लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2694
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।

उत्तर -

फैशन का अर्थ फैशन सामाजिक नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण साधन है। कुछ प्रमुख विद्वानों ने फैशन को अपने शब्दों में परिभाषाओं के रूप में स्पष्ट किया है।

हर्बर्ट स्पेन्सर - इन्होंने फैशन को गेब्रियल ट्रेड के स्तर के रूप में माना है। "समकालीनो" की नकल के रूप में बचाव करता है।

मैकाइवर ने फैशन को "एक प्रथमगत विषय पर भिन्नता के सामाजिक रूप से स्वीकृत अनुक्रम के रूप में वर्णित किया है।'

लुंडबर्ग - “फैशन लोक तरीके हैं जो केवल थोड़े समय के लिये जीवित रहते हैं।"

ई ए. रॉस - फैशन लोगों के समूह की पसंद में आवर्ती परिवर्तनों की श्रृंखला है, हालांकि ये उपयोगिता के साथ हो सकते हैं, इसके द्वारा निर्धारित नहीं होते हैं।'

किमबाल यंग "फैशन वर्तमान उपयोग मोड अभिव्यक्ति के तरीके या विशेषता या प्रस्तुति है, उन विशेष संस्कृति लक्षणों की अवधारणा के रूप में परिभाषित करता है जो अनुकूलित करने की अनुमति देता है।'

फैशन का तात्पर्य कुछ ऐसी आदतों से है जिन पर फैशनेबल परिवर्तन पनपते हैं। यह नवीनता की इच्छा और अनुरूपता की इच्छा के बीच समझौता है। यह एक व्यवहार की स्थायी रेखा पर एक अस्थायी स्वीकृति परिवर्तन है। जैसे नायलॉन की साड़ी पहनना, ऊँची एड़ी के जूते पहनना, बाल कटवाना, क्रिकेट खेलना, ड्राइंगरूम को सजाने के लिए पेटिंग का उपयोग, जोड़ी में जाना इत्यादि।

फैशन की विशेषताएँ - फैशन की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं -

(1) फैशन एक समूह पसंद है फैशन एक व्यक्तिगत पसंद न होकर एक समूह पसंद है। जब तक कोई एक विशेष पसंद एक ही व्यक्ति तक सीमित रहती है, इसे बेहतर ढंग से शैली कहते है न कि फैशन। कई लोगों द्वारा अपनाई जाने वाली शैली ही फैशन का रूप ले लेती है।

(2) फैशन परिवर्तनशील है फैशन की प्रमुख विशेषता है कि यह परिवर्तनशील है इसकी प्रकृति में परिवर्तन होता रहता है। यदि यह लम्बे समय तक जीवित रहता है तो यह एक फैशन नहीं रह जाता है बल्कि यह एक लोक मार्ग या रीति बन जाता है।

(3) फैशन में उपयोगिता तत्व की उपस्थिति हो भी सकती है और नहीं भी एक फैशन को किसी उपयोगितावादी उद्देश्य के लिए अपनाया जा सकता है परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक फैशन की कुछ उपयोगिता हो और न ही कह सकते हैं कि फैशन बेकार है।

(4) फैशन का सर्वव्यापी होना मानव जीवन के एक बड़े हिस्से को फैशन गले लगाता है। फैशन को सभी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। फैशन प्रत्येक समाज में पाया जाता है।

(5) एकरूपता - परिवहन के तीव्र साधनों के कारण फैशन दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक फैल गया है। अमेरिकी हिप्पी का फैशन भारतीय समाज में भी फैल गया है।

(6) मैडेविंग टैम्पो कभी फैशन इतनी जल्दी बदल जाता है कि बदलते फैशन के साथ तालमेल बिठना मुश्किल हो जाता है।

कस्टम और फैशन के बीच विरोधाभास - कस्टम और फैशन को कभी-कभी विनमय माना जाता है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। दोनों के बीच विरोधाभास के निम्न बिन्दु देखे जा सकते हैं।

