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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2693
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

प्रश्न- प्रोटीन को वर्गीकृत कीजिए तथा प्रोटीन के स्रोत तथा कार्य बताइए। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के बारे में भी बताइए।

अथवा
अपूर्ण प्रोटीन क्या है?

उत्तर -

प्रोटीन का वर्गीकरण

प्रोटीन का वर्गीकरण हम गुण, साधन तथा रासायनिक संरचना के आधार पर करते हैं।

गुण के आधार पर प्रोटीन का वर्गीकरण - गुण के आधार पर प्रोटीन के निम्न वर्ग हैं-

(1) उत्तम प्रोटीन पूर्ण प्रोटीन - इस वर्ग के अन्तर्गत आने वाले प्रोटीन प्राणी को जीवित बनाए रखने के लिये होते हैं। यह छोटे बच्चों के विकास एवं वृद्धि के लिये उत्तम है। वे भोज्य पदार्थ जिनमें सभी आवश्यक अमीनो अम्ल पाए जाते हैं, वह उत्तम प्रोटीन के अन्तर्गत आते हैं। पशुओं से प्राप्त प्रोटीन उत्तम प्रोटीन का उदाहरण हैं। इसी वर्ग के अन्य प्रोटीन हैं-

दूध ------------------- दूध में लैक्टएल्ब्यूमिन पाया जाता है।
अण्डे की जर्दी ------- अण्डे में ऑवल्यूमिन, ओवोविलेटिन पाया जाता है।
मांस ----------------- मांस में ट्रिप्टोफैन एवं ल्यूसिन पाया जाता है।
सोयाबीन ----------- सोयाबीन में ग्लाइसिन पाया जाता है।
मेवे ---------------- --मेवे में एक्सेलसिन पाया जाता है।
मक्का ------------ --मक्का में ग्लूटेनिन पाया जाता है।.

 

(2) मध्यम या आंशिक रूप से पूर्ण प्रोटीन - वनस्पति जगत से प्राप्त होने वाले प्रोटीन जीवन तो बनाए रखते हैं परन्तु सामान्य वृद्धि एवं विकास में सहायता नहीं करते हैं। इस वर्ग के प्रोटीन का उदाहरण ग्लीआडीन है। मटर में पायी जाने वाली लेग्यूमिन तथा लेग्यूमिलीन मध्यम प्रोटीन का उदाहरण है।

(3) अपूर्ण प्रोटीन - अपूर्ण प्रोटीन में आवश्यक अमीनो अम्ल का अभाव रहता है। इस प्रोटीन का उपयोग न ही जीवित रहने में आवश्यक है और न ही सामान्य वृद्धि में। वनस्पति तथा तृणधान्य में पायी जाने वाली प्रोटीन अपूर्ण प्रोटीन है। यदि अपूर्ण प्रोटीन का उपयोग अन्य प्रोटीन के साथ मिला कर किया जाए तो उपयोगी बन सकती है। जैसे- रोटी-मांस, दाल- दही, रोटी - दूध।

 

प्राप्ति स्रोतों के आधार पर प्रोटीन का वर्गीकरण - प्राप्ति स्रोतों के आधार पर प्रोटीन का वर्गीकरण दो वर्गों में कर सकते हैं-

(1) प्राणिज प्रोटीन - यह प्राणिज्य जगत से प्राप्त भोज्य पदार्थों से प्राप्त प्रोटीन है। इसके स्रोत मांस, मछली, अण्डे, दूध तथा दूध से निर्मित भोज्य पदार्थ। अण्डे से प्राप्त उत्तम प्रोटीन है, क्योंकि इसमें सभी          महत्वपूर्ण अमीनो एसिड पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
(2) वानस्पतिक प्रोटीन -
यह वानस्पतिक भोज्य पदार्थों से प्राप्त प्रोटीन होती है। इसके प्रमुख स्रोत अनाज, दालें, सोयाबीन, सूखे मेवे, हरी सब्जियाँ तिलहन आदि हैं।

