शिक्षाशास्त्र >> ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षणईजी नोट्स
|
0 |
बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
2
1. भौतिक विज्ञान शिक्षण के लक्ष्य एवं उद्देश्य
(Aims and Objectives of Teaching Physical Science)
प्रश्न 1. शिक्षण उद्देश्य/लक्ष्य से आप क्या समझते हैं? भौतिक विज्ञान के सामान्य तथा विशिष्ट उद्देश्यों पर प्रकाश डालिये।
अथवा
भौतिक विज्ञान के शिक्षण उद्देश्यों/लक्ष्यों का वर्गीकरण देते हुये इसके विभिन्न प्रकार. बताइए।
1. शिक्षण उद्देश्य का क्या अर्थ है? शिक्षण के प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
2. विभिन्न शिक्षण उद्देश्यों के प्रकार बताइये।
3. माध्यमिक स्तर पर भौतिक विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य बताइए।
4. उच्च माध्यमिक स्तर पर विज्ञान शिक्षण के पाँच उद्देश्यों को लिखिए।
5. माध्यमिक स्तर पर भौतिक विज्ञान शिक्षण के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-लक्ष्य/उद्देश्य का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Aim/Objective)
सामान्य उद्देश्य को संक्षेप में लक्ष्य कहा जाता है। लक्ष्य आदर्श होते हैं, जिनका क्षेत्र असीमित होता है तथा जिनको पूर्ण रूप से प्राप्त करना प्रायः असम्भव होता है। इसकी प्राप्ति के लिए सम्पूर्ण स्कूल, समाज तथा राष्ट्र उत्तरदायी होता है।
हा मानव जीवन सम्पूर्ण प्राणी जगत के मध्य ईश्वर की एक अनुपम कृति है। मनुष्य अपने बौद्धिक व्यवहार के कारण ही प्राणी समुदाय में सबसे उच्च सोपान पर पदासीन है। बौद्धिक उन्नति के कारण ही मनुष्य में सामाजिक व्यक्तित्व का भाव उत्पन्न हुआ है, जो मानव में पशुवत जीवों के व्यवहार की नैसर्गिक प्रवृत्तियों से अलग पहचान प्रदान करता है। सामाजिक दृष्टिकोण से बालक के जन्म उपरान्त मानसिक विकास की व्यावहारिक प्रवृत्तियों को विकसित करने का उत्तरदायित्व पहले माता-पिता और फिर विद्यालय पर होता है। विद्यालय में यह शिक्षा, शिक्षक और पाठ्यक्रम के माध्यम से बालकों को प्रदान की जाती है। इस प्रकार शिक्षण का उद्देश्य मनुष्य के मानसिक व व्यावहारिक विकास से है जो स्वभाविक रूप से सामाजिक मान्यताओं द्वारा प्रेरित होता है जो समय एवं परिस्थितियों में बदलाव के अनुसार परिवर्तित होते रहते हैं। अत: विज्ञान शिक्षण भी सामाजिक परम्पराओं और परिस्थितियों के प्रभाव से अछूता नहीं रहा है। इस प्रकार ज्ञानार्जन उद्देश्यों को दो भागों में बाँटा जा सकता है -
(1) शैक्षिक उद्देश्य (Educational Objectives),
(2) शिक्षण उद्देश्य (Teaching Objectives) या अनुदेशानात्मक उद्देश्य।
(1) शैक्षिक उद्देश्य–वे व्यावहारिक परिवर्तन जो छात्रों में पूर्व नियोजित शिक्षण क्रियाओं के द्वारा विकसित किए जाते हैं, शैक्षिक उद्देश्य के अन्तर्गत आते हैं। इनका स्वरूप विस्तृत तथा प्रकृति दार्शनिक होती है। डेविस के अनुसार, सीखने का उद्देश्य अपेक्षित परिवर्तन की व्याख्या है।
(2) शिक्षण उद्देश्य यह छात्रों के व्यावहारिक ज्ञान में किए गए बदलाव से सम्बन्ध रखता है। इनका आकार शैक्षिक उद्देश्यों की तुलना में संकुचित तथा विशिष्ट होता है और प्रकृति मनोवैज्ञानिक होती है। शिक्षण उद्देश्य शिक्षण विधि के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं।
N.C.E.R.T. के परीक्षा एवं मूल्यांकन विभाग द्वारा शिक्षण उद्देश्य की परिभाषा निम्न प्रकार दी गयी है-
"उद्देश्य वह बिन्दु अथवा अभीष्टि है जिसकी दिशा में कार्य किया जा सकता है, वह व्यवस्थित परिवर्तन है जिसे क्रिया द्वारा प्राप्त करके हम कार्य करते हैं।"
