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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 2. ब्लूम द्वारा प्रतिपादित शिक्षण उद्देश्य वर्गिकी का संक्षिप्त वर्णन कीजिए तथा ज्ञानात्मक पक्ष के उद्देश्यों को समझाइए।

अथवा
ब्लूम के अनुसार शैक्षिक उद्देश्यों में वर्गीकरण का विस्तृत वर्णन कीजिए। शैक्षिक उद्देश्य तथा अनुदेशनात्मक उद्देश्यों में विभेद कीजिए।
अथवा

ब्लूम के शैक्षिक उद्देश्यों का विस्तृत वर्गीकरण कीजिए।

अथवा
पदार्थ विज्ञान शिक्षण हेतु ब्लूम के शिक्षण उद्देश्यों के वर्गीकरण की विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।

अथवा
बी.एस. ब्लूम के ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं मनोशारीरिक शैक्षिक उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।

अथवा
ब्लूम की उद्देश्यों को वर्गीकरण की तुलना करते हुए पुनर्संगठित ब्लूम के उद्देश्यों के वर्गीकरण की चर्चा कीजिए।

अथवा
ब्लूम के उद्देश्यों की व्याख्या विभिन्न पक्षों के आधार पर कीजिए।

1. ब्लूम द्वारा प्रतिपादित शिक्षण उद्देश्यों की विस्तृत विवेचना कीजिये।
2. ब्लूम द्वारा वर्णित ज्ञानात्मक पक्ष के उद्देश्यों का वर्णन कीजिये।
3. शैक्षिक उद्देश्य तथा अनुदेशनात्मक उद्देश्य में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिये।
4. बी.एस. ब्लूम द्वारा प्रतिपादित शिक्षण उद्देश्यों का वर्गीकरण कीजिये।
5. ब्लूम्स के शैक्षिक लक्ष्यों के वर्गीकरण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

उत्तर- शिक्षण के सामान्य उद्देश्यों की अस्पष्टता के कारण वे व्यावहारिक रूप से वांछित सफलता प्राप्त करने में असफल रहे। इसत्रुटि को दूर करने के लिए मनोवैज्ञानिकों के एक समूह ने अनुसंधान के पश्चात् मानव व्यसवहार के अग्रलिखित उद्देश्यों को मान्यता प्रदान की-

(1) ज्ञानात्मक पक्ष, (2) भावात्मक पक्ष, (3) क्रियात्मक पक्ष।

ज्ञानात्मक पक्ष का ब्लूम द्वारा 1956 में, भावात्मक पक्ष का ब्लूम, कर्थवाल तथा मसीहा द्वारा 1964 में तथा क्रियात्मक पक्ष का सिम्पसन द्वारा 1963 में वर्गीकरण प्रस्तुत किया गया।

शिक्षण उद्देश्यों की वर्गिकी का तुलनात्मक अध्ययन

क्रम स.    ज्ञानात्मक पक्ष       भावात्मक पक्ष     क्रियात्मक पक्ष
         (CognitiveDomain)  (Affective Domain) (Conative Domain)
1.       ज्ञान (Knowledge)    ग्रहण करना (Receiving) उद्दीपन (Impulsion)
2. बोध (Comprehension) अनुक्रिया (Responding) कार्य करना (Manipulation)
3. प्रयोग (Application)   अनुमूल्यन (Valuing)   नियंत्रण (Control)
4. विश्लेषण (Analysis)   विचारना (Conceptualization) समन्वय (Co-ordination)
5. संश्लेषण (Synthesis) व्यवस्था  (Organization) स्वभावीकरण (Naturalization)
6. मूल्यांकन     चरित्रीकरण         आदत निर्माण
(Evaluation)    (Characterization)   (Habit Formation)

ज्ञानात्मक उद्देश्य (Cognitive Objectives)- ज्ञानात्मक उद्दश्यों का प्रयोग शैक्षिक क्रियाओं में मुख्य रूप से किया जाता है। इसमें हम उन उद्देश्यों को सम्मिलित करते हैं जिनकी अन्तनिहिता हमारे ज्ञान और तथ्यों के विकास से सम्बन्धित होती है। ब्लूम ने ज्ञानात्मक उद्देश्यों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया है-

ज्ञानात्मक उद्देश्य
(Cognitive Objectives)

(1) ज्ञान (Knowledge)- इस वर्ग के अन्तर्गत छात्रों की स्मरण शक्ति और पहचान करने की मानसिक योग्यता को विकसित किया जाता है। छात्रों के लिए वर्गीकरण, परम्पराओं, नियमों तथा सिद्धान्तों के पहचान को उत्पन्न करने के लिए शैक्षिक परिस्थितियाँ प्रदान की जाती हैं। ज्ञान के अन्तर्गत पाठ्य-वस्तु के निम्नलिखित तीन स्तर होते हैं-
(1) विशिष्ट बातों का ज्ञान,
(2) विशिष्ट तथ्यों एवं साधनों का ज्ञान,
(3) नियमों तथा सिद्धान्तों का ज्ञान।

