बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य
अध्याय - 2
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु
प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
अथवा
सिद्ध कीजिए कि 'मैला आँचल' हिन्दी उपन्यास की महती उपलब्धि है।
अथवा
आँचलिकता से आप क्या समझते हैं और 'मैला आँचल उपन्यास' इस दृष्टि से कैसा बन पड़ा है? तर्कसम्मत उत्तर दीजिए।
अथवा
औपन्यासिक तत्वों के आधार पर 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
अथवा
'मैला आँचल में मिलने वाले आँचलिकता तत्वों संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर -
आँचलिक से आशय
'आँचलिकता' शब्द 'आँचलिक से बना है जो मूल संज्ञा अंचल से निर्मित है। कुछ आलोचक इसकी व्युत्पत्ति 'आँचल' शब्द से मानते हैं जो भ्रामक है। अंचल शब्द में ही सम्बन्ध कि 'इक' पद्धति प्रत्यय लगाकर 'आँचलिक' शब्द-धारा संज्ञा का विश्लेषण बनाया गया है। यह विश्लेषण आँचल से भी बन सकता है किन्तु प्राप्त के लिए 'आँचलोट शब्द रूढ़ि नहीं इस आँचलिक विशेषण में संज्ञा सूचक 'ता' जोड़कर आँचलिकता भाव वाचक संज्ञा बनी है। साधारणतः आँचलिकता लेखक की अपनी कृति को एक अंचल विशेष की आधार भूमि पर तैयार करने तथा वहाँ के निवासियों के जीवन और प्रगति को विस्तार के साथ चित्रित करने की प्रवृत्ति है। इसी के आधार पर देखा गया है कि 'आँचलिक उपन्यासों को माना जाता है जिनमें किसी विशिष्ट प्रदेश, जनपद या अंचल विशेष का तथा उनमें रहने वाले सभी लोगों अथवा किसी जाति विशेष के समग्र जीवन का सम्पूर्ण चित्रण होता है। उसमें रचनाकार का आग्रह वहाँ की प्रकृति तथा संस्कृति का वैविध्यपूर्ण चित्रण करने के प्रति ही अधिक रहता है। उपन्यासों में किसी अंचल विशेष में प्रचलित रीति-रिवाज, खान-पान, विश्वास, आस्थाओं, बोली आदि का चित्रण होता है। इस चित्रण में वहाँ के लोक-जीवन अपनी समग्रता, बोली आदि का चित्रण होता है। इस चित्रण में वहाँ के लोक-जीवन अपनी समग्रता के साथ मुखरित हो उठता है।
मैला आँचल की आँचलिकता - श्री फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यास 'मैला आँचल' उपन्यास है। 6 अगस्त 1954 को प्रकाशित यह उपन्यास हिन्दी में धूमकेतु की भाँति प्रकट हुआ विविध प्रकार की चर्चा परिचर्चाओं का विषय बन गया। इसका सबसे बड़ा कारण था इसकी आँचलिकता। कहा तो यह तक गया है आँचल की जिन्दगी का जितना वैविध्यपूर्ण चित्र इस उपन्यास में हुआ। संभव नहीं हो सका है। निःसंदेह उपन्यासकार ने कथावस्तु, चरित्रांकन, संवाद-योजना, वातावरण, उद्देश्य, भाषाशैली तथा नामकरण आदि विविध तत्वों में आँचलिकता का पूर्ण समावेश प्रस्तुत उपन्यास में किया है।
कथानक में आँचलिकता - मैला आँचल में कथानक पूर्णिया का है। पूर्णिया बिहार राज्य का एक जिला है........ मैंने इसके एक हिस्से के एक ही गाँव को पिछड़े गावों का प्रतीक मानकर इस उपन्यास का कथा क्षेत्र बनाया है। यह गाँव मेरीगंज जो एक सांकेतिक अथवा प्रतीकात्मक अर्थ भी प्रकट करता है। वह अर्थ है - भारत के ग्रामों का विकासशील जीवन स्थानीय सीमाओं के भीतर राष्ट्रीय प्रगति का निर्देशन। यहाँ पर उपन्यासकार ने किसी व्यक्ति या परिवार की नहीं पूरे गाँव की कहानी कही है। इसमें गाँव में रहने वाले विविध टोले की कथाओं से गाँव की सम्पूर्ण कथा को बताया गया है। इसके विविध स्तर और पक्ष हैं। ये तमाम स्वर और पहलू इस प्रकार कितने ही भिन्न-भिन्न दृष्टि बिन्दुओं से दिखाए गये हैं कि जीवन एक साथ कई किश्तों में हमारे सामने प्रस्तुत होता है। बहुत कुछ चलचित्र की भाँति समग्र होकर भी और अलग- अलग दूर से भी और पास से भी।
