लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2694
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।

अथवा
ब्रोकेड्स से आप क्या समझती हैं? इसका उत्पादन किन क्षेत्रों में किया जाता है।
अथवा
ब्रोकेड्स क्या है? इसके विभिन्न प्रकारों को समझाइए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
परम्परागत ब्रोकेड कितने प्रकार के हैं? टिप्पणी कीजिए।

उत्तर -

ब्रोकेड शब्द लैटिन भाषा के ब्रोकस (Brochus ) शब्द से लिया गया हैं जिसका अर्थ है नुकीले शस्त्र से छेदना। जो वास्तविक स्वर्ण ब्रोकेड है उसे ख्वाब नाम दिया है। ब्रोकेड पहले पश्चिमी देशों किन काब (Kin kab) और सिन काब (cin cob) कहा जाता था यद्यपि किन ख्वाब कार्य शब्द के उद्गम के विषय में बताना कठिन है लेकिन किन (kin) व काम (kam) इस बात के सूचक हैं कि इनका आपस में सम्बन्ध परशिया, अरब, स्पेन और भारत से है। विचारों और संकल्पनाओं के आधार पर ब्रोकेड एक मोटा वस्त्र है, इसकी बुनाई कपड़े की सतह पर फेंककर उभार कर बनाई जाती है अर्थात् इसमें बुनाई का नमूना मुख्यतः कपड़े के सामने की सतह पर उभरा हुआ होता है। वास्तविक किन-किन ख्वाब शुद्ध सोने से बुना जाता है। इसमें रेशम के धागों का उपयोग आधार प्रदान करने व रंगों का समावेश करने के लिए किया जाता है। यह एक भारी वस्त्र है। किन ख्वाब यह साहित्यक नाम स्वप्न के समान सुन्दर और कपड़े की सत्यता दर्शाता है। काम का अर्थ कम व ख्वाब अर्थात् स्वप्न अर्थात् ऐसा सपना जो वास्तविकता से कम है। इसी प्रकार किन ख्वाब के बारे में कहा गया है कि किन अर्थात् छोटा एवं ख्वाब अर्थात् सपना। ब्रोकेड को किन ख्वाब कहा गया है क्योंकि यह इतना खुरदुरा होता है कि पहनने वाले व्यक्ति को नींद नहीं आती। चीनी भाषा में किन का अर्थ होता है, सुनहरा फूल।

ऋग्वेद से हम बहुत से ऐसे विभिन्न प्रकार के वस्त्रों के प्रसंग मिलते हैं जिसमें सोने के वस्त्र के विषय में भी वर्णन है। जो भारतीय ब्रोकेड है वो भारत की बहुत पुरानी परम्परा है। "सोनारी" जो कि सोने के धागे से बनाई जाती थी एवं “रूपारी" चाँदी के तारों से बनायी जाती थी। शोभनीय रंग से ब्रोकेड किनारी (Border) बनाई जाती थी। भारतीय ब्रोकेड को "चाँद तारा" कहा जाता है क्योंकि कपड़े की पूरी सतह पर भारी कार्य किया जाता है। बनारस के ब्रोकेड्स अपनी विशेषता के लिए प्रसिद्ध हैं।

ब्रोकेड्स के प्रकार

ब्रोकेड्स मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार की होती थीं-.

(i) कमख्वाब - कमख्वाब का अर्थ है 'स्वप्न- सदृश सौंदर्य (Dream like beauty) इस नाम से ही इनके सौंदर्य का अनुमान लगाया जा सकता है। 'कमख्वाब' या 'कीमख्वाब' वस्त्रों में सोने और चांदी के तारों से वस्त्र की सतह पर उभरे उभरे से नमूने बनाए जाते थे।

नमूने सतह के अधिकतर भाग पर रहते थे और ऐसा लगता था कि समस्त वस्त्र ही सोने-चाँदी के तारों से बना हुआ है। ऐसे वस्त्रों से पुरुषों के वस्त्र जैसे-टोपी, अँगरखा, चोगे, अचकन, बंडी आदि बनते थे। महिलाओं के लहँगे और ब्लाउज में भी ये वस्त्र प्रयुक्त होते थे। ये वस्त्र राजदरबारों में पर्दे, गद्दी आदि के प्रयोग में आते थे। कमख्वाब वस्त्र बहुमूल्य होते थे, अतः धनी लोग ही इन्हें प्रयोग कर सकते थे। भारी वस्त्र होने के कारण इनका प्रयोग भी सीमित ही था। कमख्वाब जिसका सौन्दर्य स्वप्न से भी किसी अर्थ में कम न था, विलास और वैभव का प्रतीक माना जाता था।

