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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2694
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?

अथवा

शॉलों पर टिप्पणी कीजिये।

उत्तर -

कश्मीरी शॉल के प्रकार

कश्मीरी शॉल को उसकी डिजाइन, कढ़ाई, बुनाई एवं प्रयोग में ली गई ऊन की किस्म के आधार पर कई नामों एवं प्रकारों से जाना जाता है। उनमें से प्रमुख निम्न हैं-

(1) पश्मीना शॉल-शॉल में सबसे बढ़िया किस्म के पश्मीना शॉल माने जाते हैं, ये बहुत महँगे होते हैं। इनके लिए ऊन ठण्डे एशियन पर्वतीय जंगलों की बकरी के रेशे (पश्म) से प्राप्त करते हैं इसलिए इसे पश्मीना कहते हैं। पहले तिब्बत भारतीय भू-भाग का अंग था किन्तु आजकल चीन के अधिकार में होने से इस शॉल के उत्पादन में बहुत कमी आ गई है।

(2) कढ़ाईदार अमलीकर- ये शॉल कढ़ाई की कला का बेहतरीन नमूना हैं। आमली वर्क मतलब सूई का काम। इसकी बुनाई सादा होती है पर बुनाई के बाद सतह पर सूई से बेहतरीन डिजाइन मानवाकृति, दृश्य आदि के डिजाइन बनाये जाते हैं।

(3) दुशाला - बादशाह अकबर ने एक नये प्रकार की शॉल बनवायी इसको दुशाला कहा जाता था। ये जोड़े के रूप में बनाये जाते हैं। एक प्रकार के दो शॉल एक साथ ही बिकते हैं। इसकी और भी किस्में हैं, जैसे-खाली मातन, जिसमें सतह सादी व कोई सजावट नहीं होती है।

(4) दो रूखा- ये शॉल दोनों तरफ से एक समान डिजाइन की बुनी रहती हैं। ये शॉल शाही पसन्द होते थे, जिनके बॉर्डर सजावटीय बनाये जाते थे।

(5) जामवार (Jamawars) - इसे कानिकर शॉल के नाम से भी जाना जाता है। इस शॉल का डिजाइन सीधे ही लूम पर तैयार किया जाता है। इसे ट्वील बुनाई से बुना जाता है। बाने के धागे से डिजाइन बनाया जाता है। जामवार पूरी तरह से ऊन से या सूत के साथ मिलाकर बुना जाता है। इसमें बड़े फूल के बूटे को 'किरव' बूटी और छोटे फूल को 'रेगा' बूटी कहते हैं। इनमें जालदार डिज़ाइन मिलते हैं इसलिए इसे कानिकर शॉल के नाम से जाना जाता है।

(6) चार- बागान --- चार पीस अलग-अलग रंग के होते हैं जिन्हें जोड़कर एक बनाया जाता है। इसके मध्य में चाँद एवं फूल बने रहते हैं। चारों कोनों को फूलों से सजाया जाये तो इसे 'कुंज' कहा जाता है।

(7) कसावा या चद्दर रूमाल (Chaddar Rumal) – ये शॉल आकार में वर्गाकार होते हैं। इन्हें यूरोपियन माँग के अनुरूप उत्पादित किया जाता था। ट्वील बुनाई या डैमस्क पैटर्न को एक रंग के धागे से बुना जाता है। बाद में चाहें तो इसमें कढ़ाई कर सकते हैं।

(8) शहतूस (Sah-Tus) – यह इतनी मुलायम होती है कि इसे अँगूठी में से आसानी से निकाली जा सकती है। इसे बनाने के लिए हिमालय की आइ बेक्स (1. Bex) बकरी के रोएँ से प्राप्त ऊन का प्रयोग होता है। यह बकरी हिमालय में लगभग दो हजार पाँच सौ मीटर की ऊँचाई पर पाई जाती है। इसके रोएँ सिल्की और भूरापन लिए होते हैं। आजकल कश्मीर में कुछ ही परिवार इस बनाने में कार्यरत हैं।

शॉल की डिजाइन - शॉल के अधिकतर डिजाइन में प्रकृति का ही आधिपत्य होता था, जैसे-पक्षियों में कठफोडवा, किंगफिशर, तोता; फूलों में कमल, तुलिप, लिलि; फलों में अंगूर, बादाम, केला, चैरी, सेब एवं वृक्षों में चिनार के ही विभिन्न रूपों को दर्शाया जाता था ! पेजली अर्थात् कैरी की आकृति या कैरी बूटा भारत के प्रसिद्ध वस्त्र उद्योग का मोटिफ रहा है। इसे राजस्थान प्रदेश में छोटे आम से लिया गया है। इस मोटिफ में बहुत थोड़े अन्तर के साथ बनारस में 'कलिका' जिसे कली से लिया गया है, बंगाल में 'तुरंज' एवं कश्मीर में बादाम का ही रूप है। कश्मीरी पैटर्न की नकल पर सांगानेरी ब्लॉक प्रिन्ट भी अछूते नहीं रहे। इनके प्रमाण में सवाई मानसिंह संग्रहालय जयपुर में बड़े आकार का बहुरंगी ठप्पा देखा जा सकता है। भारत कला भवन वाराणसी में इस ठप्पे से छपा सूती पटका रखा हुआ है।

