शिक्षाशास्त्र >> ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षणईजी नोट्स
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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न 3. भौतिक विज्ञान शिक्षण में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख आशुरचित
उपकरणों का वर्णन करते हुये इनकी उपयोगिता बताइये।
अथवा
आशुरचित उपकरणों को समझाते हुये इनके प्रमुख महत्व को बताइये।
1. आशुरचित उपकरणों का वर्णन कीजिये।
2. आशुरचित उपकरण क्या है? भौतिक विज्ञान शिक्षण में प्रमुख उपकरणों को
बताइये।
3. आशुरचित उपकरण के महत्व को समझाइये।
उत्तर - भौतिक विज्ञान शिक्षण में प्रयुक्त होने वाले कुछ साधारण उपकरणों का
विवरण निम्नलिखित है -
1. सरल कमानीदार तुला (Simple Spring Balance) - इसे बनाने में निम्नलिखित
सामग्री का उपयोग होता है -
1. एक पुराना टीन का डिब्बा
2. एक फुट लम्बा लकड़ी का टुकड़ा
3. एक प्लाई का टुकड़ा
4. कीलें
5. धागा
6. रबर का छल्ला
बनाने की विधि - एक पुराने डिब्बे के ढक्कन में तीन या चार छेद करके उनमें
डोरियाँ डालकर चित्र के अनुसार एक पलड़ा बनाते हैं और इस पलड़े को रबर के छल्ले
की सहायता से एक कील से लटका देते हैं। अलग-अलग भार के बाँट रखकर पलड़े तक
पहुँचने वाली दूरी तक चिन्ह अंकित कर देते हैं। इस प्रकार साधारण कमानीदार तुला
तैयार हो जाती है जिसमें बिना बाँटों की सहायता से किसी भी छोटी वस्तु का भार
ज्ञात कर सकते हैं। इस तुला से अधिक काम लेने से तथा मौसम का ध्यान रखने से इस
पर प्रभाव पड़ता है। यदि रबर के छल्ले के स्थान पर एक अच्छे किस्म की स्प्रिंग
प्रयोग में ली जाए तो तुला अधिक समय तक काम में ली जा सकती है और इस पर मौसम का
भी प्रभाव नहीं पड़ता है।
2. साधारण वायुदाब मापी (A Simple Barometer)-
आवश्यक सामग्री- इसे बनाने में निम्नलिखित सामग्री का उपयोग होता है-
1. काँच
2. पारा
3. स्याही की खाली दवात
4. रबर की पत्ती
5. मोम
6. कॉर्क
बनाने की विधि - सर्वप्रथम एक 80 सेमी. लम्बी काँच की नली लेकर उसका एक सिरा
गर्म करके बन्द कर देते हैं। इसमें सावधानी से पारा डालकर हिलाते हैं ताकि हवा
के बुलबुले आदि निकल जाएँ। एक स्याही की खाली दवात लेकर उसमें 2-3 सेमी. ऊँचाई
तक पारा भर देते हैं। नली का मुँह रबर की पत्ती से अच्छी तरह बन्द करके स्याही
की दवात में उलट देते हैं। उसके बाद रबर की पत्ती को पारे की नली में डुबा देते
हैं। इसके बाद एक कॉर्क जिसमें पहले से ही एक छोटी नली लगी है उसे अच्छी तरह
शीशी के मुंह पर लगाकर मोम की सहायता से बन्द कर देते हैं। नली के पारे को स्तर
की ऊँचाई वायुदाब को प्रदर्शित करती है। काँच पर लिखने वाली पेन्सिल से नली पर
1 से 80 सेमी. तक के चिन्ह लगाकर पैमाना बनाते हैं जिसकी सहायता से वायुदाब
पढ़ा जा सके। दवात को लोहे के खाली डिब्बे में रखकर सुरक्षित भी किया जा सकता
है।
इस बैरीमीटर से एक प्रयोग यह भी है कि कार्क में लगी हुई दूसरी नली द्वारा
दाबान्तर करके भी विद्यार्थियों को बताया जा सकता है।
तुला (Spring Balance) - इसे लिखित सामग्री का उपयोग होता है -
1. लकड़ी की तख्ती
2. कीलें
3. डिब्बे का ढक्कन
बनाने की विधि - सर्वप्रथम एक पुराने सोफा सेट से निकले हुये स्प्रिंग को एक
