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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।

उत्तर -

'गोदान' स्वतन्त्रता पूर्व हिन्दी साहित्य का ही नहीं बल्कि सार्वकालिक हिन्दी साहित्य का एक महान तथा सर्वसम्मति से प्रायः सर्वश्रेष्ठ माना जाने वाला उपन्यास है। सन् 1939 ई. में इसके प्रकाशन से लेकर वर्तमान समय तक हिन्दी के प्रबुद्ध व नामचीन समालोचकों ने इसके विषय में अनेक प्रकार के मत व्यक्त किये हैं। किसी ने इसे ग्राम्य जीवन का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कहा है, किसी ने इसे गुलाम भारत का एक फड़कता हुआ दस्तावेज तो किसी ने इसे 'महाकाव्यात्मक उपन्यास' की संज्ञा दी हैं। किसी समर्थ महान साहित्यकार की रचना स्वयं ही अपना प्रतिमान हुआ करती है। आवश्यक नहीं कि कोई साहित्यकार परम्परागत ढाँचे व विधा के अनुसार ही अपने साहित्य का सृजन करे। वह स्वेच्छा से कुछ नये प्रयोग करके साहित्य के क्षेत्र में नवीन दिशाओं का, नवीन पद्धतियों का रूप प्रस्तुत कर नवीनता ला देते हैं। मुंशी प्रेमचन्द कृत उपन्यास 'गोदान' के विषय में कुछ ऐसी ही बात लागू होती हैं। इस उपन्यास के माध्यम से प्रेमचन्द जी ने कुछ अलहदा प्रयोग करके जहाँ कुछ आलोचकों को इसे महाकाव्यात्मक उपन्यास कहने को मजबूर कर दिया है, वहीं कुछ आलोचकों को इसके विरोध में भी खड़ा कर दिया है। महाकाव्य और उपन्यास दो भिन्न विधाएँ हैं। महाकाव्य का संबंध जहाँ कविता से है वहीं उपन्यास का गद्य से। 'महा विशेषण का प्रयोग काव्य और गद्य दोनों के लिए हो सकता हैं। आचार्य नन्ददुलारे बाजपेयी तो किसी उपन्यास में महाकाव्य जैसी विशेषता रहने पर भी उसे महाकाव्य उपन्यास मानने वाले नहीं हैं। डॉ. गोपाल राय गोदान को ग्राम्य जीवन एवं कृषि संस्कृति का महाकाव्य मानते है।

गोदान उपन्यास का कथानक विशद् आकार तथा व्यापक फलक लिए हुए हैं। इसकी कथा का सम्बन्ध ग्रामीण जीवन एवं नगरीय जीवन दोनों से है। इसकी कथा को लेखक ने 36 अध्यायों में विभक्त करके इसे एक व्यापक आकार-प्रकार प्रदान किया हैं। डॉ. गोपाल राय के अनुसार गोदान में चार कथाएँ हैं -

(i). होरी और उसके परिवार तथा गाँव की कथा
(ii). रायसाहब की कथा
(iii). मालती, मेहता तथा खन्ना की कथा
(iv). गोबर की कथा।

