बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य
प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
उत्तर -
सुप्रसिद्ध आँचलिक उपन्यासकार श्री फणीश्वर नाथ रेणु ने अपने श्रेष्ठ आँचलिक उपन्यास 'मैला आँचल' में आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों की सुन्दर झाँकी प्रस्तुत की है। उपन्यासकार ने मैला आँचल नामक उपन्यास के माध्यम से बिहार प्रान्त के पूर्णिया जिले के मेरीगंज गाँव में होने वाले आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का मनोमुग्धकारी चित्रण किया है। बालदेवगोप कालीचरन और नयी पीढ़ी के कांग्रेसी नेता अमीन बाबू, छोटन बाबू, खुशप बाबू, चोखमल जुहारचन्द का बेटा, दुलारचन्द कापरा, फगुनी सिंह और सागरमल आदि जोड़-तोड़ की राजनीति करने वाले पदलोलुप, महत्वाकांक्षी और मूल्यहीन लोग है, जिनका एकमात्र उद्देश्य कांग्रेस पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर आधिपत्य जमाकर अपने घिनौने स्वार्थों की सिद्धि करना है। उपन्यासकार यह दर्शाना चाहता है कि व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति हेतु, व्यावसायिक हितों की रक्षा के लिए लोग कांग्रेसी बनकर भ्रष्ट तरीके से व्यावसायिक लाभ कमाना चाहते है। लेखक का प्रमुख प्रतिपाद्य इन नेताओं के काले चेहरों व काले धन्धों को उजागर करना है कि किस प्रकार वे पराधीनता के समय विशेष पार्टी के पदाधिकारी बन बैठते हैं तथा स्वतन्त्रता प्राप्त होते ही नेतागीरी की आड़ में तस्करी करके अपनी जेबें भरते हैं। अपने इन कार्यों में रोड़ा अटकाने वाले ईमानदार और देशभक्तों को मरवा डालने में भी वे तनिक संकोच नहीं करते। लेखक ने राजनीति में जातिवाद, पैसे का खेल और दल-बदल की प्रवृत्तियों को अंकित किया है तथा साथ ही नैतिक मूल्यों में आई गिरावट, धन और बाहुबल का राजनीति में बढ़ता वर्चस्व तथा स्वार्थपरता व अर्थार्जन की ओर भी पाठकों का ध्यान आकृष्ट करने का स्तुत्य प्रयास किया है। स्वतन्त्रता से पूर्व और स्वतन्त्रता के बाद में भी आन्तरिक राजनीति में भी आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं। पहले नेता देशसेवा को सर्वोपरि समझते थे और नैतिकता का बोलबाला होता था तथा नेता आदर्श चरित्र के स्वामी होते थे परन्तु कालान्तर में स्वार्थ सर्वोपरि हो गया है और अब वे अर्थाजन हेतु राजनीति में प्रवेश करते हैं। अर्थबाहुबल की राजनीति में प्रमुखता हो गयी है तथा जातिवाद की राजनीति हावी हो गयी है। अपराधियों को पार्टी की सदस्यता प्रदान की जाने लगी है। इस प्रकार राजनीति में अवसरवादिता, जातिवाद, कुर्सी का मोह, सदस्यता शुल्क सम्बन्धी भ्रष्टाचार, अनियमितता आदि का प्रवेश हो चुका है। वास्तव में रेणु जी स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद सभी राजनैतिक दलों की गतिविधियों से बहुत निराश दिखाई देते हैं। उपन्यासकार ने 'मैला आँचल' में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों की मार्मिक अभिव्यक्ति की है। उन्होंने गाँव की जाति संरचना का चित्रांकन इस प्रकार किया है -
