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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2693
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

प्रश्न- 'भोजन परोसना भी एक कला है।' इस कथन को समझाइए।

उत्तर -

भोजन परोसना
(Food Service)

अच्छा भोजन बनाने के साथ-साथ उसको परोसना भी एक कला है। जिसका ज्ञान भोजन प्रबन्धक को होना चाहिए। उचित विधि के द्वारा भोजन को सजाकर परोसने से साधारण खाद्य-पदार्थ भी अधिक आकर्षक एवं क्षुधावर्धक लगने लगता है। भोजन का अच्छा-खराब लगना उसके परोसने के ढंग पर निर्भर करता है। भोजन परोसने में तीन बातें ध्यान देने योग्य हैं-

1. स्वच्छता, 2. वातावरण, 3. परोसने की विधि।

भोजन का स्थान एकदम स्वच्छ होना चाहिए। खाने एवं परोसने के बर्तन भी स्वच्छ एवं चमकते हुए होने चाहिए। कई बार होटल या मेस में देखने को मिलता है कि थाली या प्लेट में राख, मिट्टी लगी होती है, गिलास के पेंदों में, चम्मचों के पीछे मैल जमा होता है। परोसने से पहले ही इन सब वस्तुओं का अच्छी तरह ध्यान रखना चाहिए कि सभी स्वच्छ है या नहीं। भोजन बनाने व परोसने वाले को यह देख लेना चाहिए कि उसके हाथ स्वच्छ हैं या नहीं। बाला बिखरे हुए नहीं होने चाहिए तथा वस्त्र स्वच्छ होने चाहिए। साफ-सुथरे व्यक्ति के हाथों से परोसा भोजन खाने से मन भी आनन्दित होता है।

भोजन परोसते समय वातावरण आनन्दमय होना चाहिए, उस समय लड़ाई झगड़ा, मारपीट जैसी स्थिति नहीं होनी चाहिए। खाना खाते समय गम्भीर वाद-विवाद नहीं करना चाहिए। आनन्ददायक वातावरण में प्रेमपूर्वक भोजन परोसना चाहिए। चाहे तो रेडियों, ट्रॉजिस्टर या रिकार्ड पर मधुर धुन बजायी जानी चाहिए।

भोजन परोसने की शैली (Types of Food Service) - भोजन परोसने के निम्नलिखित चार प्रकार हैं -

(1) विशुद्ध भारतीय शैली, (2) भारतीय विदेशी मिली-जुली शैली,
(3) पाश्चात्य शैली, तथा (4) बुफे (Buffet) शैली।

(1) विशुद्ध भारतीय शैली - इसे देशी शैली भी कहते हैं। इसमें फर्श पर आसन दरी या लकड़ी के पटरे पर बैठकर भोजन करते हैं। थाली को सामने जमीन पर या दूसरे पटरे पर रखते हैं। भोजन परोसने का काम गृहिणी करती है। थाली की बाईं ओर पानी का गिलास रखा जाता है। बाँए ओर थाली में चावल परोसा जाता है। ऊपर दहिनीं ओर नमक, नीबूं, आचार, चटनी, उसके बाद सब्जी की कटोरी, अन्त में दाल की कटोरी, थाली छोटी हो तो कटोरियाँ थाली से बाहर किनारे-किनारे सजायी जाती हैं। रायता, कड़ी, खीर को काँच की कटोरी में परोसा जा सकता है। थाली में एक साथ भोजन अधिक मात्रा में नहीं परोसना चाहिए, न ही भोजन परोसने में कंजूसी करनी चाहिए। खाने वाले व्यक्ति से पूछकर उनको मन पसन्द भोजन परोसा जाये। भोजन हाथ से नहीं चम्मच से परोसा जाना चाहिए।

(2) भारतीय विदेशी मिली-जुली शैली - भारत में इस शैली का अधिक प्रचलन है। खाने के मेज के किनारे कुर्सियाँ लगी रहती हैं। हर कुर्सी के सामने भोजन की थाली, कटोरी, गिलास, चम्मच रख दिया जाता है। मेज के बीच में कटोरी, डोंगों में चावल, दाल, सब्जियाँ, सलाद इत्यादि रखकर उनमें परोसने वाले चम्मच रख दिये जाते हैं। टेबिल पर ही पानी से भरा जग रख देते हैं। इस शैली में खाना प्रायः हाथ से खाया जाता है। इसमें भोजन को की आवश्यकता नहीं होती है।

