बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण
प्रश्न- "सम्प्रेषण वर्तमान में होने वाली परिवर्तन प्रक्रिया का अटूट अंग है।' विवेचना कीजिए।
अथवा
संचार के महत्वों को बताइए।
अथवा
नैगमिक सम्प्रेषण का क्या महत्व है?
अथवा
"सम्प्रेषण एक सफल प्रबन्धक की कुन्जी है।' स्पष्ट कीजिए।
अथवा
संचार प्रबन्धकीय कार्यों के लिए किस तरह आवश्यक है?
अथवा
सम्प्रेषण के बढ़ते महत्व के कारण बताइये।
अथवा
सम्प्रेषण का प्रबन्धकों के लिए महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
(Importance of Communication in Business Management)
अथवा
(Importance of Corporate Communication)
एक लघु व्यावसायिक संस्थान के प्रबन्धकर्ता तथा कर्मचारी आमने-सामने बैठकर विचार-विमर्श तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान कर लिया करते हैं किन्तु एक बड़े व्यावसायिक संस्थान में संगठन, नियोजन, संचालन, नियंत्रण, समन्वय व प्रेरणा का कार्य व्यावसायिक सम्प्रेषण से ही सम्भव होता है। प्रबन्ध व कार्पोरेट सम्प्रेषण में अति निकटता के कारण दोनों को एक-दूसरे से पृथक नहीं किया जा सकता। कोई भी व्यावसायिक संगठन उपयुक्त सम्प्रेषण के बिना कार्य सम्पन्न नहीं कर सकता है। सम्प्रेषण के बिना व्यावसायिक संस्था निष्क्रिय होगी। सम्प्रेषण वह यान्त्रिकी होती है जिसके माध्यम से प्रबन्धक द्वारा संगठन में मानवीय सम्बन्धों का विकास किया जाता है। पीटर एफ. ड्रकर के अनुसार, “प्रबन्धक के पास सूचना रूपी विशेष औजार होता है। वह लोगो को नियंत्रित नहीं करता। वह लोगो को अपना कार्य करने हेतु प्रेरित मार्गदर्शित व संगठित करता है"।
व्यावसायिक / कार्पोरेट सम्प्रेषण के लाभ निम्नांकित हैं -
1. योजनाओं का क्रियान्वयन ( Implementation of Plans) - योजनाओं की जानकारी उन कर्मचारियों को दे दी जाती है जो इन्हें कार्यरूप में परिणित करते हैं। प्रबन्धक सम्प्रेषण के माध्यम से निर्देश देते हैं।
2. अभिप्रेरणा व मनोबल में वृद्धि करना (Increase in Motivation and Morale) - सम्प्रेषण से विकेन्द्रीकरण को बल मिलता है, जिससे संगठन के कर्मचारियों का मनोबल बढ़ता है।
3. अच्छे मानवीय सम्बन्ध (Good Human Relations) - बेहतर सम्प्रेषण कर्मचारियों को अपनी शिकायत करने हेतु प्रेरित करता है। यह औद्योगिक अशान्ति में कमी लाता है।
4. सामंजस्य स्थापित करना (Establishment of Co-ordination) - सम्प्रेषण विभिन्न विभागों व उप-विभागों में सम्बन्ध स्थापित करता है। यह सामूहिक कार्य भावना को अभिप्रेरित करता है। मेरी कशिंग नायल्स (Mary Cushing Niles) के अनुसार सामंजस्य के लिए सम्प्रेषण आवश्यक है।
5. जन सम्पर्क (Public Relations) - सम्प्रेषण ग्राहकों, विनियोगकर्ताओं, व्यापार संघों, सरकार तथा स्थानीय समुदाय से सम्बन्ध स्थापित करता है। संगठन को चलाने के लिए प्रबन्धकों को बाह्य वातावरणीय तत्वों को जानने की आवश्यकता होती है। सम्प्रेषण प्रबन्धकों को सूचनाएँ उपलब्ध कराता है।
6. प्रभावशाली नेतृत्व (Effective Leadership) : सम्प्रेषण नेतृत्वकर्ता को अपने अनुयायियों को अपने विचार व सुझाव व्यक्त करने हेतु आवश्यक होता है।
7. कार्यक्षमता में वृद्धि (Increase in Efficiency) : यह कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। कार्यक्षमता में वृद्धि प्रभावी सम्प्रेषण पद्धति द्वारा सम्भव है।
