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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2694
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई
(Chamba Embroidery of Himachal Pradesh)

हिमाचल (हिम + आंचल) सुन्दर घाटियों, पहाड़ियों एवं हरे-भरे जंगलों का प्रदेश है। यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता अनोखी, मनोहरी एवं छटा बिखेरने वाली है। हिमाचल के चम्बा (Chamba) क्षेत्र में की जाने वाली कढ़ाई को "चम्बा कढ़ाई" (Chamba Embroidery) कहते हैं। इसे "पहाड़ी” (Pahari) या "कागरा" कढ़ाई भी कहते हैं।

हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई यहाँ की पारम्परिक कढ़ाई कला है। इस कला का प्रादुर्भाव 10वीं शताब्दी से पूर्व में ही हो चुका था। 11वीं शताब्दी में जब मोहम्मद गजनी ने हिमाचल के "कांगा किला" को जीता था तो वह वहाँ के कढ़े वस्त्रों को अपने साथ अपने देश ले गया था। उस समय कांगा स्कूल सिलाई, कढ़ाई एवं पेंटिंग के लिए काफी प्रसिद्ध था। हिमाचल की चम्बा कढ़ाई इतनी सुन्दर थी कि रोमवासियों ने इस कला को "सूई पेटिंग" (Needle Painting) नाम दिया। सुभासिनी आर्य एवं ओ० सी० ओहरी के अनुसार, “ This embroidery depicts a fine, delicate, perfect manual work be fitting called as "Needle Miniature of Himachal" or "Pahari Rumal.”

15वीं शताब्दी तक इस कढ़ाई कला का काफी विकास हो गया था। एक लोक कथा के अनुसार, गुरुनानक की बहन बेबी नानक ने (Bebe Nanak) ने गुरुनानक की शादी पर "चम्बा का रूमाल" उन्हें भेंट दिया था। यह रूमाल क्रीम रंग के वस्त्र पर रंग-बिरंगे फूल, पेड़-पौधे, बकरी एवं हिरण के नमूने अत्यन्त कुशलता एवं प्रवीणतापूर्वक कढ़े हुए थे। यह . रूमाल आज भी गुरुदासपुर के गुरुद्वारे में देखा जा सकता है।

हिमाचल प्रदेश के महाराजा उम्मेदसिंह एवं उनके पुत्र को भी चम्बा का यमाल अत्यन्त प्रिय था। अतः उन्होंने अपने शासनकाल में इस कला को काफी बढ़ाया।

हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई अत्यन्त उत्कृष्ट श्रेणी की होती है। इसमें नमूने जो काढ़े जाते हैं वे अत्यन्त सुन्दर, अद्वितीय एवं अलौकिक होते हैं। वहाँ की लगभग सभी महिलायें कढ़ाई कला में निपुण एवं कुशल होती हैं। वहाँ की कढ़ाई में प्राकृतिक चित्रण, सामाजिक रीति-रिवाजों एवं परम्पराओं की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है। चम्बा रूमाल पर भारत की पौराणिक गाथाओं पर आधृत नमूने भी चित्रित रहते हैं। महाभारत, रामायण, रासलीला, कृष्णलीला, राम-विवाह, चौपड़ आदि के चित्रों को बहुत ही कुशलतापूर्वक काढ़ा जाता है जिससे सम्पूर्ण वस्त्र ही जीवंत हो उठता है।

चम्बा की रूमाल अपनी उत्कृष्ट कढ़ाई, नमूने एवं रंग संयोजन के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। रूमाल के मध्य में कृष्णलीला के चित्र काढ़े जाते हैं। रूमाल के बोर्डर में फूल-पत्तियों के नमूने बने होते हैं। चम्बा रूमाल विशेषकर पूजा की थाल को ढकने में काम आती है।

चम्बा की कढ़ाई टसर सिल्क (Tassar Silk) तथा सूती वस्त्रों पर की जाती है। चटक रंग के रेशमी धागों से नमूने काढ़े जाते हैं। वस्त्रों की पृष्ठभूमि हल्के रंग (क्रीम, सफेद) की रखी जाती है जिस पर अत्यन्त सुन्दर एवं रंग-बिरंगे चटकीले रंगों के धागों से कढ़ाई की. जाती है। आजकल ऑरगेन्डी, संश्लेषित एवं मिश्रित वस्त्रों पर भी कढ़ाई होने लगी है।

चम्बा की रूमाल में नमूने अधिकांशतः प्रकृति से लिये जाते हैं, जैसे- दहाड़ता शेर, दौड़ती बकरी, कुलांचे भरता हिरण, नाचते मोर, झूमता हाथी, दौड़ता घोड़ा आदि के चित्रों को वस्त्र पर काढ़ा जाता है। नमूने को दोहरे सैटिन टाँके (Double Satin Stitch) द्वारा भरे जाते हैं। कढ़ाई वस्त्र के दोनों ओर एकसमान दिखती है। कढ़ाई सूत में गाँठें लगाकर प्रारम्भ नहीं कीजाती है। कढ़ाई में इतनी सफाई (Neatness) एवं सूक्ष्मता रहती है कि वस्त्र का उल्टा एवं सीधा पक्ष पहचानना कठिन हो जाता है।