रासायनिक संरचना के आधार पर - प्रोटीन की रासायनिक संरचना, घुलनशीलता तथा अन्य भौतिक गुणों के आधार पर भी वर्गीकरण किया जाता है। इस आधार पर प्रोटीन को तीन वर्गों में विभाजित करते हैं -

(1) साधारण प्रोटीन - इस वर्ग के अन्तर्गत वे प्रोटीन आते हैं जिनके तत्व जल अपघटन क्रिया के पश्चात् केवल अमीनो एसिड में विभक्त होते हैं। साधारण प्रोटीन है - एल्ब्यूमिन्स, ग्लोब्यूलीन्स, ग्लूटेलीन्स, प्रोलेमिन्स, एल्ब्यूमीनाइडस, प्रोटेमिन्स एवं हिस्टोन्स।

(a) एल्ब्यूमिन्स - यह पानी में घुलनशील होते हैं तथा गर्म करने पर थक्के के रूप में जम जाते हैं। अण्डे का एल्ब्यूमिन्स, रक्त का सीरम एल्ब्यूमिन, गेहूँ का ल्यूकोसिन, मटर का लेग्यूमेलीन, दूध का लेफ्टोएल्ब्यूमिन इसके उदाहरण हैं।

(b) ग्लोब्यूलीन्स - यह पानी में अघुलनशील है परन्तु उदासीन नमक के घोल में घुलनशील होते हैं। मांसपेशियों की ग्लोब्यूलीन, पटसन के बीच में पायी जाने वाली एडेसटीन फलियों में पायी जाने वाली फासोलीन, मटर की लेग्यूमीन, आलू की ट्यूबेरीन, बादाम की एमानडीन, मूँगफली की एरेचिन इसके उदाहरण हैं।

(c) ग्लूटेलिन्स - यह प्रोटीन उदासीन घोलकों में अघुलनशील हैं, किन्तु हल्के अम्ल और क्षार में शीघ्रता से घुलनशील हैं। जैसे गेहूँ की ग्लूटेनिन।

(d) प्रोलेमीन्स - यह तीव्र एल्कोहॉल में घुलनशील किन्तु पानी तथा उदासीन घोलकों में अघुलनशील है। जैसे गेहूँ की ग्लीआडीन, मक्का की जीन, जौकी होटडीन।

(e) एल्ब्यूमिनाइड्स अथवा स्कैलेरो प्रोटीन - ये सरल प्रोटीन पशुओं के अस्थि संस्थान सम्बन्धी संरचनाओं, त्वचा, केश, सींग, नाखून आदि बाह्य सुरक्षात्मक ऊतकों में पाया जाता है। इस प्रोटीन का अच्छा उदाहरण कौलेजन है। इस प्रोटीन को जल में उबालने से जैलेटिन प्राप्त होता है।

(f) प्रोटेमिन्स - साधारण प्रोटीन समूह की अन्य प्रोटीन की अपेक्षा ये प्रोटीन अधिक सरल होती हैं। ये जल में घुलनशील, ताप से थक्के के रूप में नहीं जमती हैं। जलीय विश्लेषण किए जाने पर इनमें कुछ अमीनो एसिड प्राप्त होते हैं परन्तु पोषक पदार्थों के रूप में वे महत्वपूर्ण नहीं होते हैं।

(g) हिस्टोन्स - जल में घुलनशील परन्तु अधिक तरलीकृत अमोनिया में अघुलनशील है। संश्लेषण क्रिया करने पर ये अनेक प्रकार के अमीनो एसिड प्रदान करते हैं, जैसे- थायमस, हिस्टोन और रुधिर वार्षिक हीमोग्लोबिन तथा ग्लोबिन भोजन के तत्व के रूप में इनका बहुत महत्व है।

(2) संयुग्मी प्रोटीन - इस प्रोटीन में अमीनो अम्ल के अणु के साथ अन्य किसी भी तत्व के अणु उपस्थित होते हैं।