चरित्रों में आँचलिकता - प्रस्तुत उपन्यास में किसी एक चित्र की कथा नहीं है, वरन यहाँ तो सम्पूर्ण अचल ही मानों नायक बन बैठा है। उपन्यास में अंकित विभिन्न चरित्र ग्रामांचल के ही किसी न किसी पक्ष का प्रतिनिधित्व हैं। तहसीलदार - जमींदार विश्वनाथ प्रसाद तथा शिक्षित रक्तहर गौरी, ग्राम कल्याणक बालादेव, समाजवादी, वासुदेव, महन्त, सेवादास जनसेवक, बावनदास ही नहीं, कमला, लक्ष्मी, कमला-कमली और रामप्यारी आदि इसी प्रकार के चरित्र हैं। अपने गुण-दोषों से युक्त सभी चरित्र - अंचल-निवासियों के विविध - जीते जागते रूपों को प्रकट करते हैं। स्वयं उपन्यासकार के शब्दों में गाँव के लोग बड़े सीधे हैं, सीधे का अर्थ यदि अनपढ़ अज्ञानी और अंधविश्वासी हो तो वास्तव में सीधे हैं। वे लोग बड़े सीधे दीखते हैं जहाँ तक सांसरिक बुद्धि का सवाल है, वे लोगों को दिन में पाँच बार ठग लेंगे। उपन्यासकार ने इनका रहन-सहन, खान-पान, बोलचाल, आदत-शौक आदि सभी का अंकन पूर्ण तन्मयता और आँचलिकता से युक्त बनाकर किया है। ये सभी विविध वर्गों, जातियों, सामाजिक स्तर और विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं जो रूपचल में व्यस्त हैं। साथ ही साथ इनका स्वतंत्र व्यक्तित्व भी बना रहा है। इसी से वे स्वयं में पूर्ण हैं। इस प्रकार कह सकते हैं कि उपन्यास के सभी चरित्र आँचलिक विशेषताओं से पूर्ण हैं।
संवाद योजना में आँचलिकता - प्रस्तुत उपन्यास की संवाद योजना एकदम आँचलिक गुणों से परिपूर्ण है। यही कारण है कि यहाँ पर न तो लम्बे-लम्बे भाषण हैं और न ही ज्ञान स्थानीय प्रदर्शन की ऊहापोह। अधिकांश सवांद संक्षिप्त, यथार्थपरक स्वाभाविक और जन संस्कृति के गुणों से युक्त हैं। गोपनीय अथवा देशज शब्दों की प्रमुखता, अंग्रेजी, उर्दू, के सर्व प्रचलित शब्दों के बदले - बिगड़ें रूप स्थानीय सम्बोधन, बात-बात में लोककथाओं, लोकगीतों, मुहावरों के समावेश आदि इन्हें एक और तो प्रसंग और चरित्र के अनुकूल बनाते हैं और दूसरी ओर आँचलिकता की विशेषताओं से परिपूर्ण। इसी प्रकार हास्य व्यंग्य का चुटीलापन और छोटी सरल वाक्य योजना इन्हें पिछड़ें अंचल की जनसामान्य में प्रचलित व्यावहारिक भाषा से युक्त बना देती है।
वातावरण में आँचलिकता - किसी भी रचना में आँचलिकता का चित्रण सर्वाधिक वातावरण के अन्तर्गत ही किया जा सकता है। मैला आँचल भी इसका अपवाद नहीं है। यही कारण है कि इसमें उपन्यासकार ने कथाचंल - मेरीगंज और वहाँ की लोक संस्कृति और लोक जीवन पर का विपुल, विविध गहन, सूक्ष्म और सभी को मिलाकर प्रभावशाली अंकन किया है, वह भी अत्यन्त सूक्ष्म और सभी को मिलाकर प्रभावशाली अंकन किया है, वह भी अत्यन्त आत्मीयता के साथ। वास्तविकता तो यह है कि मेरीगंज, की लोक संस्कृति का चित्रण 'मैला आँचल' में इस व्यापकता के साथ हुआ है कि इसे वहाँ की संस्कृति के इतिहास का पृष्ठ कहा जा सकता है। लेखक ने जीवन का विस्तृत चित्र अंकित किया है जिसमें जनजीवन अपने विभिन्न दृष्टिकोणों के साथ मुखरित हो उठा है। 'मेरी गर्व की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक और भौगोलिक सभी तरह का वातावरण चित्रण यहाँ उपलब्ध है। जाति भेद, वर्ग भेद, धनी - निर्धन, नारी का रमणी और भोग्या रूप, अन्धविश्वास, पारस्परिक कलह, भोग-विलास, शोषण आदि सामाजिक जीवन के प्रमुख उदाहरण हैं। तो काग्रेंसी बावनदास गाँधीवादी बालादेव, अनशन अहिंसा दलबन्दी, पूँजीवाद, भाई भतीजावाद और राजनीतिक स्थिति के परिचायक हैं। वास्तविकता यह है कि सन् 1942 के बाद सन् 1948 तक उस गाँव की स्थिति, संगठन, बोल- चाल, रहन-सहन, व्यक्ति के मनोविकार, भारव्यापी सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक आन्दोलनों को ग्रहण करने की उस अंचल की प्रतिक्रिया के संकलित शब्द-चित्रों का नाम मैला आँचल है।
