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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2694
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।

अथवा

फैशन को कहाँ से अपनाया गया है ? वर्णन कीजिए।

उत्तर -

फैशन अपनाने के सिद्धान्त फैशन अपनाने या वितरण के सिद्धान्त इस बात से सम्बन्धित है कि फैशन समाज के विभिन्न सामाजिक आर्थिक स्तरों के माध्यमों से कैसे चलता है।

फैशन प्रमुख रूप से तीन प्राथमिक सिद्धान्तों के आधार पर अपनाया गया है

(1) ट्रिकल-डाउन
(2) ट्रिकल एक्रॉस और
(3) ट्रिकल अप।

हालांकि कोई भी सिद्धान्त फैशन सिद्धान्त पर चर्चा करने या समझाने के लिए पर्याप्त नहीं है कि फैशन समाज में कैसे चलता है इन सिद्धान्तों के अतिरिक्त फैशन अपनाने का एक वैकल्पिक लोक लुभावन मॉडल है जो कुछ स्थितियों पर लागू होता है जो फैशन वितरण के सामाजिक आर्थिक वर्गों के स्थान पर सामाजिक समूहों के माध्यम से आगे बढ़ने के रूप में पहचानते हैं।

(1) ट्रिकल डाउन थ्योरी सन् 1889 में अर्थशास्त्री थोरस्टीन बेप्लेन द्वारा बनाया गया फैशन अपनाने का ट्रिकल डाउन सिद्धान्त मानता है कि फैशन समाज के ऊपरी क्षेत्र में शुरू होता है। धनी लोगों द्वारा पहनी जाने वाली शैली जब परिवर्तित होती है तब वही धीरे-धीरे मध्यम और निम्न वर्ग द्वारा अपनाया जाता है। जब वह शैली निम्न वर्ग के लोग आत्मसात कर लेते हैं तब अमीर बदले में अपनी शैली और पोशाक को बदल देते हैं। यह सिद्धान्त मानता है कि निम्न वर्ग उच्च वर्गों का अनुकरण चाहता है अतः फैशन अपनाने का यह सब से पुराना सिद्धान्त है जो ऐतिहासिक रूप से लागू होता है। खासकर द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व गिब्सेन गर्ल युग के सफेद ब्लाउन से लेकर 1920 के छोटे हेमलाइन तक की शैलियाँ उच्च वर्गों में शुरू हुईं।

(2) ट्रिकल अक्रास थ्योरी 1950 के दशक के अन्त में यह ट्रिकल-अक्रास सिद्धान्त प्रथम बार विकसित हुआ। ट्रिकल अक्रास सिद्धान्त मानता है कि फैशन सामाजिक आर्थिक स्तरों पर अपेक्षाकृत तेजी से आगे बढ़ता है। कपड़ों की शैलियाँ कम नहीं होती है, परन्तु लगभग एक ही समय में सभी मूल्यों और बिन्दुओं पर दिखायी देती है। संचार और लोकप्रिय मीडिया इस सिद्धान्त के अस्तित्व का समर्थन करते हैं। नयी शैलियों के बारे में चित्र और वितरण प्रदान करते हैं। कई डिजाइनर विभिन्न प्रकार की लाइनों में समान शैली दिखाते हैं जिसमें उच्च अन्त डिजाइनर कपड़ों से लेकर निचले छोर वाले किफायती टुकड़े शामिल हैं।

एक बार एक रनवे पर एक डिजाइन दिखाई देने के बाद कई कंपनियाँ समान कपड़ों का उत्पादन करती हैं जिसमें फैशन तक व्यापक पहुँत की अनुमति मिलती है। 1960 की शिफ्ट ड्रेस से लेकर 1980 के शोल्डर पैड्स तक ये गारमेंट्स लगभग एक ही समय पर डिस्काउन्ट डिपार्टमेन्ट और डिजाइनर स्टोर्स में उपलब्ध थे।