(a) न्यूक्लिओ प्रोटीन - इस प्रकार की प्रोटीन में प्रोटीन के अणु व न्यूक्लिक अम्ल के यौगिक होते हैं। क्रमशः थाइमस ग्रन्थि और गेहूँ के जीवाणु पाए जाते हैं।
(b) ग्लाइको प्रोटीन - कार्बोज समूह के तत्वों के साथ प्रोटीन के अणु संयुक्त होने पर यौगिक निर्मित होते हैं। जैसे- म्यूसिन
(c) फास्फो प्रोटीन - इसमें फास्फोरस और प्रोटीन के अणु संयुक्त होते हैं, केसीनोजन और ऑवाविटेलिन इस वर्ग के उदाहरण हैं। ये दूध और अण्डे की जर्दी में उपस्थित होते हैं।
(d) हीमोग्लोबिन - हीमोग्लोबिन प्रोटीन के अणु और आयरन तत्व का यौगिक है। इसका उदाहरण रक्त का हीमोग्लोबिन है।
(e) लाइपो प्रोटीन - ये प्रोटीन के अणु के साथ वसा के अणु के यौगिक हैं।

(3) व्युत्पन्न प्रोटीन - एन्जाइम की क्रिया तथा भौतिक शक्तियों या जल - विश्लेषण अभिकरणों की प्रक्रिया द्वारा प्रोटीन के आंशिक खण्डन के परिणामस्वरूप उत्पन्न प्रोटीन व्युत्पन्न प्रोटीन कहलाते हैं। पेप्टोन, पालीपेप्टाइड तथा पेप्टाइड, जो अमीनो एसिड के मिश्रण हैं, इस वर्ग के उदाहरण हैं। ये दो प्रकार की होती है -

(1) व्युत्पन्न प्राथमिक प्रोटीन - इस पर किसी भी क्रिया का प्रभाव कम पड़ता है।

(a) प्रोटीन - ये जल की प्रारम्भिक क्रिया के परिणामस्वरूप होते हैं। ये जल में अघुलनशील तत्व एसिड या एन्जाइम होते हैं। जमे हुए दूध में केसीन के रूप में तथा जमे हुए रक्त में फाइब्रिन के रूप में पाए जाते हैं।
(b) मेटा प्रोटीन - ये क्षारों और अम्लों की आगामी क्रिया द्वारा निर्मित पदार्थ होते हैं। इस समूह के अन्तर्गत एसिड प्रोटीन, एसिड एल्ब्यूमिनेट सम्मिलित हैं।
(c) जमे हुए प्रोटीन - ये अघुलनशील तत्व हैं, जिनकी उत्पत्ति प्रोटीन घोलों पर ताप की क्रिया के अथवा प्रोर्ट पर मादक द्रव्य की क्रिया के परिणामस्वरूप होती है। जैसे- पकाए हुए अण्डे का एल्ब्यूमिन।

(2) व्युत्पन्न गौण प्रोटीन -

(a) प्रोटिओज - ये जल में घुलनशील होते हैं तथा ताप से जमते नहीं। व्यापारिक स्तर पर उत्पादित पेप्टोन में प्रोटिओज का अंश अधिक होता है।
(b) पेप्टोन - ये जल में घुलनशील होते हैं तथा ताप द्वारा इन्हें जमाया या सख्त नहीं किया जा सकता है। ये प्रोटिओज से आगे के स्तर के हैं।
(c) पेप्टाइड - इनमें दो या दो से अधिक अमीनो एसिड का संयोजन होता है। पेप्टोन के आगामी जल - विश्लेषण भेदन से पेप्टाइड बनते हैं।

