लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।

उत्तर -

उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' उपन्यास 'की संक्षिप्त समालोचना इस प्रकार है -

(1) शीर्षक - प्रस्तुत उपन्यास का शीर्षक 'गोदान' इसलिए रखा गया है कि यह प्रधान पात्र होरी की जीवन प्रधान इच्छा गोदानं (गाय का दान) से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित है तथा नायक होरी की जीवन-वेदना की प्रतीति कराने वाला भी है। उपन्यास के नाम 'गोदान' को ही ले लें। भूमि की तरह गाय भी सामन्ती संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। वह कृषक संस्कृति की शोभा और गौरव है। होरी के मन में गऊ की लालसा चिरकाल से संचित चली आती है। इसको पाने के लिए वह कर्ज लेता है और छल-कपट करने में भी संकोच नहीं करता। जब घर में गाय आ जाती है, पर सहस्रों वर्ष की संचित परम्परा, युगों से चले आते सामन्ती आदर्श इतनी जल्दी खत्म नहीं हो सकते। वे गाय की लालसा की तरह होरी के अचेतन मन में दबे रह जाते हैं। वह सामन्ती जीवन का मोह लिए ही मर जाता है।

(2) कथानक या कथावस्तु - कथानक किसी भी उपन्यास का प्राण होता है और उसकी चेतना उपन्यास में स्पन्दित रहती है। 'गोदान' उपन्यास का कथानक सामाजिक है। इसमें अधिकारिक रूप में गाँव की कथा और प्रासंगिक रूप में शहर की कथा वर्णित है। दोनों कथाएँ साथ-साथ चलती हैं। दोनों परस्पर सम्बद्ध हैं और एक-दूसरे के लिये विरोधाभास का कार्य करते हैं। गाँव का विवशतापूर्ण जीवन और शहरे की चमक-दमक वाले जीवन दोनों को चित्रित करके प्रेमचन्द जी के कथानक के पृष्ठ-पट को व्यापकत्व प्रदान किया है। इन दोनों कथानकों घटनाएँ परस्पर इस प्रकार संयुक्त और सम्बद्ध हैं कि उत्सुकता और कौतूहल की प्रवृत्तियों का पर्याप्त पारितोष मिलता है और कथा में आकर्षण आ जाता है। कथाओं की संयोजना इतनी स्वाभाविक है और घटनाओं का संघटन इतना संयत और यथावश्यक है कि केवल कथा की सफलता गोदान की सफलता बन जाती है।

(3) पात्र एवं चरित्र-चित्रण - गोदान में भारत के निम्न-मध्यम वर्ग की करुण कहानी है। यह वर्ग गाँव में रहता है और शोषित होने के कारण सब तरह से हीन और दलित है। प्रेमचन्द ने इस वर्ग की कठिनाइयों, विवशताओं और विपत्तियों का चित्रण बड़ी विशद्ता से किया है। होरी, भोला, गोबर, धनिया, सोना, रूपा, सिलिया, मातादीन, परमेश्वरी और मंगल आदि प्रायः सभी पात्र भारतीय ग्रामों की आत्मा के अंगों के रूप में सामने आते हैं। इनके जीवन का सत्य भारत के निम्न मध्यम वर्ग अथवा शोषित वर्ग का सत्य है।

(4) संवाद या कथोपकथन - कथोपकथन में उपयुक्तता, अनुकूलता, सम्बद्धता, स्वाभाविकता, संक्षिप्तता तथा उद्देश्यपूर्णता का होना आवश्यक है। 'गोदान' के कथोपकथन में बड़ी सजीवता और स्वाभाविकता है। उसमें नाटकीयता का भी प्रचुर समावेश है। गोबर और झुनिया के रोमांस से पूर्व सरस और मार्मिक संवाद का एक उदाहरण प्रस्तुत है -

"अब तुम काहे को यहाँ कभी आओगे।'

"अगर भिक्षुक को भीख मिलने की आशा हो तो वह दिनभर और रातभर दाता के द्वार पर खड़ा रहे।"

"तो यह कहो तुम भी मतलब के यार हो।"

(5) देशकाल या वातावरण - 'गोदान' में ग्रामीण समाज का व्यापक और पूर्ण चित्र मिलता है। ग्राम्य जीवन के वैषम्य, असन्तुलन, कदाचार और विद्रूपता, इन सबके वर्णन में प्रेमचन्द जी ने वातावरण की सृष्टि कर दी है। प्रेमचन्द जी ने जो कुछ कहा है, वह ऐसे ढंग से कहा है. कि उसका चित्र सामने आ गया है। पाखण्ड, अनमेल विवाह, अन्धविश्वास, ईर्ष्या, द्वेष तथा सामाजिक जीवन की समस्त बुराइयाँ तथा अच्छाइयाँ भी विस्तार के साथ मिलती हैं।

(6) भाषा-शैली - एक भाषाशास्त्री यदि अपने कार्य के आधार रूप में भाषा में व्याकरणिक नियमों आदि का आश्रय लेता है तो एक उपन्यासकार मनुष्य की मूल अनुभूतियों के युगानुकूल परिवर्तित अर्थ के आधार पर भाषा के वर्तमान रूप में संशोधन और विकास करता है। आधुनिक साहित्य की नवीन विधाओं में शैली तत्व का महत्व बहुत अधिक है। भाव और भाषा का सुन्दर संयोग और सामंजस्य दर्शनीय है तथा वाक्यों में पर्याप्त शक्ति है। भावावेश, आक्रोश, कोमलता, भावुकता, विह्वलता और स्तब्ध शांन्ति के स्थलों पर भाषा तदनुसार ढल गयी है, जैसे "रात भीग गई।" इस शैली में एक अद्भुत प्रभावोत्पादकता है। सूक्तियों के प्रयोग से मार्मिकता में वृद्धि हो जाती है, जैसे- "बड़े आदमियों के रोग भी बड़े होते हैं। वह बड़ा आदमी ही क्या जिसे कोई छोटा रोग हो।'

(7) उद्देश्य - प्रस्तुत उपन्यास का प्रधान लक्ष्य है जीवन के विविध पक्षों का सामाजिक धरातल पर व्यापक चित्रण करना। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद की स्थापना ही इस रचना का लक्ष्य रहा है। "गोदान" निर्विवाद रूप से प्रेमचन्द की सर्वोत्कृष्ट कृति है। एक ओर यह परिपक्व चिन्तन का परिणाम है तो दूसरी ओर इसमें शिल्प-विधान का अन्यतम स्वरूप मिलता है। कथा का जैसा सुसम्बद्ध और कथा विकास का जैसा स्वाभाविक क्रम गोदान में है, वह प्रेमचन्द की पिछली कृतियों में इतनी सफलता से व्यक्त नहीं हुआ है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book