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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 2. पाठ-योजना के विभिन्न उपागमों का वर्णन कीजिये।

उत्तर-पाठ-योजना के उपागम
(Approaches of Lesson Plan)

वर्तमान समय में पाठ योजना के विभिन्न उपागम प्रचलन में है जिसका उपयोग शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थाओं में शिक्षण अभ्यास के लिए किया जा रहा है-

1. हरबर्ट का पंचपदीय उपागम (Herbaritian five steps approach)- यद्यपि जे. एस. हरबर्ट ने पाठ-योजना का जो प्रारूप बनाया था उसमें चार पद—स्पष्टता, सम्बन्ध व्यवस्था तथा विधि बनाए थे। बाद में उनके शिष्यों ने संशोधन करके निम्नलिखित पांच पद निर्मित किए -

(1) (क) प्रस्तावना,
(ख) उद्देश्य कथन।
(2) प्रस्तुतीकरण,
(3) तुलना, (4) सामान्यीकरण,
(5) प्रयोग।

2. ब्लूम का मूल्यांकन उपागम—यह उपागम ब्लूम की टेक्सोनामी पर आधारित है। इस उपागम की पाठ-योजना शिक्षण लक्ष्यों को प्राथमिकता दी जाती है। शिक्षक की समस्त शिक्षण क्रियाएँ शिक्षण लक्ष्यों की प्राप्ति पर केन्द्रित होती हैं। इसके प्रमुख सोपान निम्न हैं-

(1) शिक्षण लक्ष्यों का निर्धारण,
(2) अधिगम अनुभव प्रदान करना,
(3) व्यवहार परिवर्तन का मूल्यांकन करना,

3. डी. वी. एवं किलपैट्रिक का योजना उपागम-जॉन डीवी ने अपने उपागम में स्वयं क्रिया तथा योजना पद्धति पर विशेष बल दिया। इनके अनुसार, विद्यार्थी स्वयं करके अनुभव द्वारा अधिक सीखता है।

किलपैट्रिक, डीवी के शिष्य थे इसके अनुसार, योजना इच्छा से किया जाने वाला वह उद्देश्य पूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण द्वारा सम्पन्न किया जाता है। इनकी योजना के पद निम्नवत् हैं-

(1) परिस्थिति उत्पन्न करना,
(2) योजना का चुनाव करना,
(3) रूपरेखा तैयार करना,
(4) कार्यक्रम को क्रियान्वित करना,
(5) कार्य का मूल्यांकन करना,
(6) कार्य का प्रतिवेदन तैयार करना।

4. मॉरीसन उपागम - शिकागो विश्वविद्यालय फोर्निया को प्रो. एच. सी. मॉरिसन ने सन् 1926 ई. में इस उपागम का निर्माण किया। इन्होंने विषय-वस्तु को कई इकाइयों में बाँटकर शिक्षण करने को महत्व दिया इसके शिक्षण पद निम्नवत् हैं-

(1) खोज, (2) प्रस्तुतीकरण, (3) आत्मीकरण, (4) संगठन, (5) वाचन।

5. अमेरिकन उपागम यह उद्देश्य, व्यवहार तथा मूल्यांकन का प्रमुख उपागम है। इस उपागम में पाठ्य-वस्तु के उद्देश्यों को निर्धारित, परिभाषित, करके शिक्षण की विधियों, प्रविधियों, युक्तियों तथा श्रव्य-दृश्य सामग्री के प्रयोग द्वारा ऐसी परिस्थितियों के निर्माण पर बल दिया जाता है कि कक्षा शिक्षण के सभी विद्यार्थी सक्रिय रूप से भाग लें।

6. ब्रिटिश उपागम–अमेरिकन उपागम की भाँति ब्रिटिश उपागम में भी पाठ्यवस्तु तथा विद्यार्थी महत्त्वपूर्ण हैं किन्तु रूढ़िवादी देश होने के कारण वहाँ की स्थिति अभी भी शिक्षक प्रधान ही है। इस उपागम में पाठ-योजना बनाते समय शिक्षक की क्रियाओं तथा विद्यार्थियों के निष्पत्ति परीक्षण द्वारा मूल्यांकन पर विशेष बल दिया जाता है।

7. आर. सी. ई. एम. उपागम—पाठ-योजना का यह उपागम रीजनल कॉलेज आफ एज्यूकेशन, मैसूर के डॉ. दबे द्वारा सन् 1961 ई. में विकसित किया गया। यह अधिक व्यावहारिक उपागम है इसमें उद्दीपन अनुक्रिया की अपेक्षा मानसिक क्रियाओं को अधिक महत्त्व दिया गया है। इसके अन्तर्गत शिक्षण के चार लक्ष्यों-ज्ञानात्मक, बोधात्मक, प्रयोगात्मक तथा सृजनात्मक को निर्धारित किया गया है।

8. एन.सी.ई.आर.टी. उपागम प्रो. एच. आर. श्री वास्तव तथा जे. पी. सूरी ने इस पाठ-योजना को विकसित किया। इन्होंने स्कूल विषयों के शैक्षिक लक्ष्यों को ही अपनाया।

—ज्ञानात्मक पक्ष के ज्ञान अवबोध

–अनुप्रयोगात्मक पक्ष के अनुप्रयोग इसमें विश्लेषण, संश्लेषण, मूल्यांकन तीन अन्तर्निहित हैं।

-इसके अतिरिक्त भावात्मक पक्ष के रुचि, अभिवृत्ति तथा मनोशारीरिक पक्ष के कौशल लक्ष्यों को निर्धारित किया है।

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