तालिका मुख्य भोज्य पदार्थों की प्रोटीन

भोज्य पदार्थ
प्रोटीन का नाम महत्व
दूध केसीन पूर्ण
दूध से बने पदार्थ लेक्टएल्ब्यूमेलिन पूर्ण
सोयाबीन ग्लाइसिन, लेग्यूमेलिन पूर्ण
बादाम एक्सेलसिन अंशत: पूर्ण
मटर लेग्यूमिन पूर्ण
मक्का ग्लेटेलिन, जीन अपूर्ण
गेहूँ ग्लायडिन, ग्लूटेमिन अंशत: पूर्ण
जेलेटिन जेलेटिन अपूर्ण
अण्डा ओबएल्यूमिन, ओबाइटेलिन पूर्ण
माँस एल्ब्यूमिन पूर्ण
  माओसिन पूर्ण

 

प्रोटीन कमी से होने वाले रोग

प्रोटीन की कमी से उत्पन्न होने वाला प्रमुख रोग क्वशियोरकर है।

'क्वाशियोरकर' - यह नाम 1933 में सिसले विलियम द्वारा सर्वप्रथम परिचित कराया गया था।

क्वाशियोरकर का अर्थ है - पहले "दूसरे बच्चे के जन्म से बड़े बच्चे को बीमारी प्राप्त होती है।" यह उचित भी है क्योंकि दूसरे बच्चे के जन्म के कारण बड़े बच्चे को अनायास ही माँ. का दूध मिलना बन्द हो जाता है और वह यह समय होता है जब बच्चा केवल माँ के दूध में ही निर्भर रहता है जिससे बच्चे को उत्तम गुणों वाला प्रोटीन प्राप्त होता है। क्वाशियोरकर में बच्चे को मिलने वाली प्रोटीन का मात्रात्मक रूप से ह्रास हो जाता है।

लक्षण

(1) सामान्यतः बच्चे की वृद्धि रुक जाती है। सांस लेने में कष्ट, आक्सीजन की कमी, इडीमा तथा एक सामान्य उदासीनता पायी जाती है। (2) एडीमा तथा वसा के कारण भार में कमी आना, भार तथा लम्बाई दोनों की ही वृद्धि का रुकना, मांसपेशियों का कमजोर हो जाना। (3) प्रोटीन मात्रा की कमी के अनुसार ज्यादा या कम अंश में एडीमा पाया जा सकता है, परन्तु भोजन में उपस्थित पानी या नमक की मात्रा पर निर्भर करता है। यह सम्पूर्ण शरीर के साथ-साथ चेहरे पर, परन्तु प्रमुख   रूप से टाँगों में पाया जाता है। (4) त्वचा में चर्म रोग हो जाता है जिसका प्रमुख लक्षण है त्वचा का चिटकना। त्वचा का रंग गहरा होना तथा किरेटिन के अलग होने से त्वचा परतदार हो जाती है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।       परन्तु मुख्यतः इसका प्रभाव नितम्ब, पैरों तथा शरीर के बाहरी हिस्सों में देखने को मिलता है। शरीर में बोझ पड़ने वाले हिस्सों में नासूर हो जाता है तथा वहाँ की त्वचा भी चटकने लगती है। अत्यधिक प्रभावित     हिस्से जले के समान होते हैं। (5) बाल, पतले, कम, कड़े व सीधे हो जाते हैं। बालों में लाल भूरे चकत्ते पड़ जाते हैं। यह नीग्रो बालकों में एशियन बालकों की अपेक्षा अधिक पाया जाता है। (6) होठों के किनारे कट जाते हैं, सूख जाते हैं। होठ कटने तथा पकने लगते हैं। जीभ की सतह चिकनी हो जाती है। गुदा के चारों ओर नासूर हो जाता है। (7) डायरिया यकृत दबाने में कड़ा महसूस होता है। कभी-कभी यह बढ़ा हुआ भी पाया जाता है। (8) मांसपेशियों का क्षय होने के कारण बच्चों का शारीरिक विकास रुक जाता है तथा यह रोग लम्बे समय तक रहने पर बच्चे चलने में असमर्थ हो जाते हैं। (9) प्रोटीन की कमी के कारण रक्ताल्पता हो जाती है, परन्तु बच्चों के भोजन में फोलिक अम्ल तथा आयरन की कमी भी पायी जाती है तथा अन्य पोषक तत्व पाचन नली द्वारा शोषित नहीं हो पाते हैं। (10) बच्चों में निरन्तर निराशा दिखायी पड़ती है, कुछ बच्चों में कड़वाहट पायी जाती है। (11) रक्त संचार बिगड़ने के कारण नाड़ी की गति कम हो जाती है और हाथ पैर सुन्न हो जाते हैं। (12) शरीर में प्रतिरक्षी कोशिकाओं, एन्जाइम तथा हार्मोन्स की कमी से चयापचय सम्बन्धी क्रियाओं में बाधा उत्पन्न होती है।