(3) पाश्चात्य शैली - यह शैली मुख्यतः होटल, रेस्टोरेंट व बड़े-बड़े घरों में पार्टी आदि में अपनायी जाती है। इनको तीन प्रकार से वर्गीकृत किया गया है-

(i) वेटर (Waiter) सेवा - यह एक विधिवत् सेवा है जिसमें कर्मी, उपभोक्ता को मेन्यू देता है और वह क्या भोजन चाहता है इसके लिए इंतजार करता है। उपभोक्ता क्या भोजन चाहता है उसको लिखकर किचन में जाता है। इसी बची कर्मी पानी और पेय पदार्थ को परोसने है। वेटर सेवा में मेज पर काँटे, चम्मच, छुरी, खाने की प्लेट, नेपकिन, नमकदानी, फूलदानी आदि को प्रयोग में लाता है। मेन्यू को बहुत सी रूचि के अनुसार बनाया जाता है जैसे कि शादी के अनुसार, सम्मेलन आदि के अनुसार, अत्यधिक भोजन को सम्मिलित किया जाता है। वेटर सेवा के भी कई चरण होते हैं जो कि निम्न प्रकार हैं-

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(a) विशिष्ट भोज सेवा (Bonquet Service) - यह सेवा प्राय: सरकारी आयोजन आदि में प्रयोग में लायी जाती है। यह अत्यधिक विधिवत् प्रणाली है जिसमें भोजन परोसने के तरीके का दृढ़ता से पालन किया जाता है। इसमें मेजों को सफेद कपड़े से सजाते हैं, सभी मेजों पर उसी रंग के नेपकिन सजाते हैं। छुरी, चम्मच, काँटे प्रायः चांदी के रंग के होते हैं। प्रत्येक मेहमान के अनुसार मेन्यू कार्ड और नाम की प्लेट सजाते है। सेवा के दौरान मुख्य कर्मचारी सभी कर्मियों को निर्देश देते हैं जिससे वे भोजन को क्रमानुसार परोसते हैं।

(b) रेस्तराँ सेवा (Restaurant Service) - रेस्टोरेंट सेवा का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता को खाने के समय उचित वातावरण प्रदान करना है। भोजन परोसने का कार्य वेटर करते हैं। वे बैठे हुए व्यक्तियों को कई तरफ से भोजन परोसते हैं तथा खाली प्लेटें भी कई तरफ से उठाकर ले जाते हैं। गिलासों में पानी डालते हैं। भोजन करने के बाद हाथ धुलाने के लिए साबुन, पानी, तौलिया का प्रबन्ध करते हैं। उसके बाद पान, सुपारी, सौंफ, इलायची भी देते हैं। इस शेली में खाने के बाद अतिथियों को बोतल में गर्म पानी में कटे नींबू का टुकड़ा डालकर पेश करते हैं ताकि हाथों की चिकनाई साफ हो सके।

भारत में रेस्तराँ सेवा बहुत प्रचलित है। अलग राज्यों में अनेक परस्परा के अनुसार भोजन परोसा जाता है जैसे कि कुछ रेस्तराँ दक्षिण भारत के भोजन को उन्हीं की परम्परा के अनुसार केले के पत्तों पर देते हैं।

(c) कक्ष सेवा (Room Service) - कक्ष के नाम से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इस सेवा में भोजन कक्ष में पहुँचाते हैं जहाँ मेहमान रूकते हैं। प्रायः यह होटल, धर्मशाला आदि में होता है। यहाँ पर अतिथियों की आज्ञानुसार उनके भोजन को कक्ष में पहुँचाया जाता है। इसमें वेटर स्टेश ट्राली के द्वारा भोजन को पहुँचाता है।

(II) स्वाहार (Self-Service) - इसमें भोजन उपभोक्ता काउन्टर या मेज पर जाकर स्वयं लेते हैं। यह एक अनौपचारिक शैली है। बहुत से स्वाहार शैली होती है। आवश्यकता के अनुसार, उपभोक्ता उन शैली को ग्रहण करता है।