(3) ट्रिकल अप थ्योरी फैशन अपनाने का ट्रिकल अप सिद्धान्त फैशन में बदली शैलियों और प्रथाओं को दर्शाता है। सिद्धान्त के अनुसार शैलियाँ युवा या स्ट्रीट फैशन से शुरू हो सकती है और फैशन की सीढ़ी को उत्तरोत्तर ऊपर ले जा सकती है जब तक कि वे पुराने और धनी उपभोक्ताओं द्वारा पसंद नहीं किए जाते और पहने नहीं जाते हैं। कोको चैनल ने इस सिद्धान्त को सर्वप्रथम अपनाया जबकि द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् उन्होंने सैन्य कपड़े और पोशाक फैशन में एकीकृत किया। क्लासिक टी शर्ट श्रमिक वर्गों में एक अंडर गार्मेंट के रूप में शुरू हुयी और अब यह रोजमर्रा की अलमारी का एक मूलभूत टुकड़ा है। एक बार जब शैलियों को अधिक पारंपरिक उपभोक्ताओं द्वारा अपनाया जाता है तो सड़क या युवा संस्कृति एक नई शैली अपना सकते हैं।

ऐतिहासिक साक्ष्य - फैशन में परिवर्तन नवीनता और समय, स्थान और पहनने वालों के सन्दर्भ में शामिल हैं।

ब्लूमर 1969 में ब्ल्मूर ने फैशन के प्रभाव को "सामूहिक चयन की" एक प्रक्रिया के रूप में वर्णित किया है, जिसके स्वाद का निर्माण लोगों के एक समूह से होता है, जो कि सामूहिक रूप से जेगेटिस्ट था" समय की भावना" के प्रति प्रतिक्रिया करता है। कई-कई शैलियों का एक साथ परिचय और प्रदर्शन अभिनव उपभोक्ता द्वारा किए गए चयन और समय की भावना की अभिव्यक्ति की धारणा फैशन के लिये प्ररेणा प्रदान करती है। फैशन की किसी भी परिभाषा का केन्द्र डिजाइन किए गए उत्पाद और इसे कैसे वितरित और उपभोग किया जाता है के मध्य सम्बन्ध होता है।

(1) फैशन सिस्टम मॉडल 1940 के दशक का फैशन बीसवीं शताब्दी में फैशन के अध्ययन को एक अलग केन्द्र के साथ एक फैशन सिस्टम मॉडल के रूप में तैयार किया गया है। यहाँ से नवाचार संशोधन बाहर निकलते हैं। डेविस (1992) की डिजाइनर एक नजर के आधार पर काम करते हैं, सभी के लिए छवि हेमलाइन की लम्बाई के बारे में नियमों के साथ और क्या पहनना है। इसे मॉडल में फैशन की खपत करने वाली जनता एक अभिनव केन्द्रीय कोर से विकसित होती है जो केन्द्र से बाहर जाने वाले फैशन उपभोक्ताओं को ग्रहणशील बैड से घिरी होती है।

इस प्रणाली के अन्दर नवाचार डिजाइनों के चुनिंदा समूह से उत्पन्न हो सकता है, जैसे क्रिश्चियन डायर जिन्होंने 1947 में "नया रूप" पेश किया था। इसको प्रभावित करने वाले कारक व्यक्तिगत स्वाद से लेकर वर्तमान घटनाओं तक विपणन और बिक्री प्रचार तक हो सकते हैं। फेशन सिस्टम मॉडल अन्तिम योग्यता प्रभाव, आग्रह यहाँ तक कि मांग सभी के लिए एक नजर का दायरा है। अनुरूपता का सहायक तत्व है।