8. न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन (Maximum Production at Minimum Cost) : व्यवसाय की सफलता न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन करने पर निर्भर करती है।
9. व्यवसाय की व्यवस्थित कार्यविधि (Organised Business Procedure) : आधुनिक युग जटिलताओं का युग है। प्रत्येक कार्य की एक निर्दिष्ट विधि है। व्यवस्थित कार्य के लिए प्रत्येक अंग का अन्य अंगों के साथ सम्बन्ध आवश्यक होता है।
10. जनतान्त्रिक भावना को प्रोत्साहन (Incentive to Democratic Feeling) : कर्मचारियों एवं श्रमिकों के सुझाव सफलता में सहायक हो सकते हैं। प्रबन्धकों एवं कर्मचारियों के बीच इस परामर्श-प्रणाली के कारण कर्मचारी भी गौरवान्वित अनुभव करते हैं और वे यह समझते हैं कि व्यवसाय का प्रबन्ध जनतांत्रिक आधार पर चलाया जा रहा है, जिसमें उनका भी महत्वपूर्ण स्थान है। वास्तव में "प्रबन्ध द्विमार्गीय यातायात के समान है तथा यह सम्प्रेषण की प्रभावी व्यवस्था पर आधारित है।
11. प्रबन्धकीय क्षमता का विस्तार (Promotion of Managerial Efficiency) : जॉर्ज आर. टेरी के शब्दों में “सन्देशवाहन प्रबन्धकीय प्रक्रिया के सुविधाजनक प्रचलन में तेल का कार्य करता है।"
12. पद- सन्तुष्टि की व्यवस्था (Provision of Job satisfaction) : प्रबन्ध तथा कर्मचारियों के मध्य पारस्परिक विश्वास की भावना को बढ़ाया जा सकता है। प्रभावी संदेशवाहन व्यक्तियों को संतोष प्रदान करता है, सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है और उनमें अपने पद के प्रति विश्वास और उत्साह उत्पन्न होता है।
13. आन्तरिक प्रशासन चलाने हेतु (For running Internal Administration) - प्रबन्धकों को किये जाने वाले कार्य के सम्बन्ध में अपने अधीनस्थों को निर्देश देने होते हैं।
14. नियंत्रण का आधार (Basis of Control) - प्रबन्धक कतिपय उद्देश्यों को तय करते हैं, प्रमापों तथा वास्तविक अनुपालन की तुलना करते हैं तथा अन्तर होने पर सुधारात्मक कार्यवाही करते हैं। नियंत्रण तभी सम्भव होता हैं जब संगठन में प्रभावी संचार व्यवस्था हो।
सम्प्रेषण के महत्व हेतु उत्तरदायी बातें (Things Responsible for Significance of Communication): आज के गतिशील वातावरण में सूचनाओं का आदान-प्रदान एक अपरिहार्य कार्य है। सम्प्रेषण एक सामाजिक क्रिया है। जिसके द्वारा व्यक्ति अथवा समूह अपने विचारों, भावनाओं, प्रतिक्रियाओं, तथ्यों, संमकों का आदान-प्रदान करता है। सम्प्रेषण शीर्ष, मध्यम एवं निचले सभी स्तरों पर किया जाता है। सम्प्रेषण आज आधुनिक सभ्य समाज में सौहार्द, मैत्री एवं समन्वय करने की एक महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य करता है। इसी कारण आज के युग में सम्प्रेषण की व्यावसायिक प्रक्रिया के प्रत्येक घटक का महत्व लगातार बढ़ रहा है।
सम्प्रेषण के महत्व हेतु अग्रांकित बातें जिम्मेदार हैं-
1. संगठनों का अत्यन्त बड़ा स्वरूप,
2. वैज्ञानिक व तकनीकी विकास,
3. कार्यविधियों में परिवर्तन,
4. संगठनों द्वारा उत्कृष्ट प्रकृति को अपनाना,
5. समाज के विभिन्न वर्गों हेतु व्यवसाय की बढ़ती हुई जिम्मेदारियाँ,
6. व्यावहारिक विज्ञानों, जैसे समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, संव्यावहारिक विश्लेषण व दर्शनशास्त्र आदि का प्रभाव,
7. मानवीय सम्बन्धों को स्थापित करना व बनाये रखना,
8. व्यापार संघों तथा व्यापार संगठनों का विकास आदि।
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