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(4) बुफे शैली (Buffet Service) - जब स्थान कम होता है तथा अतिथि अधिक, तब इस शैली से भोज दिया जाता है। बड़े शहरों में इस विधि को लोग अधिक-से-अधिक अपनानें लगे हैं। इसमें अधिक कुर्सियों की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है। एक बड़ी मेज पर खाने की सभी सामग्रियाँ बड़े-बड़े डोंगों और बड़ी प्लेटों में सजा दी जाती है। पास ही परोसने के चम्मच रखे जाते हैं। मेज के किनारों पर खाने की प्लेटों के ढेर, चम्मच और नेपकिन रखते हैं। एक सिरे से हर व्यक्ति अपने लिए नेपकिन लेकर उसके ऊपर प्लेट रखकर चम्मच के साथ आगे बढ़ता है। मनचाही चीजें परोसता हुआ आगे बढ़ता है। सभी लोग टेबिल के आसपास खड़े होकर, घूमकर, बातें करते हुए खाते हैं। कुछ कुर्सियों होती है, वहाँ भी लोग बैठकर खा सकते हैं। अधिकतर बड़ी पार्टी में ऐसे ही भोजन परोसा जाता है।

भोजन करने के बाद हाथ धुलाने के लिए साबुन, पानी तौलिया का प्रबन्ध रखना चाहिए उसके बाद पान, सुपारी, सौंफ, इलायची भी देनी चाहिए।

पाश्चात्य शैली में भोजन परोसे जाने पर मीठा व्यंजन खाना खा लेने के बाद अतिथियों को बोतल में गर्म पानी में कटे नींबू का टुकड़ा डालकर पेश करना चाहिए, ताकि वे अपनी अंगुलियों में लगी चिकनाई को साफ कर सकें।

पाश्चात्य शैली की बड़ी औपचारिक दावतों में लम्बी मेजों पर सफेद या क्रीम रंग के टेबिल क्लॉथ बिछाये जाते हैं। भोजन परोसने का कार्य 'वेटर' करते हैं। वे बैठे हुए व्यक्तियों को कई तरफ से भोजन परोसते हैं तथा खाली प्लेटें भी कई तरफ से ही डठाकर ले जाते हैं। कोई भी चीज परोसते समय, तय किये हुए टेबिल नेपकिन पर रखे हुए डोगें को बाएँ हाथ से पकड़ते हैं तथा दाहिने हाथ में लिए हुए चम्मच से अतिथि की प्लेट में भोजन परोसते हैं। अतिथि के स्वयं परोसने की इच्छा होने पर चम्मच को व्यंजन में डालकर चम्मच का हत्था उसकी तरफ कर दिया जाता है। गिलासों में पानी डालते समय भी दाहिने हाथ में पानी का जग तथा बाँए हाथ में पानी डालने के तुरन्त बाद नेपकिन को जग के सामने लम्बाई की तरफ लगा दिया जाता है ताकि पानी की बूँदें इधर-उधर गिरने न पायें।

सबसे महत्वपूर्ण महिला अतिथि को सर्वप्रथम भोजन परोसा जाता है। पुरुषों के पहले ही अन्य महिलाओं को आदर देने के लिए भोजन परोसते हैं। मेजबान पुरुष तथा मेजबान महिला सबसे अन्त में भोजन परोसती हैं। वेटर के अभाव में स्टेश ट्रॉली की सहायता से भोजन परोसते हैं।

