बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण
प्रश्न- अशाब्दिक सम्प्रेषण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -
अशाब्दिक सम्प्रेषण
(Non-verbal Communication)
सभ्यता के आरम्भ से ही मनुष्य शब्दों के माध्यम के अतिरिक्त अन्य अनेक तरीकों से सम्प्रेषण करता रहा है। मानव सभ्यता के प्रारम्भ में संचार के लिए जंगलों में ड्रम बजा-बजाकर सम्प्रेषण किया जाता था। ये संकेत चिन्ह किसी भाषा के शब्द नहीं होते जो शब्दों के दायरे से दूर दृश्य तथा श्रव्य संकेत होते हैं। प्रारम्भ में जब मानव सभ्यता ने शब्द भाषा की खोज नहीं की थी उस समय भी अपने सन्देशों का आदान-प्रदान संकेतों एवं चिह्नों के द्वारा करता था। एक पुरानी चीनी लोकोक्ति के अनुसार, “A picture is worth a thousand words” दृश्य तत्वों के उपयोग पर प्रकाश डालती है। कभी-कभी शब्द सही अर्थ पहुँचाने में असफल हो जाते हैं तथा वहाँ एक ड्रॉईंग या तस्वीर पक्का प्रभाव जमा पाती है। आज जब इक्कीसवीं शताब्दी में मानवीय सभ्यता काफी विकसित हो गई है, सम्प्रेषण के अनेकों आधुनिक साधन एवं तन्त्र मानव सभ्यता के पास उपलब्ध हैं। लेकिन आज भी अशाब्दिक सम्प्रेषण महत्वपूर्ण है। वह विचार, भाव अथवा सन्देश जो हजारों शब्दों में सम्प्रेषित नहीं हो पाता, वह मात्र संकेत, चित्र, हाव-भाव, भाव-भंगिमा द्वारा कुछ पलों में ही सम्प्रेषित किया जा सकता है। सम्प्रेषण का एक शक्तिशाली, स्वाभाविक एवं प्राकृतिक माध्यम अशाब्दिक सम्प्रेषण है। इसको संकेत सम्प्रेषण भी कहते हैं। अशाब्दिक सम्प्रेषण के संकेत ज्ञान विचारों दृष्टिकोण, विश्वास एवं भावनाओं के प्रतीक होते हैं जिनका सम्प्रेषण हेतु चयन सामयिक ढंग से किया जाता है। रेमण्ड एवं जान के अनुसार, "सम्प्रेषण के वे सभी माध्यम अशाब्दिक सम्प्रेषण में शामिल होते हैं जो न तो लिखित और न ही मौखिक शब्दों में व्यक्त हैं।" सम्प्रेषण प्रक्रिया में सन्देशों का आदान-प्रदान होता है। प्रेषक तथा प्राप्तकर्ता सन्देश एवं विचार को एक समान अर्थ में समझते हैं। जब इस प्रक्रिया में सन्देश शब्दों में व्यक्त किया जाए तो उसको शाब्दिक सम्प्रेषण कहते हैं तथा जब सन्देश शब्दों के अतिरिक्त चिह्नों या संकेतों तथा सूचित चिह्नों के द्वारा सम्प्रेषित हो तो उसे अशाब्दिक सम्प्रेषण कहा जाता है।
प्रत्येक संगठन बहुधा अनेक दृश्य संकेतों का उपयोग करता है जैसे पोस्टर्स, ड्रॉइंग्स, फोटोग्राफ, कार्टून्स, कैरीकैचर्स, स्टैचू आदि। इनका आम सूचनाओं के लिए सन्देश प्रेषण करने में तथा शिक्षा उद्देश्यों के लिए जानकारी देने में व्यापक उपयोग किया जाता है। भूगोल, विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा बहुधा सभी प्रस्तुतियों में नक्शों तथा रेखाचित्रों के बिना काम ही नहीं चलता है। पर्यटन तथा होटल उद्योग, मोटर कम्पनियाँ, आदि दुनिया भर में अच्छे दिखने वाले रंगीन फोटोग्राफों का सहारा लेती हैं। इनमें से अधिकांश ड्रॉइंग्स तथा फोटोग्राफों को एक वर्ग विशिष्ट द्वारा ही समझा जाता है तथा इनकी 'अपील' सीमित हो पाती है। लेकिन व्यापक मात्रा में दृश्य संकेत चिन्ह एक सार्वभौमिक भाषा बोलते हैं जिसे विश्वभर में समझ लिया जाता है।
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