लोगों की राय

बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2669
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

प्रश्न- "भाषा प्रतिरूप संचार के सांकेतिक पहलू के अत्यन्त निकट है।' स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

भाषा प्रतिरूप
(Para language)

'भाषा प्रतिरूप' दो शब्दों से मिलकर बना है। भाषा का अर्थ है सम्प्रेषण की आवृत्ति और प्रतिरूप का अर्थ है - समान। भाषा प्रतिरूप का अर्थ है भाषा के समान। भाषा प्रतिरूप में एक व्यक्ति के अभिव्यक्ति का अध्ययन किया जाता है, जैसे वह किस प्रकार से कहता है, किस प्रकार से अपने विचार अभिव्यक्त करता है, आदि।

भाषा प्रतिरूप में एक वक्ता अपने शब्दों को किस 'स्वर- ध्वनि' के साथ कैसे उद्घोषित करता है, इस बात का संकेत प्राप्त होता है इसीलिए यह अन्य अभाषिक सम्प्रेषण की तुलना में अत्यन्त निकट है। आवाज में यह गुण होना चाहिए कि उनकी लय, गति अथवा मात्रा के द्वारा सन्देश के अर्थ को समझा जा सके।

भाषा प्रतिरूप के मुख्य तत्व (Main Factors of Paralanguage) - भाषा प्रतिरूप के मुख्य तत्व द्वारा प्रकार है :

1. आवाज (Voice) - हमें प्रथम संकेत आवाज द्वारा प्राप्त होता है। इसके माध्यम से वक्ता के लिगं, शिक्षा, स्वभाव आदि के बारे में पता चलता है, इसलिए यह एक महत्वपूर्ण तत्व है। स्वर निम्न प्रकार के होते है - साफ, सभ्य, लयबद्ध इत्यादि। आवाज का महत्व कुछ व्यवसायों ने अधिक महत्वपूर्ण होता है, जैसे- गायन, उद्घोषण आदि।

एक सन्देश को अन्य श्रोताओं तक प्रभावशाली तरीके से पहुँचाने के लिए निम्न बातों का होना आवश्यक है-

(i) पिच (Pitch) - पिच का अर्थ स्वर में उतार-चढ़ाव से है। एक प्रभावी सम्प्रेषण के लिए स्वर के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखना चाहिए। श्रोताओं को वो वक्ता नीरस लगते है जो अपने स्वर में एकरूपता रखते है।

(ii) वक्तव्य की गति (Speaking Speed) - विभिन्न अवसरों पर विभिन्न गति के वक्तव्यों से सन्देश के विभिन्न अंशों को श्रोता तक पहुँचाया जाता है। जैसे यदि जटिल सूचनाओं को तीव्र गति से प्रेषित किया जाए तो उन्हें समझना कठिन होगा और सरल सूचनाओं को धीमी गति से प्रेषित किया जाए तो क्रोध पैदा होगा।

(iii) अन्तराल (Pause) - किसी भी सन्देश में अन्तराल का होना आवश्यक है। अन्तराल अगर सही समय पर नहीं हुआ तो वह सन्देश को बदल देगा।

(vi) आवाज की मात्रा (Voice Volume) - वक्ता की आवाज की मात्रा श्रोताओं की मात्रा पर निर्भर करती है। यदि श्रोताओं की मात्रा अधिक हो तो वक्ता अपना सन्देश सम्प्रेषित करने के लिए जोर से बोल सकता है।

2. उचित स्वराघात (Proper Stress) – यह किसी भी भाषा का मुख्य अंग होता है। क्योंकि संदेश के अर्थ को सम्प्रेषित कर पाने में हम स्वराघात द्वारा ही सफल होते है। स्वराघात का उपयोग किसी हिस्से को महत्व देने के लिए किया जाता है।

3. मिश्रित संकेत (Mixed Signals) - मिश्रित संकेत संदेश का अर्थ बदल देता है यह फिर उसमें विभ्रम आ जाता है। एक सन्देश कैसे प्रेषित किया जाता है तथा उसमें प्रयुक्त शब्दों का क्या अर्थ है, इस बात पर श्रोता को ध्यान देना चाहिए।

भाषा प्रतिरूप के लाभ (Advantages of Para language) - भाषा प्रतिरूप के लाभ निम्न प्रकार है।

1. यह किसी भी वक्ता के शैक्षणिक परिवेश को स्पष्ट करती है।
2. भाषा प्रतिरूप का उपयोगी शैक्षिक मूल्य है। एक सर्तक श्रोता एक कुशल वक्ता से बहुत कुछ सीखता है।
3. किसी व्यवसाय में किसी व्यक्ति की स्थिति का अनुमान भाषा प्रतिरूप द्वारा आसानी से लगाया जा सकता है।
4. किसी वक्ता की मानसिक दशा को भाषा प्रतिरूप द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। भाषा प्रतिरूप की

सीमाएँ (Limitations of Para language ) - भाषा प्रतिरूप की सीमाएँ निम्न प्रकार है : -
1. सन्देश की एकरूपता मौखिक सम्प्रेषण प्रक्रिया में समाप्त हो जाती है।
2. भाषा प्रतिरूप भाषा नहीं है, परन्तु भाषा के समान है। इस पर पूर्ण से निर्भर नहीं रहा जा सकता।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book