अनौपचारिक दाक्तों में टेबिल मैट्स का प्रयोग किया जाता है। टेबिल पर बीच में ही एक कतार में व्यंजन डोंगों और प्लेटों में सजे रखे रहते हैं। हर व्यक्ति एक-एक डोगें से अपनी प्लेट में भोजन परोसकर दाहिने, बैठे व्यक्ति को डोंगा बढ़ा देता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- दैनिक आहारीय मात्राओं से आप क्या समझते हैं? आर.डी.ए. का महत्व एवं कार्य बताइए।
  2. प्रश्न- आहार मात्राएँ क्या हैं? विभिन्न आयु वर्ग के लिये प्रस्तावित आहार मात्राओं का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- संदर्भित महिला व पुरुष को परिभाषित कीजिए एवं पोषण सम्बन्धी दैनिक आवश्यकताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं से आप क्या समझते हैं? दैनिक प्रस्तावित मात्राओं को बनाते समय ध्यान रखने योग्य आहारीय निर्देशों का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  6. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  7. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिये एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  8. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  9. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित आवश्यकता की विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- प्रस्तावित दैनिक आवश्यकता के निर्धारण का आधार क्या है?
  11. प्रश्न- शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व कौन-कौन से हैं? इन तत्वों को स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में वर्गीकृत कीजिए।
  12. प्रश्न- भोजन क्या है?
  13. प्रश्न- उत्तम पोषण एवं कुपोषण के लक्षणों में क्या अन्तर है?
  14. प्रश्न- हमारे लिए भोजन क्यों आवश्यक है?
  15. प्रश्न- शरीर में जल की क्या उपयोगिता है
  16. प्रश्न- क्या जल एक स्थूल पोषक तत्व है?
  17. प्रश्न- स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में अंतर बताइये।
  18. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट किसे कहते हैं? इसकी प्राप्ति के स्रोत तथा उपयोगिता बताइये।
  19. प्रश्न- मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी व अधिकता से क्या हानियाँ होती हैं?
  20. प्रश्न- आण्विक संरचना के आधार पर कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक लिखिए।
  21. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का मानव शरीर में किस प्रकार पाचन व अवशोषण होता है?
  22. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट की उपयोगिता बताइये।
  23. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट क्या है? इसके प्राप्ति के स्रोत बताओ।
  24. प्रश्न- प्रोटीन से क्या तात्पर्य है? मानव शरीर में प्रोटीन की उपयोगिता बताइए।
  25. प्रश्न- प्रोटीन को वर्गीकृत कीजिए तथा प्रोटीन के स्रोत तथा कार्य बताइए। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के बारे में भी बताइए।
  26. प्रश्न- प्रोटीन के पाचन, अवशोषण व चयापचय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- प्रोटीन का जैविक मूल्य क्या है? प्रोटीन का जैविक मूल्य ज्ञात करने की विधियाँ बताइये।
  28. प्रश्न- प्रोटीन की दैनिक जीवन में कितनी मात्रा की आवश्यकता होती है?
  29. प्रश्न- प्रोटीन की अधिकता से क्या हानियाँ हैं?
  30. प्रश्न- प्रोटीन की शरीर में क्या उपयोगिता है?
  31. प्रश्न- प्रोटीन की कमी से होने वाले प्रभाव लिखिए।
  32. प्रश्न- वसा से आप क्या समझते हैं? वसा प्राप्ति के प्रमुख स्रोत एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - वसा का पाचन एवं अवशोषण।
  34. प्रश्न- वसा या तेल का रासायनिक संगठन बताते हुए वर्गीकरण कीजिए।
  35. प्रश्न- वसा की उपयोगिता बताओ।
  36. प्रश्न- वसा के प्रकार एवं स्रोत बताओ।
  37. प्रश्न- वसा की विशेषताएँ लिखिए।
  38. प्रश्न- पोषक तत्व की परिभाषा दीजिए। सामान्य मानव संवृद्धि में इनकी भूमिका का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- विटामिनों से क्या आशय है? इनके प्रकार, प्राप्ति के साधन एवं उनकी कमी से होने वाले रोगों के विषय में विस्तारपूर्वक लिखिए।
  40. प्रश्न- विटामिन
  41. प्रश्न- विटामिन 'ए' क्या है? विटामिन ए की प्राप्ति के साधन तथा आहार में इसकी कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- विटामिन डी की प्राप्ति के साधन बताइये।
  43. प्रश्न- विटामिन सी की कमी से क्या हानियाँ हैं?
  44. प्रश्न- विटामिन डी की दैनिक प्रस्तावित मात्रा बताइये।
  45. प्रश्न- वसा में घुलनशील व जल में घुलनशील विटामिनों में क्या अन्तर है?
  46. प्रश्न- खनिज तत्वों से आप क्या समझते है? खनिज तत्वों का कार्य बताइए।