हिमाचल की कढ़ाई में निम्नांकित प्रसंगों (Theme) पर मुख्य रूप से नमूने काढ़े जाते

1. रासमण्डल - रासमण्डल के नमूने को वस्त्र पर अत्यन्त उत्कृष्टता के साथ अंकित किया जाता है। इस नमूने में भगवान विष्णु पद्म (कमल) पर बैठे होते हैं। कमल में चार दल (भुजाएँ) होती हैं। प्रत्येक दल में भगवान विष्णु को उनके अस्त्र-शस्त्रों से सजाया जाता है। कमल के एक दल (भुजा) में शंख, दूसरे में गदा, तीसरे में कमल का फूल और चौथे में सुदर्शन चक्र (Sudarshan Chakra) रहता है। परन्तु इस नमूने में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्पष्ट नहीं होती है और कभी-कभी यह एक चिड़िया की तरह दिखाई देता है। वस्त्र के रिक्त स्थानों को फूल-पत्तियों और गुलदस्ते के नमूनों से सजाया जाता है।

2. समुद्र मंथन (Samudra Manthan ) – इस नमूने में समुद्र मंथन के चित्रों को काढ़ा जाता है। समुद्र मंथन सुरों एवं असुरों के द्वारा किया गया था। इसमें मेरू पर्वत की मथानी (Churning Rod) एवं सर्प वासुकी (Vasuky) को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया था। समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे जिसमें से विष एवं अमृत भी था। इसी समुद्र मंथन का चित्रण चम्बा की रूमाल पर किया जाता है। हिमाचल प्रदेश में समुद्र मंथन (Samudra Manthan) का सबसे बड़ा नमूना आज भी देखा जा सकता है। इसकी लम्बाई. 8 फीट तथा चौड़ाई 2 फीट है।

3. कालिया दमन (Kalia Daman ) - इस नमूने में कालिया दमन के चित्रों को काढ़ा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण यमुना नदी में कूदकर विषधर कालिया नाग के फन पर नाचते हैं। फलत: कालिया समुना को छोड़कर अन्यत्र समुद्र में निवास करने चला जाता है।

4. कुरुक्षेत्र युद्ध (Kurushetra Yudh) – महाभारत की लड़ाई “कुरुक्षेत्र युद्ध” (Kurushetra Yudh) का दृश्य भी चम्बा के रूमालों में देखने को मिलता है। युद्ध के नमूनों को विस्तारपूर्वक वस्त्र पर काढ़ा जाता है। इसमें श्रीकृष्ण अर्जुन के रथ पर पांडवों के साथ बायीं ओर, कौरव दल दायीं ओर तथा मध्य में अभिमन्यु को चक्रव्यूह भेदते हुए दिखाया जाता है, के नमूनों को वस्त्र पर काढ़ा जाता है।

5. अष्ट नायिका ( Astha Nayika ) – इन नमूनों में 8 नायक ( Hero) एवं 8 नायिकाओं (Heroine) के चित्रों को, जो विभिन्न मुद्राओं (Moods) में होती हैं, वस्त्र पर अंकित किया जाता है।

6. रुक्मिणी हरण ( Rukmani Haran ) - रुक्मिणी हरण के चित्रों का विस्तृत विवरण इस रूमाल पर किया जाता है। इसमें रुक्मिणी का श्रीकृष्ण के साथ विवाह के पूर्ण प्रसंग को उजागर किया जाता है। इसमें रुक्मिणी सज-धजकर देवी पूजन के लिए सहेलियों के साथ देवी मन्दिर में जाती है। रूक्मिणी का भाई रुक्म अपनी बहन की शादी में व्यस्त हैं। सहेलियाँ मंगल गीत गाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी को देवी मन्दिर से ही रथ पर बिठाकर ले जाते हैं तथा विधि-विधान से श्रीकृष्ण रुक्मिणी के साथ विवाह करते हैं, पुजारी मंत्र उच्चारण करते हैं, इन सारे चित्रों को रूमाल पर अत्यन्त सूक्ष्मता, महीनता एवं सफाई से काढ़ा जाता है।

7. मिंजर मेला जुलूस ( Minjar Mela Julus ) — हिमाचल प्रदेश का मिंजर मेला काफी प्रसिद्ध है। इसी मेले का चित्रण रूमाल पर किया जाता है।