(2) बोध (Comprehension)-बोध ज्ञानात्मक उद्देश्य के चेन की दूसरी कड़ी है। यह तभी सम्भव है जब ज्ञानरूपी प्रथम कड़ी चेन में लगी हो अर्थात् जिस पाठ्य-वस्तु का ज्ञान प्राप्त हो चुका है, उसी की व्याख्या, अनुवाद व उल्लेख करना बोधात्मक श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। इसके भी तीन स्वर होते हैं-
(1) तथ्यों, नियमों एवं सिद्धान्तों को साधारण भाषा में व्यक्त करना।
(2) पाठ्य-वस्तु की व्याख्या करना।
(3) प्रयोग (Application)- प्रयोग की आवश्यकता, ज्ञान एवं बोध के बाद होती है।

(3) ज्ञान के बाद ही विद्यार्थी में प्रयोग करने का स्तर विकसित होता है। इसके निम्नलिखित तीन चरण होते हैं-
(1) नियमों, साधनों और सिद्धान्तों में सामान्यीकरण करना।
(2) कमजोरियाँ की पहचान करना।
(3) विद्यार्थी द्वारा पाठ्य-वस्तु का प्रयोग करना।

(4) विश्लेषण (Analysis) - इसके लिए ज्ञान, बोध और प्रयोग के उद्देश्यों की प्राप्ति आवश्यक है। इसके बाद ही विश्लेषण के स्तर को प्राप्त किया जा सकता है। इसके भी निम्नलिखित तीन स्तर पाए जाते हैं-
(1) विभिन्न तत्वों का विश्लेषण करना।
(2) तत्वों के आपसी सम्बन्धों का विश्लेषण करना।
(3) तत्वों का व्यवस्थित सिद्धान्तों के रूप में विश्लेषण करना।

(5) संश्लेषण (Synthesis) – संश्लेषण के अन्तर्गत विभिन्न तत्वों को एकत्र करके उन्हें नये रूप में परिवर्तित किया जाता है। इस उद्देश्य के तत्वों को निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया गया है-
(1) तत्वों का विशेष सम्प्रेषण करना।
(2) संश्लेषित तत्वों से नयी योजना का प्रतिपादन करना।
(3) तत्वों के अमूर्त सम्बन्धों का पता लगाना।
(4) संश्लेषित तत्वों से नयी योजना का प्रतिपादन करना।

(6) मूल्यांकन (Evaluation) - ज्ञानात्मक उद्देश्यों के विभिन्न चरणों में मूल्यांकन का अन्तिम स्थान है। मूल्यांकन के अन्तर्गत तथ्यों, नियमों व सिद्धान्तों का आलोचनात्मक प्रस्तुतीकरण किया जाता है। इसके द्वारा निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति का स्तर भी ज्ञात किया जाता है। विश्लेषण, संश्लेषण और मूल्यांकन को R.C.E.M. (Regional College of Education, Mysore) पद्धति में सृजनात्मक (creativity) उद्देश्य के वर्ग में रखा गया है।

शैक्षिक उद्देश्यों तथा अनुदेशनात्मक उद्देश्यों में अन्तर
(Difference between Teaching Objectives and Instructional Objectives)
अनुदेशात्मक (शिक्षण) उद्देश्यों में अन्तर निम्नलिखित हैं-

शैक्षिक उद्देश्य (Teaching Objectives)

1. शैक्षिक उद्देश्यों का निर्धारण दर्शन के द्वारा होता है।
2. शैक्षिक उद्देश्य व्यापक होते हैं।
3. शैक्षिक उद्देश्य एक सामान्य कथन है।
4. विद्यालय के सभी विषयों के शैक्षिक उद्देश्य समान होते हैं।
5. शैक्षिक उद्देश्य का क्षेत्र व्यापक होता है।
6. शैक्षिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सम्पूर्ण विद्यालय कार्यक्रम समाज तथा राष्ट्र उत्तरदायी होता है।
7. शैक्षिक उद्देश्यों में आदर्शवादिता होती है।
8. शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति हो सकती है।
9. शैक्षिक उद्देश्य अनिर्दिष्टन होते हैं।
10. शैक्षिक उद्देश्य कक्षा-कक्ष की शिक्षण नीति को निर्धारित करने में प्रत्यक्षत: सहायक नहीं है।
11. शैक्षिक उद्देश्य अधिगमकर्ता को स्पष्ट शिक्षा निर्देश नहीं प्रदान करते।

अनुदेशात्मक (शिक्षण) उद्देश्य (Instructional Objectives) -

1. अनुदेशात्मक उद्देश्यों का आधार मनोवैज्ञानिक होता है।
2. अनुदेशात्मक उद्देश्य विशिष्ट होते हैं।
3. अनुदेशात्मक उद्देश्य निश्चित कथन है।
4. प्रत्येक विद्यालय विषय के अनुदेशात्मक उद्देश्य विशिष्ट होता है।
5. अनुदेशात्मक उद्देश्य शैक्षिक उद्देश्यों के किसी अंग का निर्माण करते हैं।
6. अनुदेशात्मक उद्देश्य की प्राप्ति का दायित्व शिक्षक तथा पाठ विशेष की विषयवस्तु पर होता है।
7. अनुदेशात्मक उद्देश्यों व्यावहारिकता होती है।
8. अनुदेशात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति सम्भव है।
9. अनुदेशात्मक उद्देश्य विशिष्ट होते हैं।
10. अनुदेशात्मक उद्देश्य कक्षा-कक्ष की शिक्षण नीति को निर्धारित करने में प्रत्यक्षत: सहायक होते हैं।
11. अनुदेशात्मक उद्देश्य अधिगमकर्ता को निश्चित तथा स्पष्ट शिक्षा निर्देश प्रदान करते हैं।

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