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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2678
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन

अध्याय - 3

हिन्दी की आलोचना पद्धतियाँ :
सैद्धान्तिक एवं स्वच्छन्दतावादी

प्रश्न- स्वच्छंदतावाद से क्या तात्पर्य है? उसका उदय किन परिस्थितियों में हुआ?

उत्तर -

स्वच्छंदतावाद एक ऐसा साहित्यिक आन्दोलन है जो आभिजात्यवाद की प्रतिक्रिया में आया। इसमें शास्त्रीय नियमों को दरकिनार करके रचना-विधान तथा रचनाकार की स्वतंत्रता को मान्यता दी गयी। अंग्रेजी में रोमांटिसिज्म शब्द 'रोमांस' से बना है, जिसका अर्थ है - प्रेम के स्वच्छंद क्रिया-कलाप, प्रेम और स्वच्छंदता दोनों ही मानव जीवन के सहज तत्त्व हैं, अतः जीवन में स्वच्छंद प्रेमचर्या भी स्वाभाविक है। इसी के परिणामस्वरूप स्वच्छंदत प्रेमचर्या, जिसमें सामाजिक मर्यादाओं और दायित्वों का उल्लंघन दृष्टव्य हो, कला और साहित्य के क्षेत्र में भी आ गई। हालाँकि रोमांटिसिज्म (स्वच्छंदतावाद) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन् 1792 में जर्मन आलोचक श्लेगर ने किया और उसे क्लासिसिज्म (आभिजात्यवाद) का विरोधी सिद्धान्त माना, लेकिन इस वाद की शक्तिशाली नीति से स्थापना की वर्ड्सवर्थ ने सन् 1800 में प्रकाशित उनकी पुस्तक 'लिरिकल बैलेड्स' की भूमिका स्वच्छंदतावाद का घोषणा-पत्र मानी जाती है।

1770 तक नव्य आभिजात्यवाद का बोलबाला रहा है, लेकिन इस वाद ने रचना-विधान के अत्यधिक एवं अनावश्यक विधान बनाये जिसके कारण रचना धार्मिकता में सहजता की जगह कृत्रिमता प्रधान होने लगी।

नव्यशास्त्रवाद की अत्यधिक एवं अनावश्यक नियमबद्धता तथा कृत्रिमता के विरुद्ध विद्रोह पनपने लगा। साहित्य धीरे-धीरे नियम, आदर्श, उद्देश्य-प्रधानता के चंगुल से छुटकारा पाने के लिए मचलने लगा। वह आंतरिक प्रेरणा की दिशा में बढ़ने के लिए लालायित हो उठा। दूसरी ओर फ्रांस की राज्य क्रान्ति का असर भी गहराने लगा। इस क्रान्ति ने यूरोप की प्राचीन संस्कृति को पूर्णतः बदल डाला। जीवन मूल्यों में भी परिवर्तन आ गया, जिसका प्रभाव साहित्य पर पड़ना स्वाभाविक था, क्योंकि एक नवीन जीवन दृष्टि का उन्मेष हो चुका था।

सन् 1789 में होने वाले फ्रांस की राज्य क्रान्ति भी प्राचीनता एवं शास्त्रीयता के विरुद्ध भड़कने वाली आग को हवा दिया। प्राचीन धर्म राज व्यवस्था, परम्परागत सामाजिक मान्यताओं एवं जड़ संस्कारों के खिलाफ एक नवीन चेतना अगड़ाई लेने लगीं और इस प्रकार स्वच्छंदतावाद का जन्म हुआ।

इस प्रकार स्वच्छंदतावाद परम्परा के प्रति विद्रोह की भावना से जन्मी विचारधारा है। रूसो इस नवीन (रोमांटिक) विचारधारा का प्रतिनिधि था। उसने कहा कि मनुष्य पैदा तो स्वतंत्र हुआ है, किन्तु हर जगह बंदी बना लिया गया है - इसी ने स्वातंत्र्य की लालसा, बंधनों को काट फेंकने का उत्साह और प्रकृति की ओर लौटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया और अंततः यही दोनों तत्त्व स्वच्छंदतावाद के मूलाधार बन गये। आभिजात्यवाद व नव्य आभिजात्यवाद के चंगुल से निकाल कर, साहित्य को मुक्त कराने का कार्य स्वच्छंदतावाद ने ही किया। इस परिवर्तन पर टिप्पणी करते हुए शिपले ने लिखा है -

"बहुत दिनों से श्रृंखला में आबद्ध जीवन उन्हें तोड़ फेंकने के लिए उठ खड़ा हुआ। तर्क, परम्परा, नियम - इन सबको उसने बंधन माना, उन्हें प्रकृति के सत्य और सौन्दर्य से दूर की वस्तु कहा और उनसे मुक्त हुआ। साहित्य का एक नया अध्याय प्रारम्भ हुआ।'

