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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2669
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

प्रश्न- औपचारिक एवं अनौपचारिक सम्प्रेषण से आप क्या समझते हैं? इनके गुण व दोष बताइये।

अथवा
औपचारिक एवं अनौपचारिक सम्प्रेषण को समझाते हुए इनमें अन्तर बताइये।
अथवा
नैगमिक सम्प्रेषण के प्रमुख चैनल बताइये।

इस प्रश्न का उत्तर आगे दिये गये सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तरों को मिलाने से पूरा होता है।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न- औपचारिक सम्प्रेषण से आप क्या समझते हैं? इसके गुण व दोष बताइये।
अथवा
औपचारिक सम्प्रेषण क्या है?

उत्तर -

औपचारिक सम्प्रेषण
(Formal Communication)

यह सम्प्रेषण संगठन में कार्यरत प्रबन्धकों अथवा उस संगठन के समान पदाधिकारियों के बीच होता है। इस सम्प्रेषण में फैसले, स्मरणपत्र आदि आते हैं। उदाहरणार्थ X प्रबन्धक ने जो संगठन का उच्च अधिकारी है, अपने त्वरित अधीनस्थ कर्मचारी Y को आदेश दिया। Y ने अन्य कर्मचारी Z को आवश्यक कार्यवाही करने हेतु प्रेषित कर दिया। यह एक औपचारिक पथ है। औपचारिक सम्प्रेषण प्रबन्धन द्वारा तैयार किया गया संजाल (network) होता है। किसी कार्य को विधिवत किये जाने के लिए यह वाँछित होता है कि प्रबन्ध वर्ग ने जो संजाल तय किया हो, उस प्रक्रिया से कार्य हो। जैसे प्रबन्धक अपने सुपरवाइजर से तथा सुपरवाइजर अपने विभागीय प्रबन्धक से तथा विभागीय प्रबन्धक प्रबन्ध निदेशक तक संदेश पहुँचायेगा। औपचारिक सम्प्रेषण क्षैतिज या ऊर्ध्वाकार हो सकता है।

इसके मुख्य तत्व अग्रवत होते हैं -

1. औपचारिक प्रकार की संगठन संरचना में सम्भव होना,
2. यह दो पदों (position) के बीच सम्पर्क स्थापित करता है,
यह निम्नवत प्रकार का हो सकता है -
(a) अधोगामी या अवरोही,
(b) ऊर्ध्वगामी या उपरिगामी या आरोही,
(c) क्षैतिज या समतल,
3. संस्थागत निर्धारण होना,
4. गन्तव्य स्थल की ओर तीव्रतापूर्वक व समयबद्ध तरीके से संदेश संवहन होना;
5. प्राधिकारियों से समर्थन होना,
6. यह प्रायः लिखित रूप में होता है।

गुण (Merits) : ये अग्रवत हैं-

1. उत्तरदायित्व का निर्धारण,
2. विश्वसनीयता व प्रमाणीकरण,
3. सर्वमान्य, सर्वप्रचलित व व्यापक,
4. नियोजित व क्रमबद्धता,'
5. स्थाईपन,  
6. लक्ष्य व कार्य अभिमुखी,
7. संगठन के सदस्यों के मध्य घनिष्ठ सम्बन्ध,
8. सहायकों पर नियंत्रण।

दोष (Demerits) : ये नीचे दिये गये हैं-

1. अवैयक्तिक होना,
2. कठोर व धीमा होना,
3. विभिन्न बिन्दुओं पर संगठनात्मक अन्तर व छानबीन करना,
4. सम्प्रेषण के बहाव में संकीर्ण पथ,
5. विस्तृत एवं व्यापकं प्रयोग से संदेह होने की सम्भावना,
6. वरिष्ठों के प्राधिकार में न्यूनता आना,
7. लाल फीताशाही का जन्म।

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