लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2694
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?

अथवा

फैशन को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।

उत्तर -

फैशन को प्रभावित करने वाले कारक

फैशन को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-

1. मनोवैज्ञानिक कारक पुरुष और महिलाएँ दोनों ही जटिल प्राणी हैं जिनके कार्यों को शायद की कभी अकेले नियंत्रित किया जाता है। इनमें मनोवैज्ञानिक कारणों से बदलाव आते हैं। अपने पास जो कुछ है लोग अक्सर उससे ऊब जाते हैं। वे समान रंग रेखाओं और बनावट से भी थक जाते हैं। कुछ समय बाद जो नया अलग होता है, वह ताजा लगता है, और जो बराबर देखते रहते हैं वह नीरस लगता है। अन्य उत्पादों के फैशन में भी मनोवैज्ञानिक कारणों से परिवर्तन होते हैं। जैसे रेफ्रिजरेटर, टेलीफोन आदि अधिक उपयोगी हैं इनका कुछ नहीं हो सकता है फिर भी लोग अक्सर रंगीन रेफ्रिजरेटर खरीदने की ओर आकर्षित होते हैं। यह केवल बदलाव के लिए बदलाव है। बोरियत के साथ ही मानवीय जिज्ञासा या नई संवेदना की सहज इच्छा स्वयं के लिए परिवर्तन की ओर ले जाती है।

2. सामाजिक कारक- सामाजिक कारक भी फैशन में तर्कसंगत कारक है। जिस प्रकार पर्यावरणीय कारक नयी जरूरतों को पैदा करता है उसी प्रकार फैशन में भी भारी बदलाव लाने वाले सामाजिक बदलाव का एक उत्कृष्ट उदाहरण 20वीं शताब्दी के शुरुआत का दशक है, जब महिलाओं ने राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता की माँग की, जिससे उन्हें स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् आनन्द की अनुभूति हुयी। उनकी बदली हुयी गतिविधियों ने उन्हें सदियों से फैशन में रहे तंग कपड़ों को त्यागने के लिये प्रोत्साहित किया और छोटी स्कर्ट, आराम से कमर की रेखाएँ, बाल्ड बाल, और अन्य फैशन को अपने अधिक सक्रिय जीवन के लिए अधिक उपयुक्त अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। कुछ पीढ़ियों बाद जैसे-जैसे महिलाएँ व्यवसाय की दुनिया में कार्यकारी पदों में आ गयी, सिले हुये सूट और अटायची बैग कामकाजी महिलाओं के बीच सफलता के ड्रेसिंग फैशन बन गए। शारीरिक फिटनेस आंदोलन (1970-80) ने व्यायाम कपड़ों की आवश्यकता को जन्म दिया। इस प्रकार जैसे-जैसे जागिंग, हाइकिंग एरोबिक नृत्य में रुचि बढ़ी वैसे-वैसे इन सक्रिय खेलों में से प्रत्येक के लिए उपयुक्त नए और अलग फैशन की आवश्यकता बढी।

3. डिजाइनरों की भूमिका इनकी अनगिनत शैलियाँ हैं जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशिष्ट विशेषताएँ हैं और जिनमें अधिकांश किसी न किसी समय फैशन में रही हैं। हालांकि यह धारणा गलत है कि ये सभी केवल डिजाइनरों द्वारा बनाए गए है। यह वास्तविक रूप में सत्य है कि कई फैशन प्रसिद्ध डिजाइनरों द्वारा पेश किए गए हैं। जैसे-चैनल 1920 सूट के बाक्सी जैकैट, 40 के दशक में डायर का नया रूप यवेस सेंट लारेंट का धूम्रपान।

लेकिन, यह हमेशा काल्पनिक परिधान होता है न कि एक व्यक्तिगत डिजाइनर जो कि एक नया फैशन उत्पन्न करता है। कुछ शैलियों ने जनता का मनमोह लिया है और अपने समय में फैशन बन गई। डेनिम जींस, गोल्ड रश के दिनों में लेवी स्ट्रांस द्वारा बनाई गई अन्तिम व्यवहारिक शैली ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है। 20वीं सदी के उत्तरार्ध में स्ट्रीट फैशन का उदाहरण जो युवाओं के बीच शुरू हुआ, व्यापक रूप से आगे बढ़ गया। डिजाइनर जो फैशन बनाने के लिए ख्याति प्राप्त करते हैं वे केवल वे ही होते हैं जो आकृतियों शैलियों का मूर्त अभिव्यक्ति देने में लगातार सफल रहे हैं। कपड़े और रूप जो ग्राहकों की एक बड़ी संख्या द्वारा वांछित और स्वीकार किए जाते हैं। यहाँ तक कि सबसे बड़े डिजाइनरों में से जो पहचाने जाते है यह केवल तभी होता है जब ग्राहक नई या पुरानी शैली स्वीकार करते हैं। तब एक विशेष शैली फैशन बन जाती है।