रंग- कश्मीरी शॉल में मुख्य रूप से जरह (पीला), सफेद, मुस्की (काला), फिरोजी (नीला), जिंगारी (हरा), उदा (बैंगनी), गुलनार (लाल), किरमिच (मरून) आदि रंगों का प्रयोग होता है।

उपयोग – इस तकनीक से शॉल के साथ-साथ पटका और कन्धे पर डालने वाले दुशाले के अलावा पहनने योग्य वस्त्र भी बनाये जाने लगे। पटके में दोनों सिरों पर कलात्मक बुनाई करने के लिए बॉर्डर में बूटियों का प्रयोग किया जाता है जिसे स्त्री व पुरुष दोनों समान रूप से पहनते हैं।

पश्मीना की जगह आज मॅरीनों ऊन से शॉल बनने लगे हैं। सरकार के प्रयास से जिन भेड़ों से अच्छी किस्म की ऊन प्राप्त होती है, उस नस्ल पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- डिजाइन के तत्वों से आप क्या समझते हैं? ड्रेस डिजाइनिंग में इसका महत्व बताएँ।
  2. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्तों से क्या तात्पर्य है? गारमेण्ट निर्माण में ये कैसे सहायक हैं? चित्रों सहित समझाइए।
  3. प्रश्न- परिधान को डिजाइन करते समय डिजाइन के सिद्धान्तों को किस प्रकार प्रयोग में लाना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।
  4. प्रश्न- "वस्त्र तथा वस्त्र-विज्ञान के अध्ययन का दैनिक जीवन में महत्व" इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
  5. प्रश्न- वस्त्रों का मानव जीवन में क्या महत्व है? इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- गृहोपयोगी वस्त्र कौन-कौन से हैं? सभी का विवरण दीजिए।
  7. प्रश्न- अच्छे डिजायन की विशेषताएँ क्या हैं ?
  8. प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- डिजाइन के तत्व बताइए।
  10. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- अनुपात से आप क्या समझते हैं?
  12. प्रश्न- आकर्षण का केन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अनुरूपता से आप क्या समझते हैं?
  14. प्रश्न- परिधान कला में संतुलन क्या हैं?
  15. प्रश्न- संरचनात्मक और सजावटी डिजाइन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- फैशन के प्रेरक एवं बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिये।
  18. प्रश्न- फैशन चक्र से आप क्या समझते हैं? फैशन के सिद्धान्त समझाइये।
  19. प्रश्न- परिधान सम्बन्धी निर्णयों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
  20. प्रश्न- फैशन के परिप्रेक्ष्य में कला के सिद्धान्तों की चर्चा कीजिए।
  21. प्रश्न- ट्रेंड और स्टाइल को परिभाषित कीजिए।
  22. प्रश्न- फैशन शब्दावली को विस्तृत रूप में वर्णित कीजिए।
  23. प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।
  24. प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।
  25. प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
  26. प्रश्न- वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाला कारक फैशन भी है। स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- प्रोत / सतही प्रभाव का फैशन डिजाइनिंग में क्या महत्व है ?
  28. प्रश्न- फैशन साइकिल क्या है ?
  29. प्रश्न- फैड और क्लासिक को परिभाषित कीजिए।
  30. प्रश्न- "भारत में सुन्दर वस्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। " विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मलमल किस प्रकार का वस्त्र है? इसके इतिहास तथा बुनाई प्रक्रिया को समझाइए।
  33. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  34. प्रश्न- कश्मीरी शॉल की क्या विशेषताएँ हैं? इसको बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।.
  35. प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?
  36. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- ब्रोकेड के अन्तर्गत 'बनारसी साड़ी' पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- बाँधनी के प्रमुख प्रकारों को बताइए।
  40. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।
  41. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- राजस्थान के परम्परागत वस्त्रों और कढ़ाइयों को विस्तार से समझाइये।
  43. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- पटोला वस्त्र से आप क्या समझते हैं ?
  45. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- बांधनी से आप क्या समझते हैं ?
  47. प्रश्न- ढाका की साड़ियों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  48. प्रश्न- चंदेरी की साड़ियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
  49. प्रश्न- उड़ीसा के बंधास वस्त्र के बारे में लिखिए।
  50. प्रश्न- ढाका की मलमल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
  52. प्रश्न- भारत में वस्त्रों की भारतीय पारंपरिक या मुद्रित वस्त्र छपाई का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत के पारम्परिक चित्रित वस्त्रों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- गर्म एवं ठण्डे रंग समझाइए।
  55. प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
  56. प्रश्न- परिधानों में बल उत्पन्न करने की विधियाँ लिखिए।
  57. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  62. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए: (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  63. प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  65. प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  66. प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतवर्ष की प्रसिद्ध परम्परागत कढ़ाइयाँ कौन-सी हैं?
  68. प्रश्न- सुजानी कढ़ाई के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  69. प्रश्न- बिहार की खटवा कढ़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- फुलकारी किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- शीशेदार फुलकारी क्या हैं?
  72. प्रश्न- कांथा कढ़ाई के विषय में आप क्या जानते हैं?
  73. प्रश्न- कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले टाँकों का महत्व लिखिए।
  74. प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
  75. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- जरदोजी पर टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
  78. प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  79. प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

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