प्रश्न 1. भौतिकी प्रयोगों में सस्ते सामानों का उपयोग बताइये।
अथवा
भौतिक विज्ञान शिक्षण में सस्ते सामानों का प्रयोग।
अथवा
स्वनिर्मित उपकरणों का उपयोग।
उत्तर-भौतिकी प्रयोगों में सस्ते सामानों का उपयोग
(Use of less-cost Material in Physical Experiments)
बहुत से सस्ते पदार्थ हैं जो आसानी से प्राप्त हो जाते हैं, जिनकी सहायता से
बहुत से भौतिकी के प्रयोग बड़ी आसानी से हो सकते हैं। वास्तव में बहुत से भौतिक
प्रयोग त्यागी (बेकार) गई वस्तुओं से भी आसानी से किये जा सकते हैं। इसलिए एक
जानकार भौतिकी शिक्षक के पास बेकार वस्तुओं या कूड़े को रखने का बाक्स उसकी
प्रयोगशाला में होता है और वह इस एकत्रित कूड़े से छात्रों को प्रयोग करके
दिखाता है तथा छात्रों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करता है।
सहायता से प्राप्त पदार्थ जो भौतिकी के प्रयोगों में प्रयुक्त होते हैं। वे हैं
रबड-बैण्ड, गुब्बारा, टीन के डिब्बे, प्लास्टिक की वस्तुएँ, लकड़ी के तख्ते,
पतली लकड़ियाँ, सरकण्डे, बाल पैन, रिफिल, ब्लेड, धागे (बेकार), सैल, माचिस
बक्स, बटन, प्लास्टिक के ब्रुश, साइकिल के बाल, लोहे की पत्तियाँ आदि। . ये सभी
सामान छात्रों के भौतिकी प्रयोगों के लिए लाभदायक रूप से उपयोग किये जा सकते
हैं। छात्र इन पदार्थों से प्रयोग कर सकते हैं और उनका उपयोग करते हुए भौतिकी
प्रयोगों को सीख सकते हैं।
विभिन्न प्रकार के पदार्थों, जो भौतिकी प्रयोग के लिए उपयोगी हैं उनमें
निम्नलिखित गुण होने चाहिए-
(1) पदार्थ सस्ता हो,
(2) पदार्थ सहजता से मिल सके,
(3) पदार्थ आसानी से उपयोग किया जा सकता हो,
(4) पदार्थ की प्रायोगिक व्यवस्था छात्रों द्वारा आसानी से हो जाये,
(5) ऐसे पदार्थ जो प्रयोग करते समय छात्रों में चिन्तन पैदा करे।
इस प्रकार सस्ते पदार्थों का उपयोग करके निम्नलिखित क्रियाएँ की जा सकती हैं
जोकि भौतिक प्रयोगों के अच्छे उदाहरण हैं-
(1) गुरुत्व केन्द्र वाले खिलौनों का निर्माण।
(2) स्थिरता के लिए शर्त का परीक्षण करना।
(3) स्थिर वैद्युत को गुब्बारे द्वारा उत्पन्न करना।
(4) हवा में भार होता है, को प्रयोग द्वारा सत्यापित करना।
(1) गुरुत्त्व केन्द्र वाला खिलौना (Centre of Gravity toy)- एक छोटी पेंसिल का
टुकड़ा लो (लगभग 5 cm) लम्बाई के सापेक्ष उसके केन्द्र के पास परकार की नोंक से
उसे भेदित करो। इसी प्रकार उसके सम्मुख दूसरी प्रकार की सुईं भेदित करो। पेंसिल
का उसकी नोंक द्वारा अपनी अंगुली पर सन्तुलित करो, पेंसिल सीधे प्रकार से
सन्तुलित हो जायेगी क्योंकि इस सिस्टम की C.G. परकार के द्वारा कम हो जाती है।
(2) स्थिरता के लिए शर्त (Condition for stability)- माचिस की तीलियों एवं सेलो
टेप की सहायता से चतुर्भुज की आकृति बनाओ। इसके विकर्णों पर भी तीलियाँ लगाइए।
अब जहाँ पर दोनों विकर्ण एक-दूसरे को काटते हैं। उस बिन्दु पर ऊर्ध्वाधर एक
तीली लगाओ जो समानान्तर चतुर्भुज की C.G. (गुरुत्व केन्द्र) से गुजरती हो। अत:
इस ऊर्ध्वाधर तीली के मध्य में एक कलैम्प लगाते हैं जिसमें एक धागा बँधा होता
है। इस धागे के दूसरे छोर पर कुछ भार लटका देते हैं। यह व्यवस्था प्लम लाईन की
तरह कार्य करती है। अब तीलियों से बने समान्तर चतुर्भुज की संरचना को इस तरह
झुकाओ कि प्लम लाईन इस संरचना के आधार तक आ जाये और अब उसे छोड़ दें तो वह
संरचना वापस पुनः अपनी पुरानी स्थिति में लौट आती है। जब इस संरचना को इतना
अधिक झुकाया जाता है कि प्लम लाईन उसके आधार से बाहर चली जाये तो यह संरचना
लुढ़ककर कर गिर जाती है।
(3) पुआल अथवा नरई से बना बाजा (Straw Saxophone)- एक पुआल लेकर उसके . एक सिरे
को बार-बार दबाकर चपटा कर लो। अब इस चपटे किये हुए सिरे को 1 cm तक तिरछा काट
दो ताकि उसकी नोंक बन जाये। अब उसकी नोंक को बार-बार दबाओ ताकि वह नरम हो जाये।
इस नोंक को अपने मुँह में लेकर फूंक मारने पर ध्वनि सुनाई देगी। यदि हम इस पुआल
की लम्बाई कम कर दें तो ध्वनि की तीव्रता बदल जायेगी।
(4) गुब्बारे द्वारा स्थिर वैद्युत (Electrostatic from Baloon)- फूले हुए
गुब्बारे को एक गर्म कपड़े से रगड़ने के बाद दीवार के समीप ले जाने पर वह उससे
चिपक जाता है क्योंकि उसमें स्थिर वैद्युत आकर्षण उत्पन्न हो जाता है।
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