होरी की कथा जमींदारों, महाजनों, सरकारी अमले, पुलिस, पटवारी द्वारा किये जाने वाले शोषण को प्रस्तुत करती है। रायसाहब खोखली मर्यादाओं, सामाजिक रूढ़ियों तथा सामंती आडम्बरों के शिकार हैं। रायसाहब के यहाँ जमींदार, धनी, गरीब, शोषक, शोषित आदि के आपसी सम्बन्धों पर विचार किया जाता हैं। इस प्रकार रायसाहब की कथा ग्राम-कथा की पूरक हैं। मालती मेहता की कथा में उपदेशात्मकता है जो उपन्यास के लिए उचित नहीं है, परन्तु महाकाव्यात्मकता दर्शाने में उपयुक्त प्रतीत होती है। इस प्रकार गोदान उपन्यास की कथावस्तु बहुत विस्तृत है जो महाकाव्यात्मक उपन्यास के लिए उपयुक्त है। उपन्यास की कथा को गति तो पात्र ही दिया करते हैं। गोदान के पात्र अनेक वर्गों के हैं पुरुष-स्त्रियाँ, बूढ़े-बच्चे, सवर्ण-अवर्ण, पण्डित, अनपढ़, ग्रामीण पात्रों में किसान, मजदूर, पटवारी, पुरोहित, जमींदार का कारिंदा साहूकार हैं। नगर या अर्द्धनागरिक पात्रों में जमींदार प्रोफेसर, बैंकर, डॉक्टर, संपादक, दलाल, दुकानदार, तांगे वाले, मजदूर आदि विविध प्रकार के पात्रों के कारण 'गोदान' को महाकाव्यात्मक उपन्यास बनाने में सहायता मिली है। गोदान में 84 पात्र हैं जिनमें 59 पुरुष और 25 स्त्री पात्र हैं। प्रेमचन्द प्रथम उपन्यासकार हैं जिन्होंने समाज के सबसे निचले वर्ग के अति साधारण व्यक्ति को उपन्यास का केन्द्रीय पात्र, नायक बनाया है। होरी का परिवार गरीब तथा अनपढ़ है। परिवार वालों को भरपेट खाना नहीं मिलता है। होरी की एक ही आकांक्षा है- गाय रखने की, जिसकी पूर्ति के लिए वह मेहनत-मजदूरी करता, झूठ बोलता तथा छल-प्रपंच का सहारा लेता है, परन्तु आकांक्षा पूरी किये बिना मर जाता है। उसे फल की प्राप्ति नहीं होती है। इस दृष्टि से गोदान का महात्वाकांक्षा का दुःखपूर्ण अनुभव है। गोबर नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने वाला पात्र है। उसमें पिता से भिन्न प्रकार की विशेषताएँ हैं। गोबर परंपरा विरोधी और आक्रोश में रहने वाला है। वह शोषण का विरोध करने वाला है। मेहता का चरित्र प्रेमचन्द के विचारों, आदर्शों का परिचायक है। मालती प्रेमचन्द के नारी विषयक दृष्टिकोण की वाहक है। प्रेमचन्द जी ने उपन्यास में अपनी पात्र योजना एवं चरित्र-चित्रण द्वारा विभिन्न वर्गों, स्तरों के व्यक्तियों के बारे में जिस प्रकार अपने विचार प्रस्तुत किये हैं, उससे उन्होंने अपने उपन्यास को महाकाव्यात्मक उपन्यासों की श्रेणी में लाकर खड़ा किया हैं।

'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है जिसमें ग्राम नगर के पढ़े- अनपढ़े सभी पात्रों का वर्णन है। इसी कारण गोदान के शिल्प विधान में वैविध्य है। इसकी भाषा में संस्कृत, तद्भव, देशज, विदेशी, अंग्रेजी, फारसी के शब्दों, लोकोक्तियों, मुहावरों, अभिधा-लक्षणा, व्यंजना शब्द- शक्तियों, अलंकारों, वक्रताओं का प्रयोग हुआ है। कहीं वाक्य छोटे तो कहीं लम्बे हैं। इसकी भाषा में विविध प्रकार के शब्द आये हैं। उदाहरणार्थ- आंगी, कोल्हाड़, उमचना, दौगड़ा, मुरहा, हुमककर, हून बरसना, हैसवैस, डांड, चिरौरी बिती, खंखड़ आदि हैं। प्रेमचन्द जी ने संवाद शैली, वर्णनात्मक शैली. विश्लेषणात्मक शैली, संस्मरण शैली, पूर्वदीप्ति शैली आदि का प्रयोग किया है। भाषाशैली की दृष्टि से प्रेमचन्द सधे हुए, प्रौढ़ कलाकार हैं। निःसंदेह उनका कलात्मक शिल्प विधान उनके उपन्यास को महाकाव्य की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देता हैं। जहाँ तक मोदान उपन्यास में रसात्मकता का प्रश्न है। निःसंदेह यह कहा जा सकता है कि 'गोदान' में प्रेमचन्द जी ने मानस भावनाओं के विशद व्यापक चित्रण के साथ-साथ करुण रस का व्यापक चित्रण किया है। करुण रस ही इस उन्यास का प्रधान व अंगीरस है तथा इस रस की पूर्णता के लिए अन्य रसो की निष्पत्ति भी उपन्यास में होती है। 'गोदान' उपन्यास में अन्य रसों की भी अपने अंगी रस करुण को पूर्णता देने हेतु सृष्टि की गई है। अतः कहा जा सकता है कि रसात्मकता के आधार पर भी यह उपन्यास एक महाकाव्यात्मक उपन्यास हैं। इसका उददेश्य मुख्यतः किसानों की दयनीय दशा का सजीव चित्रण करना तथा गौण रूप से शहरी जीवन की चालाकी और खोखलेपन को उजागर करना है। गोदान का उद्देश्य और संदेश सर्वकालीन है। वह विश्व मानवता और शान्ति का पोषक है। अपने महत्वपूर्ण उद्देश्य के कारण भी यह उपन्यास महाकाव्य का पद पाने का अधिकारी हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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