बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
उत्तर -
मनुष्य एक अधिगमशील प्राणी है और अधिगम की प्रक्रिया उसके जन्म से नहीं बल्कि जन्म से पूर्व माँ के गर्भ से प्रारम्भ हो जाती है। प्रारम्भ में शिशु बिल्कुल असहाय और पराश्रित होता है किन्तु धीरे-धीरे वह अपने को वातावरण के अनुकूल समायोजित करने का प्रयत्न करता है। इस समायोजन में जिस क्रिया से वह अनुभवों से अधिक लाभ उठाने की चेष्टा करता है, उसे मनोवैज्ञानिकों ने अधिगम कहा है और चेष्टा करने वाले को अधिगमकर्त्ता।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, अधिगम एक मानसिक क्रिया है। मानसिक क्रिया की अभिव्यक्ति व्यवहारों के द्वारा होती है और मानव व्यवहार का अध्ययन करने वाली शाखा को मनोविज्ञान कहा जाता है। इस प्रकार से अधिगमकर्त्ता तथा मनोविज्ञान में मूलभूत सम्बन्ध होता है।
मनोविज्ञान तथा अभिगमकर्त्ता - आज मनोविज्ञान ने अधिगमकर्त्ता (बालक) के प्रति नवीन दृष्टिकोण प्रदान करके शिक्षा को बालकेन्द्रित बना दिया है। पहले शिक्षा विषय प्रधान, अध्यापक एवं अध्ययन-प्रधान हुआ करती थी किन्तु आज मनोविज्ञान के प्रभाव के कारण शिक्षा का अभिप्राय केवल विषय, अध्यापक एवं अध्यापन तक सीमित नहीं है। पेस्टालॉजी के अनुसार, "शिक्षा का मुख्य लक्ष्य अध्यापन नहीं बल्कि विकास है।" अर्थात् बालक की जन्मजात शक्तियों का स्वाभाविक, प्रगतिशील और स्मरण विकास है। अतः शिक्षक को व्यक्तित्व विकास सम्बन्धी सभी बातों का ज्ञान होना आवश्यक है। रूसो ने कहा है, "बालक एक ऐसी पुस्तक के समान है जिसे शिक्षक को भली-भाँति पढ़ना है।" अधिगमकर्त्ता के विकास में तभी योग दिया जा सकता है जबकि मनोविज्ञान का तथा मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का पूर्ण ज्ञान हो। अधिगमकर्त्ता के लिये शिक्षा योजना, रुचि, मूल प्रवृत्ति, रुझान, क्षमता, योग्यता आदि को ध्यान में रखकर बनाने में मनोविज्ञान ही सहायता कर सकता है।
अधिगम का मनोवैज्ञानिक आधार - अधिगम के विभिन्न आधारों में मनोवैज्ञानिक आधार पर सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। मनोवैज्ञानिक आधार से तात्पर्य यह है कि अधिगम बालक की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं और विशेषताओं पर आधारित होना चाहिये। अधिगम या शिक्षा प्रदान करते समय बालक की प्रकृति, रुचि, क्षमता, योग्यता तथा विकास की अवस्थाओं इत्यादि का ध्यान रखना आवश्यक है। मनोविज्ञान केवल अधिगमकर्त्ता पर ही अपना ध्यान केन्द्रित नहीं रखता वरन् समूह के अधिगमकर्त्ता का आचरण कैसा होता है, इसका भी अध्ययन करता है।
अधिगमकर्त्ता की विभिन्न अवस्थाएँ एवं मनोविज्ञान - बाल विकास की विभिन्न अवस्थाओं शैशव, बाल्य तथा किशोरावस्था का अध्ययन मनोविज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है और इन अवस्थाओं में पायी जाने वाली शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक और सामाजिक विशेषताओं के अनुरूप अधिगम की प्रक्रिया एवं स्वरूप निर्धारित किया जाता है। मनोविज्ञान के अन्तर्गत अधिगमकर्त्ता के विभिन्न अवस्थाओं की शारीरिक विकास की विशेषताओं के अध्ययन के साथ उनके संवेदन, प्रत्यक्षीकरण, निरीक्षण, ध्यान, रुचि, प्रेरणा, स्मृति, विस्मृति, कल्पना, चिन्तन, तर्क, निर्णय एवं वृद्धि इत्यादि का अध्ययन किया जाता है। साथ ही अधिगमकर्त्ता के संवेगों, उनके स्थायी भाव, मूल वृत्तियों, मनो-ग्रन्थियों, सहज प्रवृत्तियों, सामाजिक विकास, खेल-कूद, चारित्रिक क्रियाओं का भी अध्ययन किया जाता है। अधिगमकर्त्ता की वैयक्तिक विभिन्नताओं, उनके मानसिक स्वास्थ्य तथा उसको प्रभावित करने वाले कारक, अधिगमकर्त्ता का व्यवहार तथा समायोजन सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन मनोविज्ञान के अध्ययन का विषय है।
