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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2669
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

प्रश्न- सम्प्रेषण की भाषागत बाधाएँ बताइये।

अथवा
भाषागत अवरोधकों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

सम्प्रेषण की भाषागत बाधाएँ
(Language Barriers)

कुछ शब्द, अभिव्यक्तियाँ आदि ऐसे होते हैं जिनका प्रचलन सामान्यतया नहीं होता, जैसे चिकित्सकों की भाषा अथवा विधिक शब्द। इनका उपयोग सम्प्रेषण में बाधा डाल सकता है। गलत भाषा का उपयोग करने या संदेश को गलत रूप में व्यक्त करने या समझने में उत्पन्न समस्याएँ भाषा सम्बन्धी अवरोध खड़ा करती हैं। सम्प्रेषण की भाषागत बाधाएँ निम्नलिखित हैं-

1. तकनीकी शब्द (Technical Words)- तकनीकी उद्योगों या प्रशासन सम्बन्धी विभागों में कार्यरत लोग सामान्यतः तकनीकी भाषा का प्रयोग करते हैं। यदि प्रेषक व प्राप्तकर्ता अलग-अलग क्षेत्रों से सम्बन्धित हैं तो यह तकनीकी भाषा सम्प्रेषण में बाधा उत्पन्न करती है।

(i) लोकोक्ति व मुहावरों का प्रयोग (Use of Phrases and Idioms) - साहित्यिक रुचि रखने वाले प्रेषक संदेश को रूचिकर बनाने के लिये लोकोक्ति व मुहावरों का प्रयोग करते हैं। यदि प्राप्तकर्ता इनका अर्थ नहीं समझ पाता है तो संचार में बाधा आती है।

(ii) सूचक व आधिक्य सूचक शब्द - वे शब्द जिनसे कोई सकारात्मक या नकारात्मक बोध न हो, 'सूचक' कहलाते हैं। उदाहरण पेन, किताब,टेलीफोन, कार्यालय आदि तथा वे शब्द जिनसे यह बोध होता है, 'आधिक्य सूचक शब्द कहलाते हैं। जैसे बुद्धिमान, मूर्ख, ईमानदार, महंगा, स्वादिष्ट आदि। परन्तु कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिनका सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार का अर्थ हो सकता है, ऐसे शब्दों का प्रयोग सम्प्रेषण में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

(iii) अस्पष्ट मान्यताएँ (Vague Assumptions ) - यदि प्रेषक यह मानकर संदेश प्रेषित करता है कि प्राप्तकर्ता को आधारभूत ज्ञान है एवं केवल आगे की बातें बताता है। परन्तु यह मान्यता गलत भी हो सकती है, इससे सम्प्रेषण मंप बाधा उत्पन्न होती है।

2. त्रुटिपूर्ण अनुवाद (Faulty Translation) - सामान्यतया प्रबन्धक संस्थान के सम्प्रेषण केन्द्रों में बैठे होते हैं तथा सन्देशों के संवाहक एवं प्राप्तकर्ता का कार्य करते हैं। वे अधिकारियों, समान स्तर के कार्मिकों अधीनस्थों से सन्देश पाते हैं तथा इसी क्रम में उन सभी प्रकार के व्यक्तियों के लिए अनुवाद करते हैं। बहुधा यह पर्याप्त नहीं होता कि सन्देश को केवल शब्दों की तरह ही ज्यों का त्यों आगे बढ़ा दें। प्राप्तकर्ता द्वारा संदेश को सरलता से समझने के लिए उसे उपयुक्त शब्दों द्वारा उस ढांचे में ढाला जाना चाहिए जिसमें प्राप्तकर्ता संचालन करता है अथवा उसके निर्वचन के साथ संलग्न किया जाय।

3. शब्दों एवं संकेतों के विविध अर्थ- सम्प्रेषण में समस्याएं शब्द एवं संकेतों के अर्थ समझने में भिन्नता के कारण उत्पन्न होती हैं। शब्द एवं संकेतों के अर्थ प्रयोग एवं स्थिति के अनुसार होते हैं। जटिल एवं द्विअर्थी संकेतों एवं शब्दों से सम्प्रेषण में बाधा आ जाती है।

4. गलत शब्दों में अभिव्यक्त सन्देश (Badly Expressed Messages) - अर्थहीन शब्दों एवं वाक्यांशों, असावधानी के कारण मूल तारतम्यता की कमी, विचारों का दुर्बल संगठन, अशुद्ध वाक्य रचना, अविवेकपूर्ण व्याख्यान तथा परिणामों के स्पष्टीकरण की असफलता जैसी गलतियाँ सामान्य हैं। इससे सम्प्रेषण में अवरोध उत्पन्न होता है।

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