  47. प्रश्न- फॉस्फोरस एवं लोहे की प्राप्ति, स्रोत, कार्य व इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- कैल्शियम की प्राप्ति के साधन कार्य तथा इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- जिंक की कमी से शरीर को क्या हानि होती है? इनकी प्राप्ति के साधन उदाहरण सहित समझाइए।
  50. प्रश्न- आयोडीन का महत्व बताइये।
  51. प्रश्न- सोडियम का भोजन में क्या महत्व है?
  52. प्रश्न- ताँबे का क्या कार्य है?
  53. प्रश्न- शरीर में फ्लोरीन की भूमिका लिखिए।
  54. प्रश्न- शरीर में मैंगनीज का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- शरीर में कैल्शियम का अवशोषण तथा चयापचय की संक्षिप्त में व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- आहारीय रेशे का क्या अर्थ है? आहारीय रेशों का संगठन, वर्गीकरण एवं लाभ लिखिए।
  57. प्रश्न- भोजन में रेशेदार पदार्थों का क्या महत्व है? रेशेदार पदार्थों के स्रोत एवं प्रतिदिन की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- फाइबर की कमी शरीर पर क्या प्रभाव डालती है?
  59. प्रश्न- फाइबर की अधिकता से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  60. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा को तालिका द्वारा बताइए।
  61. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  62. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  63. प्रश्न-
  64. प्रश्न-
  65. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  67. प्रश्न- भोजन में मसालों की उपयोगिता बताइये।
  68. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  69. प्रश्न- 'भोज्य मिलावट' क्या होती है, समझाइये।
  70. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया से बनाये जाने वाले पदार्थों का वर्णन कीजिए तथा खमीरीकरण प्रक्रिया के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अनुपूरक व विस्थापक पदार्थों से आपका क्या अभिप्राय है? उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों का फोर्टीफिके शनकि स प्रकार से किया जाता है? वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भोजन की पौष्टिकता को बढ़ाने वाले विभिन्न तरीके क्या होते हैं? विवरण दीजिए।
  74. प्रश्न- अंकुरीकरण तथा खमीरीकरण किस प्रकार से भोजन के पौष्टिक मूल्य को बढ़ाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया किन बातों पर निर्भर करती हैं।
  76. प्रश्न- खमीरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  78. प्रश्न- 'आहार आयोजन' करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  79. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  81. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  82. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  83. प्रश्न- 'आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  85. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये। किशोरी का आहार आयोजन करते समय आप किन पौष्टिक तत्वों का ध्यान रखेंगे?
  86. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझते हैं?
  87. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  89. प्रश्न- कैटरिंग की संकल्पना से आप क्या समझते हैं? समझाइये।
  90. प्रश्न- भोजन करते समय शिष्टाचार सम्बन्धी किन बातों को ध्यान में रखा जाता है?
  91. प्रश्न- भोजन प्रबन्ध सेवा (Catering Service) के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से समझाइए।
  92. प्रश्न- एक गृहिणी अपने घर में किस प्रकार सुन्दर मेज सजाकर रखती है? समझाइए।
  93. प्रश्न- 'भोजन परोसना भी एक कला है।' इस कथन को समझाइए।
  94. प्रश्न- केटरिंग सेवाओं की अवधारणा और सिद्धान्त समझाइये।
  95. प्रश्न- 'स्वयं सेवा' के लाभ तथा हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- छोटे और बड़े समूह में परोसने की विधियों की तुलना कीजिये।
  97. प्रश्न- Menu से आप क्या समझते हैं? विभिन्न प्रकार के Menu को समझाइये।
  98. प्रश्न- बड़े समूह की भोजन व्यवस्था पर एक टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- कैन्टीन का लेखा-जोखा कैसे रखा जाता है? समझाइए।
  100. प्रश्न- बड़े समूह को खाना परोसते समय आप कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखेंगे तथा अपने संस्थान में एक लड़कियों के लिये कैंटीन की योजना कैसे बनाएंगे? विस्तारपूर्वक समझाइए।
  101. प्रश्न- खाद्य प्रतिष्ठान हेतु क्या योग्यताओं की आवश्यकता तथा प्रशिक्षण आवश्यक है? समझाइए।
  102. प्रश्न- बुफे शैली में भोजन किस प्रकार परोसा जाता है?
  103. प्रश्न- चक्रक मेन्यू क्या है?
  104. प्रश्न- 'पानी के जहाज (Ship) पर भोजन की व्यवस्था' इस विषय पर टिप्पणी करिये।
  105. प्रश्न- मेन्यू के सिद्धांत क्या हैं? विभिन्न प्रकार के मेन्यू के बारे में लिखिये।

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