4. समाचार योग्य घटनाएँ और व्यक्तित्व - कपड़ों में फैशन हमेशा से केवल पहनावे का एक तरीका नहीं रहा है। अतीत का अध्ययन और वर्तमान का सावधानीपूर्वक अवलोकन यह स्पष्ट करेगा कि फैशन सामाजिक अभिव्यक्ति है। पेंटिंग और अन्य कला रूपों की भांति उनके स्वाद और मूल्यों का दस्तावेजीकरण करते है। प्रत्येक फैशन अपने युग के लिये पूर्ण रूप से उपयुक्त लगता है और युग की भावना को दर्शाता है। जैसे कि समय का अन्य कोई प्रतीक नहीं है। यह व्यापक रूप से स्वीकृत फैशन के लिए और उनके लिए सच है जो केवल छोटे पृथक सांस्कृतिक समूहों के भीतर ही फलते फूलते हैं। जैसे-पंक कपड़े, हेयर स्टाइल, पंक राकर्स (संगीतकारों) के दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। फैशन मनोरंजन, राजनीति, कला और खेल की दुनिया में उत्कृष्ट व्यक्तियों और प्रमुख घटनाओं द्वारा फैशन बनाए जाते हैं। महिलाओं के कपड़े पर युवा और प्यारी राजकुमारी डायना का प्रभाव बालों और कपड़ों पर राक एण्ड रोल सुपर स्टार का प्रभाव, नर्तकियों की लोकप्रियता, लोग वर्मर, एरोबिक्स में सक्रिय रुचि टी शर्ट।

5. सामाजिक मूल्य और दृष्टिकोण वर्तमान समय में कोई सार्वभौमिक जीवन शैली नहीं है। कुछ भौतिकवादी है, कुछ नहीं, कुछ रूढिवादी है, कुछ भविष्यवादी है, हमारे मूल्य और जीवन शैली जो भी हो, हमारी पोशाक हमारी पसंद को सचेत रूप से अन्यथा दर्शाती है। कपड़ों के रहस्यमय उत्साह के साथ जीवन की सबसे बुनियादी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है। शैली और पहचान फैशन की एक ऐसी भाषा है जो तत्काल प्रभाव से स्वयं की पहचान और समूह की पहचान का संचार करती है। जब युवा विचारों का बोलबाला होता है, तब सभी उम्र के लोगों में कपड़े पहनने, अभिनय करने, सोचने, पसंद करने और यह विश्वास करने की प्रवृत्ति होती है कि वे युवा हैं। दोनों लिंगों द्वारा हेयर डाई का बढ़ता उपयोग युवा दिखने की इच्छा को दर्शाता है। महिलाओं द्वारा पैंट पहनना न केवल व्यवहारिक रूप से तैयार होने का मामला है बल्कि पारंपरिक से उनकी स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति है।

6. तकनीकी विकास नई तकनीकी की माँग, नए फैशन, कुछ परिधान, फैशन की उत्पत्ति, नए रेशों और कपड़ों के कारण हुयी। सिंथेरिक रेशों ने कपड़ों को धोना और पहनना आसान बना दिया, जिससे फैशन प्रभावित हुआ। आरम्भ में सिंथेटिक कपड़ों का चलन अधिक नहीं था परन्तु जब उन्हें स्टार्च करके इस्त्री किया तो वे अच्छे घरों के प्रतीक माने जाने लगे। टाइट बाडी सूट की लोकप्रियता स्ट्रेच्ड फैब्रिक के विकास के कारण हुयी। टी शर्ट पर जो ग्राफिक्स बनाए जाते हैं वे अग्रिम और गर्मी सेटिंग तकनीकी द्वारा संभव बन गए थे। प्लस्टिक ने सम- लैगिंक रंगों में रेनकोट और हल्के कपड़ों के चमडे के रूप में फैशन को प्रभावित किया जो कपड़े के लचीलेपन, आसान देखभाल और हल्के वजन गुणों की पेशकश करते हैं।