चम्बा कढ़ाई के दुर्लभ, उत्कृष्ट एवं अद्वितीय नमूने, आज भी संग्रहालयों में सुरक्षित रखे हैं, देखे जा सकते हैं। 15वीं शताब्दी के गुरुनानक देव के विवाह के अवसर पर उनकी बहन बेबी नानक द्वारा दिया गया उपहार गुरूदासपुर के गुरुद्वारा में देखा जा सकता है। सम्भवतः चम्बा कढ़ाई का पहला नमूना जिसमें कुरुक्षेत्र की लड़ाई का चित्रण मिलता है, उसे चम्बा के राजा गोपालसिंह ने ब्रिटिश साम्राज्य को भेंट दिया था, आज भी विक्टोरिया एवं एल्बर्ट म्यूजियम, लंदन, में देखा जा सकता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- डिजाइन के तत्वों से आप क्या समझते हैं? ड्रेस डिजाइनिंग में इसका महत्व बताएँ।
  2. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्तों से क्या तात्पर्य है? गारमेण्ट निर्माण में ये कैसे सहायक हैं? चित्रों सहित समझाइए।
  3. प्रश्न- परिधान को डिजाइन करते समय डिजाइन के सिद्धान्तों को किस प्रकार प्रयोग में लाना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।
  4. प्रश्न- "वस्त्र तथा वस्त्र-विज्ञान के अध्ययन का दैनिक जीवन में महत्व" इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
  5. प्रश्न- वस्त्रों का मानव जीवन में क्या महत्व है? इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- गृहोपयोगी वस्त्र कौन-कौन से हैं? सभी का विवरण दीजिए।
  7. प्रश्न- अच्छे डिजायन की विशेषताएँ क्या हैं ?
  8. प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- डिजाइन के तत्व बताइए।
  10. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- अनुपात से आप क्या समझते हैं?
  12. प्रश्न- आकर्षण का केन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अनुरूपता से आप क्या समझते हैं?
  14. प्रश्न- परिधान कला में संतुलन क्या हैं?
  15. प्रश्न- संरचनात्मक और सजावटी डिजाइन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- फैशन के प्रेरक एवं बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिये।
  18. प्रश्न- फैशन चक्र से आप क्या समझते हैं? फैशन के सिद्धान्त समझाइये।
  19. प्रश्न- परिधान सम्बन्धी निर्णयों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
  20. प्रश्न- फैशन के परिप्रेक्ष्य में कला के सिद्धान्तों की चर्चा कीजिए।
  21. प्रश्न- ट्रेंड और स्टाइल को परिभाषित कीजिए।
  22. प्रश्न- फैशन शब्दावली को विस्तृत रूप में वर्णित कीजिए।
  23. प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।
  24. प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।
  25. प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
  26. प्रश्न- वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाला कारक फैशन भी है। स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- प्रोत / सतही प्रभाव का फैशन डिजाइनिंग में क्या महत्व है ?
  28. प्रश्न- फैशन साइकिल क्या है ?
  29. प्रश्न- फैड और क्लासिक को परिभाषित कीजिए।
  30. प्रश्न- "भारत में सुन्दर वस्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। " विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मलमल किस प्रकार का वस्त्र है? इसके इतिहास तथा बुनाई प्रक्रिया को समझाइए।
  33. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  34. प्रश्न- कश्मीरी शॉल की क्या विशेषताएँ हैं? इसको बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।.
  35. प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?
  36. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- ब्रोकेड के अन्तर्गत 'बनारसी साड़ी' पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- बाँधनी के प्रमुख प्रकारों को बताइए।
  40. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।
  41. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- राजस्थान के परम्परागत वस्त्रों और कढ़ाइयों को विस्तार से समझाइये।
  43. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- पटोला वस्त्र से आप क्या समझते हैं ?
  45. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- बांधनी से आप क्या समझते हैं ?
  47. प्रश्न- ढाका की साड़ियों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  48. प्रश्न- चंदेरी की साड़ियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
  49. प्रश्न- उड़ीसा के बंधास वस्त्र के बारे में लिखिए।
  50. प्रश्न- ढाका की मलमल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
  52. प्रश्न- भारत में वस्त्रों की भारतीय पारंपरिक या मुद्रित वस्त्र छपाई का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत के पारम्परिक चित्रित वस्त्रों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- गर्म एवं ठण्डे रंग समझाइए।
  55. प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
  56. प्रश्न- परिधानों में बल उत्पन्न करने की विधियाँ लिखिए।
  57. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  62. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए: (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  63. प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  65. प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  66. प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतवर्ष की प्रसिद्ध परम्परागत कढ़ाइयाँ कौन-सी हैं?
  68. प्रश्न- सुजानी कढ़ाई के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  69. प्रश्न- बिहार की खटवा कढ़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- फुलकारी किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- शीशेदार फुलकारी क्या हैं?
  72. प्रश्न- कांथा कढ़ाई के विषय में आप क्या जानते हैं?
  73. प्रश्न- कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले टाँकों का महत्व लिखिए।
  74. प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
  75. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- जरदोजी पर टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
  78. प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  79. प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

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