यद्यपि स्वच्छंदतावाद मूल प्रेरक रूसों था, लेकिन यह वाद सही आयाम वर्डसवर्थ की 'रचना 'लिरिकल बैलेड्स' की भूमिका के प्रकाशन के बाद ग्रहण किया। शैली, कीट्स एवं कॉलरिज जैसे कवियों ने इसे पूर्णतः विकसित किया। काव्य में कल्पना एवं आनन्द का मूल्य प्रमुख हो गया, रूढ़ियों की अवहेलना होने लगी। शास्त्रीय नियमावली की उपेक्षा हुई और काव्य की आत्मा स्वतंत्र होकर अभिव्यक्त होने लगा। छंद, अलंकार आदि बाह्यालंकरण के स्थान पर नैसर्गिक भावोन्मेष को प्राथमिकता मिलने लगी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आलोचना को परिभाषित करते हुए उसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकासक्रम में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के योगदान की समीक्षा कीजिए।
  4. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की आलोचना पद्धति का मूल्याँकन कीजिए।
  5. प्रश्न- डॉ. नगेन्द्र एवं हिन्दी आलोचना पर एक निबन्ध लिखिए।
  6. प्रश्न- नयी आलोचना या नई समीक्षा विषय पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन आलोचना पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- द्विवेदी युगीन आलोचना पद्धति का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- आलोचना के क्षेत्र में काशी नागरी प्रचारिणी सभा के योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- नन्द दुलारे वाजपेयी के आलोचना ग्रन्थों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- हजारी प्रसाद द्विवेदी के आलोचना साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  12. प्रश्न- प्रारम्भिक हिन्दी आलोचना के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  13. प्रश्न- पाश्चात्य साहित्यलोचन और हिन्दी आलोचना के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी आलोचना पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  15. प्रश्न- आधुनिक काल पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद से क्या तात्पर्य है? उसका उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  17. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उसकी प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी आलोचना पद्धतियों को बताइए। आलोचना के प्रकारों का भी वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के अर्थ और स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख भर कीजिए।
  21. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के व्यक्तित्ववादी दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  22. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद कृत्रिमता से मुक्ति का आग्रही है इस पर विचार करते हुए उसकी सौन्दर्यानुभूति पर टिप्णी लिखिए।
  23. प्रश्न- स्वच्छंदतावादी काव्य कल्पना के प्राचुर्य एवं लोक कल्याण की भावना से युक्त है विचार कीजिए।
  24. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद में 'अभ्दुत तत्त्व' के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए इस कथन कि 'स्वच्छंदतावादी विचारधारा राष्ट्र प्रेम को महत्व देती है' पर अपना मत प्रकट कीजिए।
  25. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद यथार्थ जगत से पलायन का आग्रही है तथा स्वः दुःखानुभूति के वर्णन पर बल देता है, विचार कीजिए।
  26. प्रश्न- 'स्वच्छंदतावाद प्रचलित मान्यताओं के प्रति विद्रोह करते हुए आत्माभिव्यक्ति तथा प्रकृति के प्रति अनुराग के चित्रण को महत्व देता है। विचार कीजिए।
  27. प्रश्न- आधुनिक साहित्य में मनोविश्लेषणवाद के योगदान की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- कार्लमार्क्स की किस रचना में मार्क्सवाद का जन्म हुआ? उनके द्वारा प्रतिपादित द्वंद्वात्मक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।
  29. प्रश्न- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद पर एक टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- ऐतिहासिक भौतिकवाद को समझाइए।
  31. प्रश्न- मार्क्स के साहित्य एवं कला सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- साहित्य समीक्षा के सन्दर्भ में मार्क्सवाद की कतिपय सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  33. प्रश्न- साहित्य में मार्क्सवादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- मनोविश्लेषणवाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
  35. प्रश्न- मनोविश्लेषवाद की समीक्षा दीजिए।
  36. प्रश्न- समकालीन समीक्षा मनोविश्लेषणवादी समीक्षा से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- मार्क्सवाद की दृष्टिकोण मानवतावादी है इस कथन के आलोक में मार्क्सवाद पर विचार कीजिए?
  38. प्रश्न- मार्क्सवाद का साहित्य के प्रति क्या दृष्टिकण है? इसे स्पष्ट करते हुए शैली उसकी धारणाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- मार्क्सवादी साहित्य के मूल्याँकन का आधार स्पष्ट करते हुए साहित्य की सामाजिक उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- "साहित्य सामाजिक चेतना का प्रतिफल है" इस कथन पर विचार करते हुए सर्वहारा के प्रति मार्क्सवाद की धारणा पर प्रकाश डालिए।
  41. प्रश्न- मार्क्सवाद सामाजिक यथार्थ को साहित्य का विषय बनाता है इस पर विचार करते हुए काव्य रूप के सम्बन्ध में उसकी धारणा पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- मार्क्सवादी समीक्षा पर टिप्पणी लिखिए।
  43. प्रश्न- कला एवं कलाकार की स्वतंत्रता के सम्बन्ध में मार्क्सवाद की क्या मान्यता है?
  44. प्रश्न- नयी समीक्षा पद्धति पर लेख लिखिए।
  45. प्रश्न- आधुनिक समीक्षा पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- 'समीक्षा के नये प्रतिमान' अथवा 'साहित्य के नवीन प्रतिमानों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  47. प्रश्न- ऐतिहासिक आलोचना क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  48. प्रश्न- मार्क्सवादी आलोचकों का ऐतिहासिक आलोचना के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
  49. प्रश्न- हिन्दी में ऐतिहासिक आलोचना का आरम्भ कहाँ से हुआ?
  50. प्रश्न- आधुनिककाल में ऐतिहासिक आलोचना की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उसके विकास क्रम को निरूपित कीजिए।
  51. प्रश्न- ऐतिहासिक आलोचना के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के सैद्धान्तिक दृष्टिकोण व व्यवहारिक दृष्टि पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- शुक्लोत्तर हिन्दी आलोचना एवं स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के योगदान का मूल्यांकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
  55. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में नन्ददुलारे बाजपेयी के योगदान का मूल्याकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
  56. प्रश्न- हिन्दी आलोचक हजारी प्रसाद द्विवेदी का हिन्दी आलोचना के विकास में योगदान उनकी कृतियों के आधार पर कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ. नगेन्द्र के योगदान का मूल्यांकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
  58. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ. रामविलास शर्मा के योगदान बताइए।

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