मरासमस - यह ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है व्यर्थ करना।

लक्षण -

(1) प्रमुख रूप से इसमें वृद्धि रुक जाती है। चिड़चिड़ाहट क्रमिकहीन, संवेदनशील, उल्टी, दस्त इत्यादि। कुछ बच्चों की भूख बढ़ जाती है और कुछ की कम हो जाती है। (2) बच्चा दिन-प्रतिदिन सूखता जाता है, त्वचा पर वसा की मात्रा कम हो जाती है। पानी की कमी और शारीरिक भार उम्र के अनुसार बहुत कम हो जाता है तथा बीमारी लम्बे समय तक रहने पर लम्बाई में वृद्धि रुक   जाती है। शारीरिक ताप सामान्य से कम हो जाता है। (3) पानी के समान पतले दस्त, उल्टी, अर्द्ध ठोस दस्त हो जाते हैं। संक्रमित होने पर दस्त कष्टदायक हो जाते हैं। पेट सिकुड़ जाता है या गैस के कारण फूल जाता है। (4) मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं तथा क्षय होने लगता है। इसके साथ ही त्वचा में वसा की कमी हो जाने के कारण हाथ, पैरों पर खाली त्वचा और हड्डियाँ होने का अहसास रहता है।

आहार एवं उपचार - मैरस्मस एवं क्वाशियोरकर में वसा रहित दूध सबसे उपयुक्त आहार है। पहले इसे पतला करते हैं। धीरे-धीरे इसकी सान्द्रता बढ़ाते हैं। एडीमा की समाप्ति के पश्चात् पोटैशियम की समाप्ति के पश्चात् वसा रहित दूध, नारियल तथा मक्का के तेल के साथ पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करने के लिये दिया जाता है जो शारीरिक वृद्धि के लिये आवश्यक है। इसके अतिरिक्त खनिज, विटामिन ए तथा डी देना आवश्यक है। संक्रमण सुरक्षा हेतु एण्टीबायोटिक चिकित्सा करना जरूरी है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- दैनिक आहारीय मात्राओं से आप क्या समझते हैं? आर.डी.ए. का महत्व एवं कार्य बताइए।
  2. प्रश्न- आहार मात्राएँ क्या हैं? विभिन्न आयु वर्ग के लिये प्रस्तावित आहार मात्राओं का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- संदर्भित महिला व पुरुष को परिभाषित कीजिए एवं पोषण सम्बन्धी दैनिक आवश्यकताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं से आप क्या समझते हैं? दैनिक प्रस्तावित मात्राओं को बनाते समय ध्यान रखने योग्य आहारीय निर्देशों का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  6. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  7. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिये एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  8. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  9. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित आवश्यकता की विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- प्रस्तावित दैनिक आवश्यकता के निर्धारण का आधार क्या है?
  11. प्रश्न- शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व कौन-कौन से हैं? इन तत्वों को स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में वर्गीकृत कीजिए।
  12. प्रश्न- भोजन क्या है?
  13. प्रश्न- उत्तम पोषण एवं कुपोषण के लक्षणों में क्या अन्तर है?
  14. प्रश्न- हमारे लिए भोजन क्यों आवश्यक है?
  15. प्रश्न- शरीर में जल की क्या उपयोगिता है
  16. प्रश्न- क्या जल एक स्थूल पोषक तत्व है?
  17. प्रश्न- स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में अंतर बताइये।
  18. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट किसे कहते हैं? इसकी प्राप्ति के स्रोत तथा उपयोगिता बताइये।
  19. प्रश्न- मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी व अधिकता से क्या हानियाँ होती हैं?
  20. प्रश्न- आण्विक संरचना के आधार पर कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक लिखिए।