(1) रिवाज स्थायी है, फैशन परिवर्तनशील है कस्टम स्थायी है फैशन परिवर्तन है। रिवाज पीढ़ी से पीढ़ी तक प्रेषित होता है और रिवाज का पालन अनादि काल से ही किया जाता है दूसरी ओर फैशन अल्पकालिक है और मुश्किल से एक दशक तक जीवित रहता है। समय फैशन का बहुत सार है। पोशाक की शैली जो आज इतनी सुन्दर लगती है कुछ साल बाद हास्थास्पद लगेगी। यदि फैशन लम्बे समय तक जीवित रहता है तो वह वास्तव में फैशन नहीं रह जाता है। फैशन के स्थायित्व का अर्थ है फैशन का अंत, फैशन का पालन किया जाता है क्योंकि इसका पालन पहले कभी नहीं किया गया है।

(2) रिवाज सहज है फैशन कृत्रिम रिवाज सहज है फैशन कृत्रिम है। रिवाज समाज में अपने आप बढ़ता है और आदत के रूप में पालन किया जाता है परन्तु फैशन का निर्माण और पालन एक उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया जाता है। कभी-कभी एक अभिजात वर्ग नए - फैशन की शुरूआत करता है जिसका दूसरे लोग भी अनुसरण करते हैं। कभी-कभी यह राजनीतिक या सामाजिक आन्दोलन होता है जो आधुनिक भारत में खादी पहनने के रूप में एक फैशन शुरू करता है। कभी-कभी एक व्यवसायिक फर्म किसी फिल्म स्टार के साथ किसी उत्पाद को जोड़कर उसे लोकप्रिय बनाने के लिए फैशन का अविष्कार करती है। कभी-कभी फैशन उन लोगों के द्वारा शुरू किया जाता है जो पल के मूड को पकड़ने में कुशल होते हैं और उनकी नकल केवल इसलिए की जाती है क्योंकि वे रूचि जमाते है।

(3) सामाजिकता के लिए कस्टम स्टैड, व्यक्तित्व के लिए फैशन रिवाज सामाजिकता के लिए खड़ा है, व्यक्तित्व के लिए फैशन है। एक समुदाय के सभी सदस्यों द्वारा रिवाज का पालन किया जाता है और यह सार्वभौमिक अनुसरण उनके बीच सामाजिक बंधन बनाता है। फैशन किसके द्वारा शुरू किया गया है और जो इसे अपनाए वो आखिरी हो।

फैशन कैसे शुरू होता है यह अभी भी एक रहस्य है जिसको हल करने के लिए अधिक समाजशास्त्रीय को शोध की आवश्यकता है, इसे अभी तक दिया गया है, जब यह सार्वभौमिक हो जाता है, तब यह अपनी नवीनता खो देता है और नए फैशन को जगह देता है। एक प्रथा का पालन करके वह खुद को बाकी लोगों से अलग करना चाहता है।

(4) रिवाज का सम्बन्ध महत्वपूर्ण मामलों से है, फैशन का सम्बन्ध तुच्छ लोगों से है - रिवाज या प्रथा का सम्बन्ध समूह के अतरंग जीवन और स्वभाव से है, फैशन आमतौर से तुच्छ और सतही मामलों से सम्बन्धित है, या अन्य शब्दों में हम कह सकते है कि फैशन का सम्बन्ध उन चीजों से है जो बदल सकती है क्योंकि वे तुच्छ है जबकि रिवाज का सम्बन्ध उन चीजों से है जो बदल नहीं सकते क्योंकि वे महत्वपूर्ण हैं। फैशन स्वयं बदलाव पर जोर देता है न कि क्या बदलता है। पोशक के क्षेत्र में विशेष अवसरों पर प्रथा द्वारा निर्धारित सामान्य प्रकार के वस्त्र होते हैं, जैसे शादी, शोक या खेल या विशेष मौसम के लिए, जब कि इन प्रकारों के अन्दर शैलियों को फैशन द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

लड़की नॉयलान की साड़ी पहने या सूती, यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है। जैसे पोशाक में वैसे ही मनोरंजन और सामाजिक व्यवहार के अन्य कई क्षेत्रों में फैशन निर्धारित करता है, "कस्टम निर्धारित सामान्य प्रकारों की भगोड़ा किस्में।' लोग फैशन का पालन करते हैं क्योंकि कई विशिष्टताओं में पूर्ण रूप से फैशन से बाहर होने का मतलब बहुत अधिक सामाजिक प्रतिष्ठा खोना है और कुछ लोग ऐसे जोखिम की परवाह नहीं करते हैं।

