बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण
प्रश्न- सम्प्रेषण की मनोवैज्ञानिक बाधाएँ समझाइये।
उत्तर -
(Psychological Barriers to Communication)
मनोवैज्ञानिक बाधा अधिकारी एवं अधीनस्थ के सम्बन्धों के कारण उत्पन्न हो जाती है। ऊर्ध्वगामी संदेशवाहन पर अधिकारी के प्रति अधीनस्थ की मनोवैज्ञानिक भावना का प्रभाव पड़ता है। यदि वह अनुकूल है तो संदेशवाहन के मार्ग में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होगी। परन्तु यदि वह प्रतिकूल है तो संदेशवाहन के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा होगी।
सम्प्रेषण की मनोवैज्ञानिक बाधाएँ निम्नलिखित हैं-
1. अपरिपक्व मूल्यांकन (Immature Valuation) - कभी-कभी लोग प्रेषक से पूरी सूचनाओं की प्रतीक्षा किए बिना ही उसे प्राप्त हुआ समझ बैठते हैं। यह प्रेषक को मत भ्रम की ओर धकेल सकता है तथा एक व्यर्थ की गतिविधि बन जाती है। फिर प्रेषक ऐसी जल्दी करने वाले मूल्यांककों को सूचनाओं के प्रेषण में संदेह में हो सकता है।
2. चयनित बोध (Selective Perception) - सम्प्रेषण प्रक्रिया में यह मान्यता है कि प्राप्तकर्ता और प्रेषक दोनों खुले दिमाग वाले होते हैं जो बिना बाधा के सूचनाओं के प्रक्रियाकरण हेतु उनको समर्थ बनाते हैं। यदि लोग अपने संकीर्ण उद्देश्यों तथा विचारों के प्रति अपनी 'कार्य सूची' को सीमित करते हैं, तो कोई भी प्रभावी सम्प्रेषण सम्भव नहीं हो पाएगा।
3. कमजोर श्रवणता (Poor Listening) - जोसेफ दूहर के अनुसार, “Listening is most neglected skill in communication. Half listening is like racing your engine with the gear in neutral. You use gasoline but you get nowhere”. इस प्रकार स्पष्ट है कि यदि कोई व्यक्ति संदेशों को ठीक प्रकार से नहीं सुनता है तो वह संदेशों को ठीक प्रकार से समझ भी नहीं सकता है। परिणामस्वरूप संदेशों से इच्छित कार्य भी पूरा नहीं करवा सकता है। प्रेषक एवं प्रेषिती द्वारा किसी संदेश को ठीक प्रकार से न सुनना संदेश के प्रभावशाली होने में सबसे बड़ी बाधा है।
4. भावनाएँ (Emotions) - नाक, शक्ल, होठ, रूप, कपड़ों का कट तथा आवाज आदि से भी व्यक्ति की भावनायें प्रभावित होती है और ये तत्व उस व्यक्ति की बात को सुनने एवं न सुनने को प्रेरित करते हैं। भावनात्मक स्थिति के अन्तर के कारण भी सन्देश को उचित रूप में नहीं समझा जाता है। कभी- कभी भावना तथा विचार इतने दृढ़ हो जाते हैं कि प्रेषिती प्रायः प्रेषक की प्रत्येक बात का एक ही अर्थ लगाते है। भावना कई बातों से प्रभावित होती है। व्यक्ति किसी व्यक्ति से बात करना चाहता है तो किसी से बात नहीं करना पसन्द करता है। इससे भी सम्प्रेषण में बाधा आती है। .
5. अधिकारियों द्वारा उपेक्षा करना (Negligence by Officers) - कभी-कभी सम्प्रेषण में बाधायें इसलिये भी उपस्थित हो जाती हैं कि कई अधिकारी इसमें उपेक्षा बरतते हैं। वे केवल आदेश एवं निर्देश देकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री समझते हैं। वे कर्मचारियों की शिकायतों एवं संदेहों के प्रति ध्यान नहीं देते हैं। वे अपने कर्मचारियों की समस्याओं को सुनने का समय भी नहीं देते हैं। इससे आपसी भ्रांतियाँ बढ़ती हैं और संदेश प्रभावशाली सिद्ध नहीं हो पाते हैं।
6. सम्प्रेषण पर अविश्वास (Distrust of Communication) - कुछ उच्चाधिकारी, अविवेकपूर्ण बेढंगे निर्णयों, दुर्बल चयनित शब्दावली, गलत निर्णयों के सम्प्रेषण के लिए प्रसिद्ध होते हैं।
इनके सन्देशों के साथ बार-बार होने वाले अनुभव अधीनस्थों की धीरे-धीरे कार्य करने में देरी उत्पन्न करते हैं, क्योंकि ऐसे व्यक्तियों से मिले सन्देशों के विषय में सदैव पूर्वानुमान लगा लिया जाता है कि उस निर्णय में परिवर्तन के आदेश पुनः आते ही होंगे। अधीनस्थ ऐसे सम्प्रेषणों को गम्भीरता से नहीं लेते तथा सम्प्रेषक का अविश्वास सम्प्रेषण की प्रभावशीलता में बाधक बनता है।
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