बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण
प्रश्न- प्रभावी श्रवणता के सिद्धान्त क्या हैं?
उत्तर -
(Principles of Effective Listening)
प्रभावी श्रवणता के मुख्य सिद्धान्त निम्नलिखित हैं-
1. श्रवणता के समय ध्यान देने का सिद्धान्त (Principle to Pay Attention While Listening) - श्रोता को संदेश के वक्ता की बात ध्यान से सुननी चाहिए तथा संदेश पर पूरा ध्यान लगाना चाहिए।
2. संदेश के अवधारणा का सिद्धान्त (Principle to Retain Message ) - प्रभावशाली श्रवणता के लिये आवश्यक है कि श्रोता के पास अवधारणा क्षमता हो। यदि वह संदेश को सुनकर भूल जाता है तो संचार प्रक्रिया बाधित हो जाती है। आवश्यक हो तो महत्वपूर्ण संदेश को लिख लेना चाहिये जिससे वह स्मरण में बना रहे।
3. निष्पक्षता का सिद्धान्त (Principle of Unbiasedness) - संदेश को सुनते समय मन में किसी प्रकार का पूर्वाग्रह नहीं रखना चाहिए इससे वह संदेश को उसके सही रूप में समझ पायेगा। यदि श्रोता का प्रेषक के प्रति मन में पूर्वाग्रह है तो उस संचार के निष्कर्ष गलत निकाले जाते हैं।
4. परिवर्तनों को स्वीकार करने का सिद्धान्त (Principle to Accept Changes ) - जब किसी संदेश में कोई ऐसी बात है जो श्रोता के दृष्टिकोण से मेल नहीं खाती तो श्रोता को खुले दिमाग से काम लेना चाहिए तथा परिवर्तन को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
5. नेत्र सम्पर्क का सिद्धान्त (Principle of Eye Contact) - संदेश को सुनते समय श्रोता को वक्ता से नजरें मिलाकर संदेश ग्रहण करना चाहिए। इससे वक्ता के हाव-भाव के द्वारा उसे कुछ अनकहे संदेश का ज्ञान भी हो जायेगा जो कि प्रभावपूर्ण श्रवणता हेतु जरूरी होता है।
6. समान रूचि का सिद्धान्त (Principle of Equal Interest) - श्रोता को संदेश सुनते समय ऐसे बिन्दु खोजने चाहिए जो समान रूचि के हों। इससे वह प्रेषक के दृष्टिकोण को सही प्रकार से समझ सकेगा।
परिवर्तन को स्वीकार करना -
7. स्पष्टीकरण का सिद्धान्त (Principle of Clarification) - प्रभावी श्रवण के लिए आवश्यक है कि श्रोता जहाँ आवश्यक हो वहाँ वक्ता से स्पष्टीकरण लेता रहे। इससे उसे संदेश को भली प्रकार समझने में सहायता मिलेगी।
8. ध्यानपूर्वक सुनने का सिद्धान्त (Principle to Listen Attertively ) - श्रोता को * प्रेषक की बात ध्यानपूर्वक सुननी चाहिए। यदि वह संदेश पर ध्यान केन्द्रित नहीं करता, तो प्रभावपूर्ण नहीं होगी। अतः श्रोता को ध्यान से सुनना प्रभावी श्रवणता के लिये आवश्यक होता है।
9. मूल्यांकन का सिद्धान्त (Principle of Evaluation) - श्रोता को पूरा संदेश सुनकर ही संदेश का मूल्यांकन करना चाहिए। यदि वह बीच में ही मूल्यांकन करने की भूल करता है तो यह संदेश के साथ न्यायपूर्ण नहीं होगा। अधूरी श्रवणता से गलत अर्थ निकल सकते हैं। अतः जब तक संदेश पूरा न हो उसका मूल्यांकन करना उचित नहीं होता है।
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