(5) फैशन बढ़ता है जहाँ रिवाज टूट जाता है- फैशन वही बढ़ता है जहाँ पर कस्टम (रिवाज) टूट जाता है। यदि तलाक एक फैशन बन जाता है तो समाज को आपदा की ओर बढ़ने वाला कहा जा सकता है। यदि गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल फैशन बन गया तो परिवार का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। जब फैशन नैतिकता का स्थान ले लेता तो सामाजिक जीवन के ठोस स्तम्भ हिल जाते हैं।

आधुनिक समाज में फैशन आधुनिक समाज एक खुला समाज है। वर्ग भेद यहाँ पर इतना कठोर नहीं है जितना आदिम समाज में है।

आदिम जनजातियों या किसानों की तुलना में आधुनिक समाज में फैशन अधिक प्रचलित है। जिसके निम्न कारण हैं-

(1) मोबाइल वर्ग की संरचना शहरी और मोबाइल वर्ग संरचना का स्वाद इतना विकसित है कि वह नए पाठ्यक्रम को अपनाने में सक्षम बनाती है। आधुनिक समाज मतभेदों के प्रति अधिक सहिष्णु है और यही कारण है कि फैशन के चक्र पर कुछ बन्धन रखता है।

हमारे फैसलों के मानक में भी परिवर्तन आ गया है। आज व्यक्ति को उसके वंश, उसके चरित्र या उसकी वास्तविक उपलब्धियों की तुलना में देखने योग्य बाह्यताओं द्वारा अधिक आंका जाता है। एक आदमी जो कपड़े पहनता है वह जो भाषा बोलता है, जैसा वह व्यवहार करता है वह उसकी सादगी देशभक्ति और अखण्डता की तुलना में एक स्थिति को बताने में अधिक महत्व रखता है। यदि वह अपने पहनावे, वाणी और व्यवहार के मामलों में खुद को अपडेट रख सकता है तो वह खुद को उच्च सामाजिक सम्भावता आश्रासन देगा।

(2) समृद्धि आधुनिक समाज में न केवल मोबाइल और शहरी रहन-सहन बल्कि इसकी सम्पन्नता भी इसमें फैशन के अधिक प्रसार के लिए उत्तरदायी है। पुरुष वर्तमान समय में अपने पूर्वजों से अधिक धनी है और उनके पास अधिक समय है। वह विलासिता के साथ ही खेलने और फैशन के सम्बन्ध में सोचते हैं और साधन समय दोनों ही निकाल लेते हैं।

मैकाइवर "हम चौगा में फैशन के बारे में नहीं सोचते है; एक आटोमोबाइल के शरीर में उसके चेसिस की तुलना में अधिक फैशन होता है। नतीजन जीवन स्तर जितना ऊँचा होता है. फैशन के संचालन के लिए उतनी ही अधिक सामग्री होती है।

