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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।

अथवा
"मैला आँचल उपन्यास' में तात्कालिक सामाजिक और राजनीतिक स्थितियों को यथार्थ रूप में उभारा गया है।' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
अथवा
'मैला आँचल' सामाजिक विसंगतियों व विरूपताओं को अनावृत करने वाला उपन्यास है - इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर -

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी का कथन है- "लोक या किसी जन समाज के बीच काल की गति के अनुसार जो गूढ़ और चित्त परिस्थितियाँ खड़ी होती हैं। उनको गोचर रूप में सामने लाना और कभी-कभी निस्तार का मार्ग भी प्रशस्त करना उपन्यास का नाम है। वैसे तो साहित्य मात्र का काम हित सम्पादन का कर्तव्य मानव जीवन का प्रतिबिम्ब प्रस्तुत करना है। फलस्वरूप उसका मानव जीवन की विविध समस्याओं से युक्त होना ही स्वाभाविक है। आँचलिक उपन्यास में तो इसका महत्व भी बढ़ जाता है। कारण? उसमें किसी स्थान विशेष का सम्पूर्ण जनजीवन अपनी सम्पूर्ण विशेषताओं के साथ प्रकट होता है। कहना न होगा कि इन सम्पूर्ण विशेषताओं में स्थान-स्थान विशेष की विविध समस्यायें भी होती हैं जिन्हें उपन्यासकार कथा, चरित्र, उद्देश्य और सबसे अधिक देशकाल अथवा वातावरण के माध्यम से प्रस्तुत करता है। इतना अवश्य है कि ऐसे उपन्यासों में समस्या चित्रण गौण ही होता है यहीं आकर ये समस्यामूलक उपन्यासों से भिन्न हो जाते हैं जिसमें समस्या चित्रण ही प्रधान होता है।

प्रस्तुत उपन्यास ग्राम विशेष पर ही आधारित है और इसमें वहाँ के जीवन की विविध समस्याएँ ग्रहण की गई हैं। ये अलग बात है और मूलतः लेखक के कौशल की परिचायक है कि ये समस्याएँ कामवेश रूप में उत्तर भारत के अन्य पिछड़ें ग्रामों का भी प्रतिनिधित्व करती है। संक्षेप में इस प्रकार की दृष्टि से इनको पाँच वर्गों में रख सकते हैं -

राजनीतिक समस्याएँ - राजनीति वर्तमान जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी है। इसी से सर्जनात्मक साहित्य भी इससे बचा नहीं रह सका है मैला आँचल में तो एक उपन्यासकार ने 1942-48 के मध्यकाल की राजनीति का जीता-जागता और समूचा चित्र प्रस्तुत किया है। उसकी सबसे बड़ी सफलता है कि "उसमें राजनीतिक तत्वों और चरित्रिक स्वाभाविकता का अधिक सार्थक समन्यवय सम्भव हो सका है। कांग्रेसी आन्दोलन को सारे देश के परिप्रेक्ष्य में न होकर, एक छोटे से गाँव के कुछ लोगों के माध्यम से इस प्रकार देखा गया है कि वह एक सामाजिक यथार्थ सी तीव्रता लिए लगता है।' साथ ही साथ मैला आँचल में राजनीतिक जीवन की पृष्ठभूमि के रूप में ही जो पात्रों के व्यक्तित्व को और भी उभारती हैं, चारों और घेरकर उनका गला नहीं घोटती हैं। बालादेव, वासुदेव, कालीचरन, बावनदास जैसे चरित्र उसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं। इसके माध्यम से उपन्यासकार ने तत्कालीन और अनेकांशों में भी तक व्याप्त हुई हैं। राजनीतिक समस्याओं के चित्र उभारें हैं। चुनाव दलबन्दी और पूँजीवाद ऐसे ही कुछ चित्र हैं।

तत्कालीन भारत में सर्वत्र स्वतंत्र आन्दोलन का जोर था। महात्मा गाँधी और कांग्रेस के नेतृत्व में जन मन नई करवटें लेने लगा था। भला पूर्णियाँ का यह मैला आँचल मेरीगंज भी इससे कैसे बच सकता था? बालादेव और बावनदास कांग्रेस और गाँधी के परमभक्त हैं। उनकी अहिंसा अनशन जैसे गाँधीवादी विचारों में पूर्ण आस्था है। उन्हें दुःख है कि "भारत माता जार-जार हो रही हैं।"

