मूल्यांकन की अवलोकन विधि से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ बताइए तथा छात्रों की मानसिक अस्वस्थता के क्या कारण हैं? शिक्षक उन्हें दूर करने में उनकी सहायता कैसे कर सकता है?
- प्रश्न- बालकों के मानसिक अस्वस्थता के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- बालकों के मानसिक स्वास्थ्य में उन्नति के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के विचार को स्पष्ट कीजिए। विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
- प्रश्न- विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-सी विशेषता होती है?
- प्रश्न- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-कौन-सी विशेषताएँ होती हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के उपायों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख तत्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालक के मानसिक स्वास्थ्य के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका होती है?
- प्रश्न- बालक के मानसिक स्वास्थ्य में उसके कुटम्ब का क्या योगदान है?-
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानसिक स्वच्छता क्या है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तित्व )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानसिक स्वास्थ्य)