  21. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का मानव शरीर में किस प्रकार पाचन व अवशोषण होता है?
  22. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट की उपयोगिता बताइये।
  23. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट क्या है? इसके प्राप्ति के स्रोत बताओ।
  24. प्रश्न- प्रोटीन से क्या तात्पर्य है? मानव शरीर में प्रोटीन की उपयोगिता बताइए।
  25. प्रश्न- प्रोटीन को वर्गीकृत कीजिए तथा प्रोटीन के स्रोत तथा कार्य बताइए। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के बारे में भी बताइए।
  26. प्रश्न- प्रोटीन के पाचन, अवशोषण व चयापचय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- प्रोटीन का जैविक मूल्य क्या है? प्रोटीन का जैविक मूल्य ज्ञात करने की विधियाँ बताइये।
  28. प्रश्न- प्रोटीन की दैनिक जीवन में कितनी मात्रा की आवश्यकता होती है?
  29. प्रश्न- प्रोटीन की अधिकता से क्या हानियाँ हैं?
  30. प्रश्न- प्रोटीन की शरीर में क्या उपयोगिता है?
  31. प्रश्न- प्रोटीन की कमी से होने वाले प्रभाव लिखिए।
  32. प्रश्न- वसा से आप क्या समझते हैं? वसा प्राप्ति के प्रमुख स्रोत एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - वसा का पाचन एवं अवशोषण।
  34. प्रश्न- वसा या तेल का रासायनिक संगठन बताते हुए वर्गीकरण कीजिए।
  35. प्रश्न- वसा की उपयोगिता बताओ।
  36. प्रश्न- वसा के प्रकार एवं स्रोत बताओ।
  37. प्रश्न- वसा की विशेषताएँ लिखिए।
  38. प्रश्न- पोषक तत्व की परिभाषा दीजिए। सामान्य मानव संवृद्धि में इनकी भूमिका का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- विटामिनों से क्या आशय है? इनके प्रकार, प्राप्ति के साधन एवं उनकी कमी से होने वाले रोगों के विषय में विस्तारपूर्वक लिखिए।
  40. प्रश्न- विटामिन
  41. प्रश्न- विटामिन 'ए' क्या है? विटामिन ए की प्राप्ति के साधन तथा आहार में इसकी कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- विटामिन डी की प्राप्ति के साधन बताइये।
  43. प्रश्न- विटामिन सी की कमी से क्या हानियाँ हैं?
  44. प्रश्न- विटामिन डी की दैनिक प्रस्तावित मात्रा बताइये।
  45. प्रश्न- वसा में घुलनशील व जल में घुलनशील विटामिनों में क्या अन्तर है?
  46. प्रश्न- खनिज तत्वों से आप क्या समझते है? खनिज तत्वों का कार्य बताइए।
  47. प्रश्न- फॉस्फोरस एवं लोहे की प्राप्ति, स्रोत, कार्य व इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- कैल्शियम की प्राप्ति के साधन कार्य तथा इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- जिंक की कमी से शरीर को क्या हानि होती है? इनकी प्राप्ति के साधन उदाहरण सहित समझाइए।
  50. प्रश्न- आयोडीन का महत्व बताइये।
  51. प्रश्न- सोडियम का भोजन में क्या महत्व है?
  52. प्रश्न- ताँबे का क्या कार्य है?
  53. प्रश्न- शरीर में फ्लोरीन की भूमिका लिखिए।
  54. प्रश्न- शरीर में मैंगनीज का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- शरीर में कैल्शियम का अवशोषण तथा चयापचय की संक्षिप्त में व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- आहारीय रेशे का क्या अर्थ है? आहारीय रेशों का संगठन, वर्गीकरण एवं लाभ लिखिए।
  57. प्रश्न- भोजन में रेशेदार पदार्थों का क्या महत्व है? रेशेदार पदार्थों के स्रोत एवं प्रतिदिन की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- फाइबर की कमी शरीर पर क्या प्रभाव डालती है?
  59. प्रश्न- फाइबर की अधिकता से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  60. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा को तालिका द्वारा बताइए।