बी.एस. ब्लूम के अनुसार-"उद्देश्य लक्ष्य मात्र नहीं होते जिनकी सहायता से पाठ्यक्रम को निर्मित किया जाता है या अनुदेशन के लिए निर्देशन दिया जाता है, बल्कि यह मूल्यांकन की प्रक्रिया के विशिष्टीकरण में भी सहायक होते हैं।"
इस प्रकार शिक्षण उद्देश्य से आशय विद्यार्थी की इच्छानुसार उसके व्यवहार में किए गए परिवर्तन से है।
विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य, व्यवहार में ऐच्छिक परिवर्तन हैं जोकि विद्यार्थी में उत्पन्न किये जायेंगे।
दूसरे शब्दों में समझाया जा सकता है कि शैक्षणिक लक्ष्य व्यावहारिक पद में सुनिश्चित अधिगम विशिष्टीकरण है। यह यथार्थ रूप में अभिव्यक्त करता है कि अनुदेशन प्राप्त करने के उपरान्त विद्यार्थी कितना करने में समर्थ होंगे।
उदाहरण- यदि किसी विद्यार्थी को समाचार-पत्र से लिये गये किसी ग्राफ के अंश को पहचानने या उससे सम्बन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिये कहा जाये तो वह उसका सही उत्तर देता है।
माध्यमिक स्तर पर भौतिक विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य (Objectives of Teaching Physical Science at Secondary Level)-
माध्यमिक स्तर पर भौतिक विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य इस प्रकार हैं-
(1) छात्रों में पर्यावरण एवं प्रकृति के प्रति रुचि का विकास करना।
(2) भौतिकी में प्रेक्षण, खोजने और स्वयं करो की आदतों का विकास करना।
(3) छात्रों में कलात्मक एवं आविष्कार करने की प्रवृत्ति का विकास करना।
(4) वैज्ञानिक तथ्यों के उपयोग की क्षमता का विकास करना।
(5) छात्रों में तथ्यों को समझने की बुद्धि का विकास करना।
(6) समस्याओं को वैज्ञानिक तरीकों द्वारा हल करने का विकास करना।
(7) भौतिकी के सामाजिक उपयोग समझना।।
(8) भौतिकी से सम्बन्धित शौक एवं खाली समय में इससे सम्बन्धित क्रियाओं को करने का विकास करना।
(9) दिल बहलाने के लिए वैज्ञानिक क्रिया-कलापों में रुचि विकसित करना।
(10) हमारी जीवन-शैली पर विज्ञान के प्रभाव की जानकारी विकसित करना।
(11) वैज्ञानिकों तथा उनकी खोजों की कहानियाँ सुनकर बालकों को भौतिकी की ओर प्रेरित करना।
(12) छात्रों में ज्ञान प्राप्ति तर्कपूर्ण चिन्तन, निष्कर्ष निकालना, निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना।
शिक्षण उद्देश्यों के प्रकार (Types of Teaching Objectives)-
शिक्षण उद्देश्यों को दो भागों में बाँटा गया है-
(1) सामान्य उद्देश्य (General Objective)
(2) विशिष्ट उद्देश्य (Specific Objective)
(1) सामान्य उद्देश्य (General Objective)-शिक्षण के सामान्ल वेश्यों को संक्षेप में लक्ष्य भी कहा जाता है। ये शिक्षण कार्य से पूर्णत: सम्बन्धित हाते हैं तथा इनका कार्यक्षेत्र भी विस्तृत होता है। इनकी सफलता प्रत्यक्ष रूप से समाज और स्कूल के शैक्षिक वातावरण पर निर्भर करता है।
उदाहरण (Example) (1) बालक की तर्क-शक्ति का विकास करना।
(2) विज्ञान की विभिन्न समस्याओं का आलोचनात्मक चिन्तन करना।
(3) विद्यार्थी के जीवन में व्यावहारिक परिवर्तन करना।
(4) विद्यार्थी में सृजनात्मक सोच का विकास करना।
(5) परिस्थिति के अनुसार शिक्षा पद्धति में परिवर्तन करना।
(2) विशिष्ट उद्देश्य (Specific Objective) विशिष्ट उद्देश्यों का स्वरूप संकुचित होता है। ये पाठ्यवस्तु के प्रत्ययों और सिद्धान्तों तक ही सीमित होते हैं। इनका प्रयोग शिक्षण कार्यों के अतिरिक्त छात्रों के बौद्धिक मूल्यांकन के लिए भी किया जाता है।
उदाहरण (Example)-
(1) ठोस, द्रव व गैस की प्रकृति का अध्ययन करना।
(2) विद्युत, चुम्बक व उत्तोलक आदि का अध्ययन करना।
(3) धातु गर्म होने पर फैल जाती है।
(4) बालक द्वारा किसी विशेष चित्र की पहचान करना।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book