बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र
प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर -
मणिपुर का कशीदा
(Embroidary of Manipur)
इस प्रदेश में कई पहाड़ी और घाटियाँ हैं। इस प्रदेश में बहुत मात्रा में भोजन होता है और यह धनी प्रदेश के रूप में जाना जाता है। यह इसके नृत्य और संगीत के लिए प्रसिद्ध है।
मणिपुर के एक ओर भारत है और दूसरी ओर पश्चिमी देश है। अतः इसके कशीदे में दो परम्पराओं और दो संस्कृतियों का समावेश है।
मणिपुर के निवासी कई विभिन्न कलाओं में पारंगत होते हैं। वह नृत्य और संगीत के साथ-साथ सौन्दर्य की वस्तुओं में भी रुचि लेते हैं और उनमें यह योग्यता रहती है कि वह सुन्दर वस्तुओं का सृजन कर सकें। मणिपुर का कशीदा महिलाओं द्वारा किया जाता है और वे बहुत महीन कशीदा करती हैं। यह सारंग पर कशीदा करती हैं। इस सारंग को फ्रेनिक कहा जाता है। यह महिलाओं द्वारा ही बुना जाता है। इसमें केवल किनारों पर कशीदा किया जाता है। जब फ्रेनिक को बुना जाता है तब उसकी किनार को काले रंग का छोड़ दिया जाता है और फिर इस काले किनारे पर कशीदा किया जाता है। यह चमकदार रेशमी धागों का उपयोग कशीदे हेतु करते हैं। यह पहले किनारे पर नमूने को अंकित कर लेते हैं। अधिकांश नमूने वृत्ताकार होते हैं उन्हें अकोबी कहा जाता है। पूर्ण नमूना वृत्ताकार होता है। एक वृत्त के बाद दूसरा वृत्त, इस प्रकार के नमूने बनाये जाते हैं। कभी-कभी अलग-अलग नमूने वृत्त में बनाये जाते हैं। प्रत्येक नमूने की अपनी विशिष्टता होती है।
मणिपुर के कुछ विशिष्ट कशीदे इस प्रकार हैं-
(1) हिपी माणक ( Hipy Manek ) - इस नमूने का अर्थ है - जहाज। यह कहा जाता है कि करीब 950 ई० पू० में एक प्रसिद्ध कारीगर ने लकड़ी को काटकर जहाज बनाया। इस जहाज पर बहुत सुन्दर नक्काशी की। यह जहाज बहुत सुन्दर था और उसने इसे राजा को भेंट किया। राजा इसे देखकर बहुत आश्चर्यचकित हुआ और उसने इस नमूने का ऐसा ही फ्रेनिक के ऊपर बनवाया।
(2) हिजय माणक (Hijay Manek ) – यह प्राचीन समय में बनाया जाता था। यह वृद्धावस्था व विधवा स्त्रियों का प्रतीक माना जाता था।
उपरोक्त दोनों वस्त्रों में रेशमी कसीदा किया जाता था और बारीक सेटिन टाँके का उपयोग किया जाता था। अकोबी में लाल के दो शेड उपयोग में लाये जाते थे। कभी-कभी काला और सफेद रंग भी उपयोग में लाया जाता है।
हिजय माणक का नमूना पूरे वस्त्र पर बनाया जाता है। इसमें काला और सफेद रंग उपयोग में लाया जाता है।
अन्य प्रकार के कसीदे हैं-
(1) लेम्फी (Lamphies) – यह युद्ध के उद्देश्य से बनाया जाने वाला वस्त्र है। यह घरेलू महिलाओं द्वारा बुना जाता है। यह शॉल होती है जिस पर ऐसे व्यक्तियों द्वारा कशीदा किया जाता है जो कि राजा के वफादार होते थे।
(2) निंगदौफी ( Ningthouphee ) — यह केवल राजाओं द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला वस्त्र है।
(3) सैजोइम्बा (Saijoimba ) – यह एक लम्बा कोट होता है। इसे राजा हेतु बनाया जाता है और इस पर विशिष्ट कशीदा किया जाता है।
(4) फिरेनेम्बा (Phiranamba) - यह झण्डा होता है जिस पर कशीदा किया जाता है।
(5) एप्लिक वर्क (Applique Work ) — यह सफेद वस्त्रों पर सफेद वस्त्रों के ही पैबन्द लगाकर बनाया जाता है। यह एप्लिक का काम मणिपुर में बहुत प्रचलित है। यह एक विशिष्ट प्रकार के पर्दे पर बनाया जाता है जो कि माता के द्वारा पुत्री के विवाह के अवसर पर दिया जाता है।
रास का परिधान (Ras Dress) – यह एक विशेष ड्रेस है जो कि घाघरा के समान होती है। इसे कुमिल कहा जाता है। इससे बहुत अधिक घेर होता है। इसके कशीदा में काँच भी लगाया जाता है। यह विशेष रूप से सौराष्ट्र में उपयोग में लाया जाता है। कुमिल की किनार पर अकोबी जैसा नमूना बनाया जाता है। इसे लाल, पीले वस्त्र पर लाल रंग से एप्लिक किया जाता है और साथ ही काँच का कार्य भी किया जाता है।
छंबा रूमाल (Chamba Rumals) — काली चादर को जानवरों के नमूने से कशीदा किया जाता है। यह कार्य मोटे सूती धागों से किया जाता है। यह चादर ही छम्बा रूमाल कहलाती है। विवाह के समय दोनों पक्षों द्वारा सभी उपहार को इस रूमाल से ढककर एक-दूसरे को दिया जाता है। इस रूमाल में कृष्ण, नाचती हुई गोपियाँ आदि बनाई जाती हैं। यह कच्चे रेशमी धागों से बनाया जाता है। इसके लिए उपयोग किया जाने वाला वस्त्र हल्के पीले रंग का होता है जो कि हाथ का बुना खद्दर होता है। इसमें सैटिन टाँके का उपयोग किया जाता है और दोनों तरफ एक समान बनाया जाता है। इसमें सैटिन टाँके से भरने के बाद बाह्य रेखा काले धागे से उल्टी बखिया द्वारा बनाई जाती है।
वर्तमान समय में भी इस कशीदे को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जा रहा है।
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