भारत के स्वतंत्र होते ही राजनीतिक वातावरण परिवर्तित हो जाता है। नव चुनाव में थोथे राजनीतिक हथकण्डे और स्वार्थ खुलकर सामने आते हैं। जाति बिरादरी भाई-भतीजावाद और थोथा अंहिसावाद जैसे दोष बावनदास जैसे सच्चे गाँधी भक्त को मरवा तक देते हैं और बलदेव का अंहिसाभाव भी डगमगाने लगता है। अब तो स्थिति यह हो जाती है कि सब मेले 'एम. एल. ए' होना चाहते हैं। गरीबों का काम, मजदूरों का काम जो भी करते हैं एक लोभ से।

आर्थिक समस्याएँ - आर्थिक दृष्टि से मेरीगंज ग्राम में स्पष्टतः दो वर्ग हैं - धनी और निर्धन अथवा शोषक और शोषित धनी वर्ग की अपनी विविध समस्याएँ हैं। एक और अधिकाधिक भूमि और अन्य लाभप्रद साधन जुटाने में लगा है तो दूसरी और रिश्वत डाली या मेरे पूजा द्वारा अपने बिगड़े काम भी बना लेता हैं। जमींदार विश्वनाथ प्रसाद इसी वर्ग के प्रतिनिधि हैं। दूसरी ओर है जन साधारण कर्ज खाकर जिन्दा हैं जिस पर न रहने को ठिकाना हैं, न तन ढकने को कपड़ा। कपड़े के बिना सारा गाँव अर्द्धनग्न है यहाँ तक की आँखें भी एक कपड़ा कमर में लपेट कर काम चलाती हैं। भूमि जोतने वालों की नहीं जमींदार की हैं। बढ़ती महंगाई और समान के अभाव में रहकर अभावमय जीवन जीता है संथाल टोली का जीवन इसका सर्वोत्म उदाहरण हैं। इसी से ग्राम का युवक वर्ग शहरों की ओर भागता है, क्योंकि कटिहार में एक जूट मिल और खुला है। तीन जूट मिल दो रुपया रोज मजदूरी मिलती है। गाँव में अब क्या रखा है? वहाँ तो अधिकतर बेगार ही ढोनी पड़ती है। इस प्रकार अर्थ वैषम्य वर्ग भेद, भूमिहीन कृषक, निर्धनता, ऋण मंहगाई, बेगार आदि न जाने कितनी अधिक समस्याएँ इस आँचल के थैले रूप को यहाँ प्रदर्शित करती हैं।

सामाजिक समस्याएँ - 'मैला आँचल' में मुख्यता ग्राम्य समाज का अंकन हैं। वह भी पूर्ण यथार्य रूप में और अत्यन्त आत्मीयता के से प्रस्तुत किया गया है। इस समाज में उच्च, निम्न, धनी-निर्धन, स्त्री-पुरुष सभी हैं। इनमें मठाधीश हैं और राजनीतिज्ञ भी जमींदार, तहसीलदार भी हैं और साधारण कृषक भी ग्रन्थियों से पीड़ित युवक-युवती हैं और सामन्ती संस्कारों से पीड़ित जनसाधारण भी हैं। साधारण ग्रामों की भाँति पारस्परिक कुल वर्ग भेद, जाति भेद, लाग-डाट, छेड़-छाड़, चुगली-पबाई, चोरी-छिपे भोग-विलास सभी के दृश्य यहाँ साकार रूप से देखे जा सकते हैं।

साधारण रूप से, 'गाँव के लोग बड़े सीधे ही दिखते हैं, सीधे का अर्थ यदि अनपढ़, अज्ञानी और अन्धविश्वासी हो तो वास्तव में सीधे हैं वे जहाँ तक सांसारिक बुद्धि का सवाल है, वे लोगों को दिन में पाँच बार ठग लेंगे ज्योतिषी जी सुमरित दास, तहसीलदार विश्वनाथ प्रसाद, बालदेव, महन्त, दुलारचन्द ही नहीं रामप्यारी और कमला तक ऐसे उदाहरण हैं। कमोवेश रूप में लक्ष्मी तक में यह बात बताई जाती है। यहाँ तक कि गाँव का ब्राह्मण, चमारिन, भंगन को तो कुएँ से पानी तक नहीं लेने देता है किन्तु उसके साथ रात गुजार सकता है इसी प्रकार संथाल - विद्रोह, ब्राह्मण यादव टोले का बैल सुमरितदास की लगा लिपटी, मठ के भोग तथा ज्योतिषी के इशार पर गनेस की नारी को डायन मान लेना आदि प्रसंग और क्रिया-कलाप विविध सामाजिक समस्याओं को प्रकट करते हैं।