(2) लोक लुभावन मॉडल फैशन अपनाने के तीन प्राथमिक सिद्धान्त बड़े पैमाने पर सामाजिक आर्थिक स्तरों पर लागू होते हैं; लोक लुभावन मॉडल मानव विज्ञानी टेपोल हेयस हैमस द्वारा उनकी 1994 की पुस्तक "स्ट्रीट स्टाइल में कल्पना की गई, फैशन प्रेरणा-स्रोत- के रूप में कक्षाओं के स्थान पर समूहों की पहचान करता है। जैसे 1970 के लंदन में एक सामाजिक समूह। उदाहरण के लिए पूरे समूह में साझा की गई एक विशिष्ट शैली और उपस्थिति को अपना सकता है। शैली समूह को एकजुट करने और समूह के भीतर व्यक्तियों की पहचान करने का कार्य करती है परन्तु अक्सर समूह के बाहर के रुझानों से संबंधित नहीं होती है। व्यक्ति उस विशेष सामाजिक समूह के पहचान योग्य सदस्य बनने और बने रहने के लिए शैली अपनाते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- डिजाइन के तत्वों से आप क्या समझते हैं? ड्रेस डिजाइनिंग में इसका महत्व बताएँ।
  2. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्तों से क्या तात्पर्य है? गारमेण्ट निर्माण में ये कैसे सहायक हैं? चित्रों सहित समझाइए।
  3. प्रश्न- परिधान को डिजाइन करते समय डिजाइन के सिद्धान्तों को किस प्रकार प्रयोग में लाना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।
  4. प्रश्न- "वस्त्र तथा वस्त्र-विज्ञान के अध्ययन का दैनिक जीवन में महत्व" इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
  5. प्रश्न- वस्त्रों का मानव जीवन में क्या महत्व है? इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- गृहोपयोगी वस्त्र कौन-कौन से हैं? सभी का विवरण दीजिए।
  7. प्रश्न- अच्छे डिजायन की विशेषताएँ क्या हैं ?
  8. प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- डिजाइन के तत्व बताइए।
  10. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- अनुपात से आप क्या समझते हैं?
  12. प्रश्न- आकर्षण का केन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अनुरूपता से आप क्या समझते हैं?
  14. प्रश्न- परिधान कला में संतुलन क्या हैं?
  15. प्रश्न- संरचनात्मक और सजावटी डिजाइन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- फैशन के प्रेरक एवं बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिये।
  18. प्रश्न- फैशन चक्र से आप क्या समझते हैं? फैशन के सिद्धान्त समझाइये।
  19. प्रश्न- परिधान सम्बन्धी निर्णयों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
  20. प्रश्न- फैशन के परिप्रेक्ष्य में कला के सिद्धान्तों की चर्चा कीजिए।
  21. प्रश्न- ट्रेंड और स्टाइल को परिभाषित कीजिए।
  22. प्रश्न- फैशन शब्दावली को विस्तृत रूप में वर्णित कीजिए।
  23. प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।
  24. प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।
  25. प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
  26. प्रश्न- वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाला कारक फैशन भी है। स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- प्रोत / सतही प्रभाव का फैशन डिजाइनिंग में क्या महत्व है ?
  28. प्रश्न- फैशन साइकिल क्या है ?
  29. प्रश्न- फैड और क्लासिक को परिभाषित कीजिए।
  30. प्रश्न- "भारत में सुन्दर वस्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। " विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मलमल किस प्रकार का वस्त्र है? इसके इतिहास तथा बुनाई प्रक्रिया को समझाइए।
  33. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  34. प्रश्न- कश्मीरी शॉल की क्या विशेषताएँ हैं? इसको बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।.
  35. प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?
  36. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- ब्रोकेड के अन्तर्गत 'बनारसी साड़ी' पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- बाँधनी के प्रमुख प्रकारों को बताइए।
  40. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।
  41. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- राजस्थान के परम्परागत वस्त्रों और कढ़ाइयों को विस्तार से समझाइये।
  43. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- पटोला वस्त्र से आप क्या समझते हैं ?
  45. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- बांधनी से आप क्या समझते हैं ?
  47. प्रश्न- ढाका की साड़ियों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  48. प्रश्न- चंदेरी की साड़ियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
  49. प्रश्न- उड़ीसा के बंधास वस्त्र के बारे में लिखिए।
  50. प्रश्न- ढाका की मलमल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
  52. प्रश्न- भारत में वस्त्रों की भारतीय पारंपरिक या मुद्रित वस्त्र छपाई का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत के पारम्परिक चित्रित वस्त्रों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- गर्म एवं ठण्डे रंग समझाइए।
  55. प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
  56. प्रश्न- परिधानों में बल उत्पन्न करने की विधियाँ लिखिए।
  57. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  62. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए: (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  63. प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  65. प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  66. प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतवर्ष की प्रसिद्ध परम्परागत कढ़ाइयाँ कौन-सी हैं?
  68. प्रश्न- सुजानी कढ़ाई के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  69. प्रश्न- बिहार की खटवा कढ़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- फुलकारी किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- शीशेदार फुलकारी क्या हैं?
  72. प्रश्न- कांथा कढ़ाई के विषय में आप क्या जानते हैं?
  73. प्रश्न- कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले टाँकों का महत्व लिखिए।
  74. प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
  75. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- जरदोजी पर टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
  78. प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  79. प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

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