  61. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  62. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  63. प्रश्न-
  64. प्रश्न-
  65. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  67. प्रश्न- भोजन में मसालों की उपयोगिता बताइये।
  68. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  69. प्रश्न- 'भोज्य मिलावट' क्या होती है, समझाइये।
  70. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया से बनाये जाने वाले पदार्थों का वर्णन कीजिए तथा खमीरीकरण प्रक्रिया के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अनुपूरक व विस्थापक पदार्थों से आपका क्या अभिप्राय है? उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों का फोर्टीफिके शनकि स प्रकार से किया जाता है? वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भोजन की पौष्टिकता को बढ़ाने वाले विभिन्न तरीके क्या होते हैं? विवरण दीजिए।
  74. प्रश्न- अंकुरीकरण तथा खमीरीकरण किस प्रकार से भोजन के पौष्टिक मूल्य को बढ़ाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया किन बातों पर निर्भर करती हैं।
  76. प्रश्न- खमीरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  78. प्रश्न- 'आहार आयोजन' करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  79. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  81. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  82. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  83. प्रश्न- 'आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  85. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये। किशोरी का आहार आयोजन करते समय आप किन पौष्टिक तत्वों का ध्यान रखेंगे?
  86. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझते हैं?
  87. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  89. प्रश्न- कैटरिंग की संकल्पना से आप क्या समझते हैं? समझाइये।
  90. प्रश्न- भोजन करते समय शिष्टाचार सम्बन्धी किन बातों को ध्यान में रखा जाता है?
  91. प्रश्न- भोजन प्रबन्ध सेवा (Catering Service) के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से समझाइए।
  92. प्रश्न- एक गृहिणी अपने घर में किस प्रकार सुन्दर मेज सजाकर रखती है? समझाइए।
  93. प्रश्न- 'भोजन परोसना भी एक कला है।' इस कथन को समझाइए।
  94. प्रश्न- केटरिंग सेवाओं की अवधारणा और सिद्धान्त समझाइये।
  95. प्रश्न- 'स्वयं सेवा' के लाभ तथा हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- छोटे और बड़े समूह में परोसने की विधियों की तुलना कीजिये।
  97. प्रश्न- Menu से आप क्या समझते हैं? विभिन्न प्रकार के Menu को समझाइये।
  98. प्रश्न- बड़े समूह की भोजन व्यवस्था पर एक टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- कैन्टीन का लेखा-जोखा कैसे रखा जाता है? समझाइए।
  100. प्रश्न- बड़े समूह को खाना परोसते समय आप कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखेंगे तथा अपने संस्थान में एक लड़कियों के लिये कैंटीन की योजना कैसे बनाएंगे? विस्तारपूर्वक समझाइए।
  101. प्रश्न- खाद्य प्रतिष्ठान हेतु क्या योग्यताओं की आवश्यकता तथा प्रशिक्षण आवश्यक है? समझाइए।
  102. प्रश्न- बुफे शैली में भोजन किस प्रकार परोसा जाता है?
  103. प्रश्न- चक्रक मेन्यू क्या है?
  104. प्रश्न- 'पानी के जहाज (Ship) पर भोजन की व्यवस्था' इस विषय पर टिप्पणी करिये।
  105. प्रश्न- मेन्यू के सिद्धांत क्या हैं? विभिन्न प्रकार के मेन्यू के बारे में लिखिये।

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