व्यक्तिगत समस्याएँ - प्रस्तुत उपन्यास के अनेक प्रमुख पात्र अपनी वैयक्तिक समस्याओं से पीड़ित मिलते हैं डॉ. प्रशान्त हीन भाव से ग्रस्त हैं तो कमला और लक्ष्मी यौन ग्रन्थि के शिकार हैं। महन्त से सेवादास महोदय 'आँगन में बहती नदी' होने पर भी प्यासे हैं तो बालदेव दीर्घकाल तक अपने आदर्श व्रत से भयभीत बना रहता है। कालीचरन तो स्त्री से पाँच हाथ दूर से ही बात करता है और दूसरों को भविष्य बताने वाले ज्योतिषी जी जीवन भर कामुकता से ग्रसित रहते हैं। सबसे अधिक कमला, प्रशान्त और लक्ष्मी की व्यक्तिगत समस्यायें हैं। क्वांरी कमला को पुरुष की भूख है। उसके दौरों की बीमारी का इलाज है प्रशान्त अपनी हीन ग्रन्थि का शिकार है, क्योंकि उसको 'एक माँ का जन्म देते ही कोशी मैया गोद में सौंप दिया और दूसरे ने जन-समुद्र की लहरों को समर्पित कर दिया। वह प्यार का भूखा है। इधर लक्ष्मी मठाधीशों की कृपा से वासना से पीडित है और सच्चे प्यार की तलाश में लगी रहती है। कहना न होगा कि उपन्यासकार ने इन सभी वैयक्तिक समस्याओं का अंकन बड़े सरल, सहज, यथार्थ और मनोविज्ञानिक ढंग से किया है।

भौगोलिक समस्याएँ - प्रस्तुत उपन्यास का कथा स्थल है मेरीगंज नामक ग्राम जो पूर्णिया जिले का एक भाग है। 'पूर्णिया बिहार राज्य का एक जिला है, इसके एक ओर है नेपाल, जब हम दक्खिन में संथाल परगना और पश्चिम में मिथिला की सीमा रेखाएँ खींच देते हैं। निःसन्देह यह स्थान पिछड़ा हुआ है और इसका एक बड़ा कारण है.....  यहाँ की भौगोलिक स्थिति। अनावृष्टि, दलदल और मच्छरों की अधिकता से मलेरिया जैसी बीमारियों की यहाँ अधिकता है। उपन्यासकार ने यहाँ की प्रकृति सुषमा का वर्णन किया है यथार्थ दुष्प्रभावों को भी दिखाया है। किसानों का वर्षा हेतु प्रसन्न करना, स्त्रियों का तत्सम्बन्धी उत्सव में नृत्य करना एवं डॉ. प्रशान्त का मलेरिया विषयक अनुसन्धान करना आदि प्रसंगों में उन्यासकार ने भौगोलिक प्रश्नों को भी व्यक्त किया है।

समाधान - उपन्यासकार रेणु ने 'मैला आँचल' में विविध समस्याओं का दिग्दर्शन तो कराया ही है, कहीं-कहीं प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से समाधान प्रस्तुत किये हैं। ये समाधान कौरे उसके आदर्श नहीं हैं वरन् व्यावहारिक हैं। उदाहरण के लिए जमींदार प्रथा के विरुद्ध विश्वनाथ प्रसाद की भूमिदान करना, कुकर्मी ज्योतिषी को लकवा मारना, सेवादास का लक्ष्मी को बुरी दृष्टि से देखने के कारण अन्धा हो जाना, रामदास की दुर्दशा, दुलिया की सारी देह गलना, बालादास का अहिंसा-पथ पर चलने के सुझाव देना, समाजवादी वासुदेव का किसान राज्य कायम हो और जो बोयेगा सो काटेगा, जैसे नारे देना काँग्रेस के भाई-भतीजावाद पर कालीचरन का आक्रोश, लक्ष्मी का एक साथ मिलकर रहने की सलाह आदि इसी के कुछ उदाहरण हैं। डॉ. प्रशान्त के शब्दों में लेखक ही कहता है- 'हिंसा से जर्जर प्रकृति मानों रो रही है। ........ मानवता को पनाह कहाँ मिले? विधाता की सृष्टि में मानव ही सबसे बढ़कर शक्तिशाली है। उसको पराजित करना, असम्भव है सवारी पर मानुश की सत्य। .......मैं साधना करूँगा, ग्रामवासिनी, भारत माता के मैले आँचल तले, साराँश रूप में हम कह सकते हैं कि रेणुजी ने मैला आँचल में केवल आँचल का मैलापन ही नहीं देखा वरन् उसके धब्बों को मानवता की धारा से धोया भी है। प्रेमचन्द के पश्चात् ग्राम्य जीवन और उसकी विविध समस्याओं को इतने अधिक विस्तार, गहनता, सूक्ष्मता, यथार्थ और सबसे अधिक आत्मीयता के साथ अंकित करने का श्रेय केवल रेणुजी को है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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