लकड़ी की तख्ती पर कीलों से गाड़ देते हैं और उसके ऊपर किसी प्लेट या डिब्बे के
ढक्कन को टांका लगा कर स्थिर कर देते हैं। इसके बाद एक भुजा पर 100-100 ग्राम
के निशान लगा देते हैं। इस प्रकार एक सुविधाजनक तुला तैयार हो जाता है।
4. साधारण ग्रामोफोन (Simple Recorder) - इसे बनाने में निम्नलिखित सामग्री का
उपयोग होता है -
1. एक डिस्क
2. कीलें
3. कार्ड बोर्ड
4. माचिस की खाली डिब्बी
5. एक स्टैण्ड
बनाने की विधि - सर्वप्रथम एक रिकार्ड डिस्क को लेते हैं फिर उसमें एक कील को
इस प्रकार से व्यवस्थित करते हैं कि कार्ड बोर्ड पर वह आसानी से घूमता रहे।
इसके बाद माचिस की खाली डिब्बी लेकर उसमें रिकार्ड की सुई चित्रानुसार लगा देते
हैं और इसे एक स्टैण्ड पर व्यवस्थित कर देते हैं। रिकार्ड को घुमाकर डिब्बी में
लगी सुई को रिकार्ड पर लगा देते हैं। डिब्बी से रिकार्ड की धीमी व मधुर आवाज
सुनाई देती है जो ग्रामोफोन के बोलने वाले भाग को प्रदर्शित करती है। अत: इस
उपकरण पर ग्रामोफोन रिकार्ड के स्थान पर अन्य कार्ड बोर्ड का टुकड़ा घुमाकर इसे
स्पष्ट किया जा सकता है कि रिकार्ड में व्यवस्थित स्वर कार्ड बोर्ड में
अव्यवस्थित आवाज के रूप में सुनाई देती है। इसका कारण यह है कि रिकार्ड में
आवाज की धुन व्यवस्थित करके बनाई जाती है।
5. एनिराईड बैरोमीटर (Aneroid Barometer) - इसे बनाने में निम्नलिखित सामग्री
का उपयोग होता है -
1. एक फाऊन्टैन पेन
2. खाली बोतल
3. एक रबड़ का टुकड़ा
4. पतली लकड़ी का टुकड़ा
5. फैवीकोल
6. स्केल
बनाने की विधि - सर्वप्रथम एक फाऊन्टैन पेन की स्याही की खाली बोतल या शीशे के
जार के मुँह पर एक पतले रबड़ का टुकड़ा लगा देते हैं। कार्क के निचले सिरे से
एक छोटा गोल टुकड़ा काटकर रबड़ के केन्द्र में जोड़ देते हैं। फिर कार्क के साथ
एक पतली लकड़ी का टुकड़ा सरेस या फैवीकोल से जोड़ देते हैं। एक और लकड़ी की
छोटी-सी तिकोन काट कर बोतल के सिरे के साथ इस प्रकार जोड़ देते हैं कि उस पर
बड़ी लकड़ी का टुकड़ा टिक सके। लकड़ी के सिरे पर स्केल जोड़ देते हैं। इस
प्रकार एनिराईड बैरोमीटर तैयार हो जाता है।
6. स्प्रिट लैम्प (Spirit Lamp) - आवश्यक सामग्री- ढक्कन सहित स्याही की खाली
दवात, पुरानी सूती कपड़ा अथवा धागा, टीन की कटी हुई पत्ती (जिसे टीन के डिब्बे
को खोलकर काटा जा सकता है) रेती, कील, टीन काटने की कैंची, हथौड़ी इत्यादि।
विधि-दवात के ढक्कन के बीचोंबीच एक कील की सहायता से छेद कर लेते हैं। इस छेद
की रेती की सहायता से गोल और चौड़ा कर लेते हैं। फिर इसमें टीन की कटी हुई
पत्ती को मोड़कर एक छोटी-सी नली लगाते हैं जो उसमें बिल्कुल ठीक बैठ जाये। इस
नली को ढक्कन के छेद के लगभग 2.5 से.मी. भीतर रखते है तथा 1 से.मी. ऊपर निकली
रहने देते हैं। अब इसको टाँका लगाकर जोड़ दिया जाता है। फिर इसमें सूती कपड़े
अथवा धागों की बत्ती बँटकर डाल दी जाती है। इतना सब कुछ करने के पश्चात् ढक्कन
दवात पर चढ़ा देते हैं। जब स्प्रिट लैम्प काम में लाना होता है तो ढक्कन को
खोलकर स्प्रिट भरकर काम में लाते हैं।
आशुरचित उपकरणों की उपयोगिता
(Utility of Improvised Apparatus)
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