बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन
प्रश्न- प्रोटीन के पाचन, अवशोषण व चयापचय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
प्रोटीन के पाचन अवशोषण व उपापचय पर विस्तृत व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
(Digestion, Absorption & Metabolism of Proteins)
पाचन (Digestion) - पाचन क्रिया के अन्तर्गत सभी प्रोटीन अपनी सूक्ष्मतम इकाइयों जिन्हें एमीनो एसिड्स कहते हैं, में विभक्त होते हैं। पाचन में प्रोटीओजेस एन्जाइम सहायक होता है।
भोजन सर्वप्रथम मुख में आता है यहाँ लार की क्रिया होती है। लार में कोई प्रोटीन का पाचक रस नहीं होता। अपची अवस्था में प्रोटीन आमाशय में आता है। यहाँ अम्लीय माध्यम में पेप्सिन एन्जाइम, पेप्टाइड श्रृंखला पर आक्रमण करके पेप्टोन व प्रोटीओजेस में विभक्त कर देते हैं-
यह प्रोटीन का आंशिक पाचन है। प्रोटीन इसी अवस्था में पक्वाशय में होता हुआ छोटी आँत में आता है। जहाँ अम्लीय माध्यम की बजाय क्षारीय माध्यम में पाचन होता है। अग्नाशय द्वारा स्रावित दो एन्जाइम आँत में मिलते हैं-
(i) ट्रिप्सिन
(ii) काइमो ट्रिप्सिन
ट्रिप्सिन की क्रिया में पेप्टोन पोली पेप्टाइड्स में विभक्त हो जाते हैं।
काइमोट्रिप्सिन (Chymotrypsin) दूसरा एन्जाइम है जो दूध की प्रोटीन पर क्रिया करता है। ये दोनों एन्जाइम भोजन की लगभग 30% प्रोटीन को एमीनो अम्ल में परिवर्तित कर देते हैं।
शेष 70% प्रोटीन डाइपेप्टाइड्स, पेप्टाइड्स व अन्य जटिल एमीनो एसिड के रूप में पायी जाती है। बड़ी आँत में इरैप्सिन व कैथेप्सिन एन्जाइम इन पौली पेप्टाइड को एमीनो एसिड में विभक्त कर देते हैं। ये दोनों एन्जाइम आँत्रीय ग्रन्थियों से निकलते हैं। जब सम्पूर्ण प्रोटीन को एमीनो एसिड में विभक्त कर लिया जाता है तब ही प्रोटीन का पाचन पूर्ण हो जाता है।
अवशोषण (Absorption) - प्रोटीन के पाचन के फलस्वरूप बने एमीनो एसिड का अवशोषण आँत्र नली में होता है। अवशोषण दो विधियों से होता है-
(i) विसरण (diffusion) द्वारा (ii) सक्रिय परिवहन विधि (Active transportation system) द्वारा।
लगभग 12% एमीनो अम्ल आमाशय में, 60% छोटी आँत्र में तथा 28% बड़ी आँत्र द्वारा अवशोषित किया जाता है। आँत्र मार्ग में शोषित एमीनो अम्ल यकृत में लाये जाते हैं जहाँ से रक्त परिवहन द्वारा शरीर की विभिन्न कोशों व ऊतकों में पहुँचा दिये जाते हैं।
प्रायः वनस्पति स्रोतों से प्राप्त प्रोटीन का अवशोषण रेशों की मात्रा अधिक होने के कारण "जन्तु स्रोतों से प्राप्त प्रोटीन की अपेक्षा धीमी गति से होता है।
चयापचय (Metabolism) - शरीर में पाचन के फलस्वरूप प्रोटीन अपनी सूक्ष्मतम इकाइयों एमीनो एसिड में विभक्त कर ली जाती है। ये एमीनो एसिड आँत्र नली द्वारा अवशोषित होकर वृक्क शिरा (Portal vein) द्वारा यकृत में ले जाये जाते हैं। यहाँ एमीनो एसिड की कुछ मात्रा यकृत प्लाज्मा प्रोटीन के रूप में संश्लेषित कर लेती हैं तथा कुछ मात्रा एमीनो एसिड रक्त परिवहन द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में भेजा जाता है। जहाँ पर यह कोशिकाओं द्वारा शोषित करके आवश्यकतानुसार प्रोटीन में परिवर्तित कर लिया जाता है (Each tissue build up its own particular form of protein)
शरीर की आवश्यकता से अधिक एमीनो अम्ल, जिनकी शरीर में कोई उपयोगिता नहीं होती, शरीर में संग्रहित नहीं किये जाते बल्कि इनका डीएमीनेशन करके दो प्रकार के प्रयोग किया जाता है -
(1) नाइट्रोजनीय भाग को क्रेब चक्र (Kreb cycle) से गुजारा जाता है वहाँ पर कार्बन डाइ ऑक्साइड व पानी विभक्त हो जाता है। इस प्रकार शरीर के लिए ऊर्जा विमुक्त करता है। (2) नाइट्रोजनीय भाग यूरिया में परिवर्तित हो जाता है, जो मूत्र के रूप में शरीर से उत्सर्जित कर दिया जाता है।
1. यदि शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता हो और कार्बोहाइड्रेट उपलब्ध न हो तो एमीनो एसिड का डीएमीनेशन करके उसे यूरिया में परिवर्तित कर लिया जाता है जो मूत्र द्वारा निष्कासित हो जाता है। नाइट्रोजन-विहीन भाग जो शेष बचता है वह ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रयोग कर लिया जाता है।
2. शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता पूर्ण हो रही हो तो एमीनो एसिड प्रोटीन संश्लेषण (protein synthesis) में काम आते हैं।
3. ग्लूकोजिनिक एमीनो अम्ल (जो ग्लूकोज निर्माण में सहायक होते हैं) ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाते हैं जो चयापचय के फलस्वरूप ऊर्जा के रूप में प्रयुक्त होते हैं। शेष ग्लाइकोजन वसा के रूप में संग्रहित कर लिए जाते हैं। ग्लूकोजिनिक एमीनो समूह के उदाहरण हैं- सिस्टीन, ऐलेलीन तथा मिथियोनिन आदि।
4. कीटोजिनिक एमीनो अम्ल (जो वसीय अम्ल का निर्माण करने में सहायक होते हैं) वसीय अम्ल में परिवर्तित हो जाते हैं जो चयापचय के दौरान या तो ऊर्जा में परिवर्तित कर लिये जाते हैं, या वसा के रूप में संग्रहित कर लिये जाते हैं।
इन कीटोजिनिक एमीनो अम्ल के उदाहरण हैं ल्यूसिन, आइसोल्यूसिन, फिनाएलएलीलिन तथा टायरोसिन।
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