'राजपूतों और कायस्थों में पुश्तैनी मनमुटाव और झगड़े होते आये हैं। ब्राह्मणों की संख्या कम है इसलिए वे तीसरी शक्ति का कर्तव्य पूरा करते हैं। गाँव में निम्न जातियों में चमार, नाई आदि जातियों में जागृति पैदा हो गयी है और वे पैतृक कार्य करने से इन्कार करने लगे हैं। 'उपन्यासकार रेणु जी लिखते हैं 'काका ! इस बार इज्जत बचा लीजिए। क्या आप यही चाहते हैं कि नाई, धोबी और चमार के सामने हम हाथ जोडकर गिडगिडायें ...... कल से ही राम किरपाल काका के मुहाल में गाय मरी पड़ी है। चमार लोगों ने उठाने से इन्कार कर दिया हैं। जीबेसरा चमार को लीडर आपने ही बनाया है राजपूत टोले के लोगों को देखिए, दाढ़ी कितनी बड़ी-बड़ी हो गयी हैं। नाइयों ने काम करना बन्द कर दिया है। आपके हाथों में सबकी की चोटियाँ हैं। आप एक बार कह दें तो सबकी नानी मर जाए। इस प्रकार स्पष्ट है कि मेरीगंज निवासियों में परिवेशगत परिवर्तन, चेतना अधिकारों के प्रति प्रबुद्धता उत्पन्न हो रही हैं। इसी प्रकार के बेजमीनदार लोग पार्टीबन्दी कर रहे हैं तो रेणु जी स्पष्ट कहते हैं 'बेजमीन लोग अपनी पार्टीबन्दी कर रहे हैं। जमीन वालों को भेदभाव लड़ाई-झगड़ों को भुलाकर एक हो जाना चाहिए। तहसीलदार हरगौरी सिंह दिन-रात विश्वनाथ बाबू के घर पर ही रहते है। इस प्रकार मेरीगंज वासियों में परिवेशगत परिवर्तन जागृत हो रहा है यह महत्वपूर्ण परिवर्तन है। इसी प्रकार जमींदारी प्रथा खत्म हो रही है तथा जमीन जोतने वाला किसान जमीन का असली मालिक बन गया है।
आजादी के बाद किसानों में पैदा हुई अधिकार चेतना और संघर्ष प्रवृत्ति का भी सुन्दर चित्रण किया गया है। वे कालीचरण के नेतृत्व में सादे कागज पर अँगूठे का निशान देने से साफ इन्कार कर देते हैं। गाँधी जी की कांग्रेस और आजादी प्राप्ति के बाद की कांग्रेस का भी रेणु जी ने नकाब उतारा है। मेरीगंज गाँव में गरीबी दरिद्रता इतनी अधिक व्याप्त है कि बीमारी होने पर वहाँ के निवासी साधारण दवा के पैसे भी नहीं जुटा पाते। दो बूँद आई ड्रॉप न मिल पाने के कारण युवती की कमल सी सुन्दर आँखें सदा के लिए ज्योति विहीन हो जाती हैं। तहसीलदार मेरीगंज वालों से चंदा वसूलता हैं। सारे गाँव की जमीन को वह निगल चुका है और सारा गाँव उसका कर्जदार हो चुका है। रेणु ने किसानों की आर्थिक दयनीय अवस्था का चित्रण करते हुए आजादी प्राप्ति के बाद उनमें जाग्रत अधिकार- चेतना और संघर्ष प्रवृत्ति का भी चित्रण किया है। मेरीगंज गाँव के जमींदार रूपी शोषक वर्तमान में भी हैं जो छोटे किसानों को दुगने सूद दर पर कर्जा दे रहे हैं। खेलावन यादव अपने टोले के सभी रैयतों की नीलाम हुई जमीनें ले रहा है। आजादी मिलने के बाद भारत के ग्रामीण अंचलों में सामाजिक आर्थिक ओर शैक्षिक परिवर्तन आया है। जिसको उपन्यासकार ने अनुभव जगत की प्रामाणिकता, सूक्ष्म पर्यवेक्षण और गहरी संवेदना का साथ प्रस्तुत किया हैं।
|
- प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
- प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
- प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
- प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
- प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
- प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
- प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
- प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
- प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
- प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
- प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
- प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
- प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
- प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
- प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
- प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
- प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
- प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)