(ii) वक्त अथवा पाटथान – वक्त भी एक प्रकार का ब्रोकेड वस्त्र ही होता था, जिसमें वस्त्र प्रमुख रूप से रंगीन सिल्क के धागों से बनाया जाता था और बीच-बीच में सुनहले अथवा रूपहले नमूने होते थे। इस वस्त्र को भी अचकन, अँगरखे, लहँगे आदि बनाने में प्रयोग किया जाता था।

(iii) आब-ए-रबाँ - कुछ ब्रोकेड वस्त्रों को 'बहता पानी' नाम दिया गया। ये सिल्क के वस्त्र होते थे जिन पर सोने-चाँदी के तारों का काम होता था। ब्रोकेड के वस्त्र के निर्माण के लिए बनारस सदैव से प्रसिद्ध था।

(iv) हिमरस तथा अमरस - हिमरस तथा अमरस औरंगाबाद (हैदराबाद) में निर्मित ब्रोकेड वस्त्र थे। हिम का अर्थ होता है बर्फ, अर्थात् ठण्डी ऋतु में पहने जाने वाले ये वस्त्र प्रायः सूती जमीन पर सिल्क द्वारा बनी ब्रोकेड से तैयार किए जाते थे। सामने की ओर नमूनों के रूप में, उभरने वाले सिल्क धागे पीछे की ओर लम्बी-लम्बी फ्लोट (Floats) बनाते थे, जिससे वस्त्र मुलायम, मोटा और रोएँदार हो जाता था। अमर वस्त्रों में भी सिल्क के धागों का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता था। ऐसे ब्रोकेड वस्त्र सूरत और बनारस में भी बनते थे। ये अचकन, अँगरखे, लहँगे आदि के अतिरिक्त दरबार हॉल के कुशन, पर्दे, गद्दियाँ, राजसिहांसन आदि सजाने के काम आते थे। नवाबों एवं राजाओं के लिए इन्हें विशेष रूप से सुन्दर नमूनों में बनाया जाता था। ये अब भी हैदराबाद के समीप औरंगाबाद में बनाए जाते हैं, परन्तु अब इनमें उस सौंदर्य की झलक नहीं मिलती है, जो पूर्व समय में होती थी।

ब्रोकेड्स के उत्पादित क्षेत्र

आजकल ब्रोकेड्स का उत्पादन मुख्य रूप से अहमदाबाद, तिरूचनापल्ली एवं मद्रास में होता है लेकिन बनारस ब्रोकेड्स का वास्तविक घर है। बनारसी किनख्वाब (Kin Khwab) की सबसे बढ़िया डिजाइन “शिकारगढ़" नमूनों के अस्तित्व के लिए सबसे ज्यादा मशहूर है। भारतीय वस्त्र में दरबारी परम्परा की विलासिता का पूर्ण समावेश किया है। इसकी बुनाई रेशमी धागों और सोने-चाँदी के तारों को मिलाकर रंग-बिरंगे रंगों और फूलों वाले नमूनों में की जाती है जो कि बहुत भव्य व आकर्षक दिखाई देती है। ब्रोकेड्स रेशमी वस्त्रों में बहुत ही मनमोहक वस्त्र है जिसमें कि अद्वितीय, अतुलनीय राजकीय वैभव है।