7. सभी फैशन खत्म हो जाते हैं जब एक बार फैशन शैली चरम सीमा पर पहुँच जाती है, तब फैशन का अंत होता है। फैशन वियर का लोगों में आकर्षण कम होने लगता है। नया फैशन डिफरेन्ट लुक में आने लगता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- डिजाइन के तत्वों से आप क्या समझते हैं? ड्रेस डिजाइनिंग में इसका महत्व बताएँ।
  2. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्तों से क्या तात्पर्य है? गारमेण्ट निर्माण में ये कैसे सहायक हैं? चित्रों सहित समझाइए।
  3. प्रश्न- परिधान को डिजाइन करते समय डिजाइन के सिद्धान्तों को किस प्रकार प्रयोग में लाना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।
  4. प्रश्न- "वस्त्र तथा वस्त्र-विज्ञान के अध्ययन का दैनिक जीवन में महत्व" इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
  5. प्रश्न- वस्त्रों का मानव जीवन में क्या महत्व है? इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- गृहोपयोगी वस्त्र कौन-कौन से हैं? सभी का विवरण दीजिए।
  7. प्रश्न- अच्छे डिजायन की विशेषताएँ क्या हैं ?
  8. प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- डिजाइन के तत्व बताइए।
  10. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- अनुपात से आप क्या समझते हैं?
  12. प्रश्न- आकर्षण का केन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अनुरूपता से आप क्या समझते हैं?
  14. प्रश्न- परिधान कला में संतुलन क्या हैं?
  15. प्रश्न- संरचनात्मक और सजावटी डिजाइन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- फैशन के प्रेरक एवं बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिये।
  18. प्रश्न- फैशन चक्र से आप क्या समझते हैं? फैशन के सिद्धान्त समझाइये।
  19. प्रश्न- परिधान सम्बन्धी निर्णयों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
  20. प्रश्न- फैशन के परिप्रेक्ष्य में कला के सिद्धान्तों की चर्चा कीजिए।
  21. प्रश्न- ट्रेंड और स्टाइल को परिभाषित कीजिए।
  22. प्रश्न- फैशन शब्दावली को विस्तृत रूप में वर्णित कीजिए।
  23. प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।
  24. प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।
  25. प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
  26. प्रश्न- वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाला कारक फैशन भी है। स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- प्रोत / सतही प्रभाव का फैशन डिजाइनिंग में क्या महत्व है ?
  28. प्रश्न- फैशन साइकिल क्या है ?
  29. प्रश्न- फैड और क्लासिक को परिभाषित कीजिए।
  30. प्रश्न- "भारत में सुन्दर वस्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। " विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मलमल किस प्रकार का वस्त्र है? इसके इतिहास तथा बुनाई प्रक्रिया को समझाइए।
  33. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  34. प्रश्न- कश्मीरी शॉल की क्या विशेषताएँ हैं? इसको बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।.
  35. प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?
  36. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- ब्रोकेड के अन्तर्गत 'बनारसी साड़ी' पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- बाँधनी के प्रमुख प्रकारों को बताइए।
  40. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।
  41. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- राजस्थान के परम्परागत वस्त्रों और कढ़ाइयों को विस्तार से समझाइये।
  43. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- पटोला वस्त्र से आप क्या समझते हैं ?
  45. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- बांधनी से आप क्या समझते हैं ?
  47. प्रश्न- ढाका की साड़ियों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  48. प्रश्न- चंदेरी की साड़ियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
  49. प्रश्न- उड़ीसा के बंधास वस्त्र के बारे में लिखिए।
  50. प्रश्न- ढाका की मलमल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
  52. प्रश्न- भारत में वस्त्रों की भारतीय पारंपरिक या मुद्रित वस्त्र छपाई का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत के पारम्परिक चित्रित वस्त्रों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- गर्म एवं ठण्डे रंग समझाइए।
  55. प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
  56. प्रश्न- परिधानों में बल उत्पन्न करने की विधियाँ लिखिए।
  57. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  62. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए: (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  63. प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  65. प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  66. प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतवर्ष की प्रसिद्ध परम्परागत कढ़ाइयाँ कौन-सी हैं?
  68. प्रश्न- सुजानी कढ़ाई के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  69. प्रश्न- बिहार की खटवा कढ़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- फुलकारी किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- शीशेदार फुलकारी क्या हैं?
  72. प्रश्न- कांथा कढ़ाई के विषय में आप क्या जानते हैं?
  73. प्रश्न- कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले टाँकों का महत्व लिखिए।
  74. प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
  75. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- जरदोजी पर टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
  78. प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  79. प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book