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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 1. उद्देश्य तथा प्राप्य उद्देश्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

अथवा
लक्ष्य एवं उद्देश्य में क्या अन्तर है?

उत्तर-उद्देश्य और प्राप्य उद्देश्य अथवा लक्ष्य एवं उद्देश्य
(Aims and Objectives)

सामान्य बोलचाल में उद्देश्य तथा लक्ष्य शब्दों को एक ही अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है परन्तु वास्तविक रूप में दोनों में अंतर है।

उद्देश्य तथा लक्ष्य की व्याख्या के आधार पर व्याख्या करने पर हम पाते हैं कि उद्देश्य शब्द 'उत' + 'दिश' तथा 'य' शब्द से मिलकर बना है जिसका कार्य है—'उच्च दिशा की और' और लक्ष्य लक्षित' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है जो लक्षित है अर्थात् किसी एक विशेष बिन्दु की ओर लक्षित होना (अग्रसर होना) या केन्द्रित होना। इसको समझने के लिए अर्जुन द्वारा चिड़िया कीआँख का लक्ष्य भेदन सही एवं उपयुक्त उदाहरण है।

उद्देश्य वह माध्यम है जिसकी सहायता से लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकती है। अपने अन्तिम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति या समाज उससे सम्बन्धित क्रियाओं को छोटी-छोटी क्रियाओं में विभाजित। कर लेता है और क्रमानुसार इन छोटी-छोटी क्रियाओं को पूरा करता जाता है और अन्त में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपनाई गई छोटी-छोटी क्रियायें ही उद्देश्य कहलाती हैं। NCERT के परीक्षा एवं मूल्यांकन दस्तावेज के अनुसार-उद्देश्य वह बिन्दु है जिसकी दिशा में कार्य किया जाता है। एक सुनियोजित परिवर्तन है जिसे किसी क्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है तथा जिसके लिए हम कार्य करते हैं।

उद्देश्य या लक्ष्य तथा प्राप्य उद्देश्य में अन्तर
(Difference between Aims and Objectives)

अधिकाशत: लक्ष्य तथा उद्देश्यों समान अर्थ में समझा जाता है जोकि केवल प्रेम मात्र ही है। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम गलत धारणा को दूर कैसे किया जाये। एक लक्ष्य की प्राप्ति हेतु कई उद्देश्यों की प्राप्ति करनी होती है। इस प्रकार एक विशेष लक्ष्य के कई उद्देश्य हो सकते हैं। अत: उद्देश्य भौतिक शिक्षण के व्यापक लक्ष्यों पर ही आधारित होते हैं तथा छात्रों में वांछनीय व्यवहारगत परिवर्तन लाने में सहायक होते हैं। दोनों के अन्तर को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है।

उद्देश्य या लक्ष्य (Aims)    प्राप्य उद्देश्य (Objectives)
1. लक्ष्यों या क्षेत्र व्यापक (Borader) और असीमित होता है। 1. इनका क्षेत्र संकुचित (Marroures) और सीमित होता है।
2. इनकी अवधि दीर्घाकलीन होती है।
2. इनकी अवधि अल्पकालीन या तात्कालिक होती है।
3. लक्ष्य अस्पष्ट तथा अनिश्चित होते हैं। 3. ये स्पष्ट तथा निश्चित होते हैं।
4. इनकी प्राप्ति में विद्यालय समाज तथा सम्पूर्ण राष्ट्र जिम्मेदार होता है।
4. इनकी प्राप्ति की जिम्मेदारी प्राय: शिक्षक की होती है।
5. इनकी प्राप्ति का मापन एवं मूल्यांकन सम्भव नहीं हैं।
5. इनका मापन व मूल्यांकन किया जा सकता है।

6. इनका सम्बन्ध शिक्षा तथा भविष्य से होता है।
6. यह शिक्षा में निहित होते हैं तथा शिक्षण से सम्बन्धित होते हैं। इनका सम्बन्ध किसी विशेष प्रकरण से ही होता है।
7. इनका स्रोत समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र तथा सम्पूर्ण शिक्षाशास्त्र होता है।  
7. इनका स्रोत मुख्यत: मनोविज्ञान होता है।
8. इनमें उद्देश्य समाहित होते हैं।
8. जबकि ये लक्ष्य का ही एक भाग होते हैं।
9. इनमें व्यक्तिनिष्ठता होती है।
9. इनमें वस्तुनिष्ठता होती है।
10. ये प्रत्येक समाज व राष्ट्र की आवश्यकतानुसार परिवर्तनशील होते हैं।
10. ये निश्चित होते हैं तथा प्रत्येक विषय के लिए भिन्न-भिन्न होते हैं।

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