ब्रोकेड्स बनाने की परम्परा बहुत पहले से भारत में कई केन्द्रों में प्रचलित थी लेकिन फिर भी ब्रोकेड्स बनाने की शैली सबसे आगे हैं। एक अलग कार्य के रूप में बनारस के ब्रोकेड्स अपनी अलग विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। ये सूरत और अहमदाबाद में भी निर्मित किए जाते हैं। इन पुराने ब्रोकेड्स की डिजाइनों में जानवरों और मनुष्यों के चित्रों के साथ चारों ओर फूलों की किनोर को बनाया जाता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- डिजाइन के तत्वों से आप क्या समझते हैं? ड्रेस डिजाइनिंग में इसका महत्व बताएँ।
  2. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्तों से क्या तात्पर्य है? गारमेण्ट निर्माण में ये कैसे सहायक हैं? चित्रों सहित समझाइए।
  3. प्रश्न- परिधान को डिजाइन करते समय डिजाइन के सिद्धान्तों को किस प्रकार प्रयोग में लाना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।
  4. प्रश्न- "वस्त्र तथा वस्त्र-विज्ञान के अध्ययन का दैनिक जीवन में महत्व" इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
  5. प्रश्न- वस्त्रों का मानव जीवन में क्या महत्व है? इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- गृहोपयोगी वस्त्र कौन-कौन से हैं? सभी का विवरण दीजिए।
  7. प्रश्न- अच्छे डिजायन की विशेषताएँ क्या हैं ?
  8. प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- डिजाइन के तत्व बताइए।
  10. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- अनुपात से आप क्या समझते हैं?
  12. प्रश्न- आकर्षण का केन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अनुरूपता से आप क्या समझते हैं?
  14. प्रश्न- परिधान कला में संतुलन क्या हैं?
  15. प्रश्न- संरचनात्मक और सजावटी डिजाइन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- फैशन के प्रेरक एवं बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिये।
  18. प्रश्न- फैशन चक्र से आप क्या समझते हैं? फैशन के सिद्धान्त समझाइये।
  19. प्रश्न- परिधान सम्बन्धी निर्णयों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
  20. प्रश्न- फैशन के परिप्रेक्ष्य में कला के सिद्धान्तों की चर्चा कीजिए।
  21. प्रश्न- ट्रेंड और स्टाइल को परिभाषित कीजिए।
  22. प्रश्न- फैशन शब्दावली को विस्तृत रूप में वर्णित कीजिए।
  23. प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।
  24. प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।
  25. प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
  26. प्रश्न- वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाला कारक फैशन भी है। स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- प्रोत / सतही प्रभाव का फैशन डिजाइनिंग में क्या महत्व है ?
  28. प्रश्न- फैशन साइकिल क्या है ?
  29. प्रश्न- फैड और क्लासिक को परिभाषित कीजिए।
  30. प्रश्न- "भारत में सुन्दर वस्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। " विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मलमल किस प्रकार का वस्त्र है? इसके इतिहास तथा बुनाई प्रक्रिया को समझाइए।
  33. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  34. प्रश्न- कश्मीरी शॉल की क्या विशेषताएँ हैं? इसको बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।.
  35. प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?
  36. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- ब्रोकेड के अन्तर्गत 'बनारसी साड़ी' पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- बाँधनी के प्रमुख प्रकारों को बताइए।
  40. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।
  41. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- राजस्थान के परम्परागत वस्त्रों और कढ़ाइयों को विस्तार से समझाइये।
  43. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- पटोला वस्त्र से आप क्या समझते हैं ?
  45. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- बांधनी से आप क्या समझते हैं ?
  47. प्रश्न- ढाका की साड़ियों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  48. प्रश्न- चंदेरी की साड़ियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
  49. प्रश्न- उड़ीसा के बंधास वस्त्र के बारे में लिखिए।
  50. प्रश्न- ढाका की मलमल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
  52. प्रश्न- भारत में वस्त्रों की भारतीय पारंपरिक या मुद्रित वस्त्र छपाई का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत के पारम्परिक चित्रित वस्त्रों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- गर्म एवं ठण्डे रंग समझाइए।
  55. प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
  56. प्रश्न- परिधानों में बल उत्पन्न करने की विधियाँ लिखिए।
  57. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  62. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए: (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  63. प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  65. प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  66. प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतवर्ष की प्रसिद्ध परम्परागत कढ़ाइयाँ कौन-सी हैं?
  68. प्रश्न- सुजानी कढ़ाई के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  69. प्रश्न- बिहार की खटवा कढ़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- फुलकारी किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- शीशेदार फुलकारी क्या हैं?
  72. प्रश्न- कांथा कढ़ाई के विषय में आप क्या जानते हैं?
  73. प्रश्न- कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले टाँकों का महत्व लिखिए।
  74. प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
  75. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- जरदोजी पर टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
  78. प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  79. प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book