(3) संचार के साधन आधुनिक समाज में फैशन के प्रसार के लिए संचार के साधनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। समय और दूरी का कोई प्रतिबन्ध नहीं है। कहीं पर भी कोई नया अविष्कार होता है वह शीर्घ ही संचार द्वारा सभी जगह फैल जाता है। विज्ञापन और चलचित्र से फैशन का अविष्कार होता है वह सब लोग जान जाते हैं। वर्तमान समय में विशेषज्ञ नये नये फैशन बना रहे है। जबकि रिवाज संचार से दूर के क्षेत्रों में अधिक शक्तिशाली है वहाँ सबसे अलग है। आधुनिक समाज में रिवाज की पकड़ खो जाती है, फैशन को नयी जमीन मिलती है। औद्योगिक युग के संचयी अविष्कारों ने प्रथा द्वारा नियंत्रित जीवन के क्षेत्र को कम कर दिया है और फैशन द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में वृद्धि कर दी है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- डिजाइन के तत्वों से आप क्या समझते हैं? ड्रेस डिजाइनिंग में इसका महत्व बताएँ।
  2. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्तों से क्या तात्पर्य है? गारमेण्ट निर्माण में ये कैसे सहायक हैं? चित्रों सहित समझाइए।
  3. प्रश्न- परिधान को डिजाइन करते समय डिजाइन के सिद्धान्तों को किस प्रकार प्रयोग में लाना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।
  4. प्रश्न- "वस्त्र तथा वस्त्र-विज्ञान के अध्ययन का दैनिक जीवन में महत्व" इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
  5. प्रश्न- वस्त्रों का मानव जीवन में क्या महत्व है? इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- गृहोपयोगी वस्त्र कौन-कौन से हैं? सभी का विवरण दीजिए।
  7. प्रश्न- अच्छे डिजायन की विशेषताएँ क्या हैं ?
  8. प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- डिजाइन के तत्व बताइए।
  10. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- अनुपात से आप क्या समझते हैं?
  12. प्रश्न- आकर्षण का केन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अनुरूपता से आप क्या समझते हैं?
  14. प्रश्न- परिधान कला में संतुलन क्या हैं?
  15. प्रश्न- संरचनात्मक और सजावटी डिजाइन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- फैशन के प्रेरक एवं बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिये।
  18. प्रश्न- फैशन चक्र से आप क्या समझते हैं? फैशन के सिद्धान्त समझाइये।
  19. प्रश्न- परिधान सम्बन्धी निर्णयों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
  20. प्रश्न- फैशन के परिप्रेक्ष्य में कला के सिद्धान्तों की चर्चा कीजिए।
  21. प्रश्न- ट्रेंड और स्टाइल को परिभाषित कीजिए।
  22. प्रश्न- फैशन शब्दावली को विस्तृत रूप में वर्णित कीजिए।
  23. प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।
  24. प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।
  25. प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
  26. प्रश्न- वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाला कारक फैशन भी है। स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- प्रोत / सतही प्रभाव का फैशन डिजाइनिंग में क्या महत्व है ?
  28. प्रश्न- फैशन साइकिल क्या है ?
  29. प्रश्न- फैड और क्लासिक को परिभाषित कीजिए।
  30. प्रश्न- "भारत में सुन्दर वस्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। " विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मलमल किस प्रकार का वस्त्र है? इसके इतिहास तथा बुनाई प्रक्रिया को समझाइए।
  33. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  34. प्रश्न- कश्मीरी शॉल की क्या विशेषताएँ हैं? इसको बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।.
  35. प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?
  36. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- ब्रोकेड के अन्तर्गत 'बनारसी साड़ी' पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- बाँधनी के प्रमुख प्रकारों को बताइए।
  40. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।
  41. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- राजस्थान के परम्परागत वस्त्रों और कढ़ाइयों को विस्तार से समझाइये।
  43. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- पटोला वस्त्र से आप क्या समझते हैं ?
  45. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- बांधनी से आप क्या समझते हैं ?
  47. प्रश्न- ढाका की साड़ियों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  48. प्रश्न- चंदेरी की साड़ियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
  49. प्रश्न- उड़ीसा के बंधास वस्त्र के बारे में लिखिए।
  50. प्रश्न- ढाका की मलमल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
  52. प्रश्न- भारत में वस्त्रों की भारतीय पारंपरिक या मुद्रित वस्त्र छपाई का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत के पारम्परिक चित्रित वस्त्रों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- गर्म एवं ठण्डे रंग समझाइए।
  55. प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
  56. प्रश्न- परिधानों में बल उत्पन्न करने की विधियाँ लिखिए।
  57. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  62. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए: (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  63. प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  65. प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  66. प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतवर्ष की प्रसिद्ध परम्परागत कढ़ाइयाँ कौन-सी हैं?
  68. प्रश्न- सुजानी कढ़ाई के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  69. प्रश्न- बिहार की खटवा कढ़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- फुलकारी किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- शीशेदार फुलकारी क्या हैं?
  72. प्रश्न- कांथा कढ़ाई के विषय में आप क्या जानते हैं?
  73. प्रश्न- कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले टाँकों का महत्व लिखिए।
  74. प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
  75. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- जरदोजी पर टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
  78. प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  79. प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book