उद्देश्य में आँचलिकता - उपन्यासकार ने स्वयं अपने उपन्यास को "आँचलिक उपन्यास" कहकर अपना सर्वोपरि उद्देश्य प्रकट कर दिया है। उपन्यासकार के कथांचल की व्यापकता तथा आँचल का मैलापन आदि दिखाकर उसने अपनी इसी उद्देश्य को सार्थक किया है।
भाषा-शैली में आँचलिकता - प्रस्तुत उपन्यास में मुख्यतः आँचलिक भाषा का ही प्रयोग किया गया है। इसके लिए उपन्यासकार ने स्थानीय शब्दावली, मुहावरे लोकोक्तियाँ, लोकगीत आदि सभी अंचल विशेष से सम्बन्धि रखे हैं। ध्वनशीलता ने इस भाषा को और भी अधिक आँचलिक स्वरूप प्रदान किया है। यहाँ पर बुढ़िया अथवा बाँ बाँ की तरह टकराती हैं। लारियाँ भर-भर शरर दौड़ती है, धरती पच-पच करती है, घण्टा टन टन टंनाग और सीटी टुटूडटू की आवाज से बजती है। सच तो यह है कि "प्रादेशिक या आँचलिक भाषा का प्रयोग के द्वारा सबसे विचारणीय शैल्पिक उपलब्धी फणीश्वरनाथ रेणु की है। जहाँ तक प्रश्न है शैली का शैली की दृष्टि से किसी उपन्यास की परम्परा न होकर यह एक नव प्रयोग है। काफी सीमा तक नव प्रयोग के अन्तर्गत वर्जन, विवरण, संवाद, फ्लैश बैंक काव्यात्मक तथा लोक कथात्मक, आदि विविध शैलियों के द्वारा उपन्यासकार ने आँचलिकता को उभारा है।
नामकरण की आँचलिकता - यह है मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास कहकर उपन्यासकार ने स्पष्टता नामकरण में आँचलिकता को मान लिया है। मैला आँचल का शब्दार्थ हैं गन्दा आँचल। लाक्षणिक अर्थ है मैला प्रान्त, प्रदेश या अंचल। इसी अंचल के मैले का या पिछड़ेपन को उपन्यासकार ने मूल वर्ण्य विषयक माना है। उपन्यासकार के अन्त में डॉ. प्रशान्त के शब्दों में मानों लेखक ही कहता है, 'इतनी ही नहीं वरन मैं साधना करूँगा, ग्रामवासिनी भारत माता के मैले आँचल तले। इतना ही नहीं वरन् मैला आँचल के सभी पात्र इस मैले आँचल की गन्दगी दूर करने में प्रयत्नशील हैं पात्र, घटनायें तथा समस्त गाँव इस बात के प्रयत्न में पूर्णतया लोन दिखाई देते हैं कि इस गाँव के मैले को दूर कर इसकों एक आदर्श गाँव के रूप में प्रदर्शित किया जा सके।
निष्कर्ष स्वरूप कह सकते हैं कि रेणु जी ने अपने "मैला आँचल" में आँचलिक कथा, परिवेष जीवन, सांस्कृति और भाषा आदि का समावेश पूर्ण रुचि के साथ रुचिकर रूप में किया है। आँचलिक चित्रण की ऐसी संभावनायें इसी उपन्यास में व्यक्त हुई हैं। निःसन्देह यह एक सफल उपन्यास है और हिन्दी उपन्यास जगत की महान उपलब्धि।
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- प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
- प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
- प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
- प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
- प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
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- प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
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- प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
- प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
- प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
- प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
- प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
- प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
- प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
- प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
- प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
- प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
- प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
- प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)