अधिगम प्रक्रिया एवं मनोविज्ञान - सीखने का जीवन में बहुत महत्त्व है। सीखना उत्तेजना अनुक्रिया का परिणाम है। वातावरण में जो उत्तेजनाएँ होती हैं उनके प्रति बालक प्रारम्भ से ही अनुक्रियाएँ करने लगता है जोकि मूल प्रवृत्यात्मक होती हैं। मनोवैज्ञानिक अनुभवों सिद्धान्तों के द्वारा इन अनुक्रियाओं में परिवर्तन और परिमार्जन किया जाता है। धीरे-धीरे अधिगमकर्त्ता परिष्कृत प्रतिक्रियाएँ करना सीख जाता है परिणामस्वरूप वह समाज में अपने आपको समायोजित कर पाता है। मनोवैज्ञानिक प्रयोगों के द्वारा इस बात का पता लगता है कि सीखने की कौन-सी विधि विशेष उपयोगी है। साथ ही यह पता चलता है कि तथ्य, सीखने के सिद्धान्त, सीखने के नियम, सीखने की विभिन्न विधियों तथा सीखने में पुरस्कार एवं दण्ड का क्या महत्त्व है, सीखने की प्रक्रिया में अधिगम, स्थानान्तरण, प्रेरणा, स्मृति, विस्मृति इत्यादि का क्या स्थान है?
मनोवैज्ञानिक जैसे चिन्तन, प्रत्यय, निर्माण, तर्क, समस्या समाधान, प्रेरणा, स्मृति, विस्मृति, अधिगम स्थानान्तरण इत्यादि का मनोविज्ञान में बहुत महत्त्व है। बौद्धिक एवं मानसिक विकास तथा अधिगम की प्रक्रिया को भली-भाँति संचालित करने के लिये इनका विकास आवश्यक होता है।
अधिगमकर्त्ता में सृजनात्मक प्रवृत्ति का विकास करना तथा रचनात्मक कार्यों के माध्यम से शिक्षा देना मनोविज्ञान के द्वारा ही सम्भव है।
उपरोक्त विवचेना के आधार पर कह सकते हैं कि अधिगमकर्त्ता तथा मनोविज्ञान का सीधा एवं घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। शिक्षा या अधिगम की प्रक्रिया मनोविज्ञान तथा मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित होती है। मनोविज्ञान के ज्ञान के अभाव में अधिगमकर्त्ता का सही ढंग से न तो अधिगम कराया जा सकता है और न ही अधिगम की प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों से बचा जा सकता है।
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- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
- प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
- प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
- प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
- प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
- प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने क्या है?
- प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
- प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन-से हैं?
- प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से क्या तात्पर्य है? इसके स्वरूप तथा प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मक की परिभाषाएँ बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता के स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से आप क्या समझते हैं? अपने शिक्षण को अधिक सृजनशील बनाने हेतु आप क्या करेंगे? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता की परिभाषा दीजिए तथा सृजनात्मक छात्रों का पता लगाने की विधि स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता एवं समस्या समाधान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कक्षा वातावरण किस प्रकार विद्यार्थियों की सृजनात्मकता के विकास को प्रभावित करता है? सृजनात्मकता को विकसित करने हेतु आप ब्रेनस्टार्मिंग का प्रयोग कैसे करेंगे?
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समूह कारक या संघसत्तात्मक सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के बहु-प्रकारीय सिद्धान्त की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (बुद्धि एवं सृजनात्मकता )
- प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के लक्षणों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन हैं?
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- प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
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- प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बताइये।
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- प्रश्न- मानसिक स्वच्छता क्या है?
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