शिक्षाशास्त्र >> ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षणईजी नोट्स
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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न 2. इकाई योजना से आप क्या समझते हैं? इकाई योजना के सिद्धान्त
बताते हुये इसकी प्रमुख विशेषताओं तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
इकाई योजना का अर्थ स्पष्ट करते हुये इसकी प्रमुख विशेषताओं तथा महत्व का
उल्लेख कीजिए। इसके सिद्धान्त भी समझाइये।
अथवा
इकाई योजना' क्या है? पाठ-योजना के प्रमुख तत्वों का विस्तृत विवरण दीजिए।
1. इकाई योजना का अर्थ बताइए।
2. इकाई योजना के सिद्धान्त बताइए।
3. इकाई योजना की विशेषताएँ लिखिए।
4. इकाई योजना का महत्व लिखिए।
उत्तर-इकाई योजना का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Unit Plan)
इकाई प्रविधि का सर्वप्रथम विकास एच. सी. मॉरीसन ने किया। यह प्रविधि गैस्टाल्ट
मनोविज्ञान के सिद्धान्तों पर आधारित मानी जाती है। इकाई प्रविधि 20वीं शताब्दी
की देन है। सन् 1920 से 1935 के मध्य इसके अनेक रूप सामने आये, किन्तु इसका
व्यापक प्रयोग सन् 1929 के बाद ही हुआ। इकाई योजना का विकास एच. सी. मॉरीसन ने
किया परन्तु इकाई शब्द को लाने का श्रेय हरबर्ट महोदय को जाता है।
साधारण अर्थ में दैनिक पाठों के योग को ही इकाई के नाम से जाना जाता है। जिस
प्रकार दैनिक पाठ योजना में एक शीर्षक पद्धति के लिए 35 मिनट के कालांश हेतु
पाठ योजना निर्मित करते हैं, उसी प्रकार पूरे अध्याय की एक योजना बनायी जाती है
जिसमें यह इंगित किया जाता है कि पूरे अध्याय में कितने शीर्षकों के अन्तर्गत
कितने कलांशों में तथा कौन से दिन पढ़ाना है। इसे इकाई योजना के नाम से जाना
जाता है।
इकाई योजना शिक्षक द्वारा इकाई की विषय-वस्तु को कक्षा में प्रस्तुत करने की
क्रमबद्ध तैयारी है। शिक्षक किसी निश्चित क्रम में इकाई की विषय-वस्तु को कक्षा
में प्रस्तुत करने का मानस बनाता है। इस विषय-वस्तु को क्रमबद्ध रूप में
प्रस्तुत करने की कार्य-योजना और इसको उप-इकाइयों के रूप में प्रस्तुत किया
जाना ही इकाई योजना है। अत: उप-इकाइयों का एकीकृत प्रस्तुतीकरण ही इकाई योजना
है। प्रभावी अधिगम अनुभवों के सृजन के लिए अपेक्षित शिक्षक-शिक्षार्थी क्रियाओं
की क्रमबद्ध व्यवस्था की रूपरेखा इकाई योजना में सम्मिलित है।
विज्ञान शिक्षण के लिए इकाई पाठ-योजना एक महत्वपूर्ण धारणा (Concept) है
क्योंकि विज्ञान नियमों व सिद्धान्तों का विषय है। अत: इसके प्रभावी अध्यापन के
लिए विषय-वस्तु को परस्पर सम्बन्धित तथा क्रमबद्ध करना चाहिए। इकाई पाठ-योजना
के अन्तर्गत समान प्रकार की पाठ्य-वस्तु को एक इकाई के रूप से पढ़ाया जाता है।
इसमें प्रत्येक भाग इकाई का ही पाठ होता है। इस तरह मनोवैज्ञानिक रूप से समान
प्रकार की विषय-वस्तु होने के कारण छात्रों को आसानी से समझ में आ जाती है।
इकाई पाठ-योजना की सफलता विज्ञान शिक्षक के विज्ञान शिक्षण की आधुनिकतम विधियों
और विषय के ज्ञान पर निर्भर करती है। इकाई पाठ-योजना को निम्न प्रकार से
परिभाषित किया जा सकता है-
हिन्ना हेगमन व पोस्टर के अनुसार "इकाई को उद्देश्यपूर्ण सीखने के अनुभव के रूप
में परिभाषित किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण सामाजिक ज्ञान की ओर संकेत करती
है जो सीखने वाले के व्यवहार में सुधार लाती है तथा उसे जीवन की परिस्थितियों
में प्रभावशाली ढंग से समायोजन करने के योग्य बनाती है।"
"इकाई, शिक्षण के उद्देश्य के लिए वांछित सामग्री को सुव्यवस्थित करने का एक
साधन है जो कि महत्वपूर्ण विषय-सामग्री अर्थात् जिसमें छात्र शारीरिक व मानसिक
क्रियाओं के माध्यम से सीखने की क्रियाओं में संलग्न रहते हैं, का प्रयोग करती
है तथा उनके व्यवहार में उस सीमा तक सुधर लाती है जिससे कि वे नवीन समस्याओं
एवं परिस्थितियों का अधिक कुशलता से सामना कर सके।"
इकाई योजना की विशेषताएँ
(Characteristics of Unit Plan)
इकाई योजना की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -
1. इकाई योजना की व्यवस्था उद्देश्यों की प्राप्ति की दृष्टि से होती है।
मॉरीसन का कथन है कि इकाई योजना की क्रियाओं की व्यवस्था इस प्रकार होनी चाहिए
जिससे उद्देश्यों का बोध स्पष्ट रूप से हो सके। शिक्षक को अपनी क्रियाओं के
उद्देश्यों की जानकारी हो सके।
2. इकाई योजना का स्वरूप बोधगम्य तथा व्यापक होता है।
3. इकाई योजना में सार्थक क्रियाओं का एकीकरण इस प्रकार किया जाता है कि
सम्पूर्ण व्याख्या हो सके।
4. इकाई योजना क्रियाओं से आरम्भ करने तथा समाप्त करने के स्थलों की जानकारी
होती है।
5. अच्छी इकाई योजना में विविध प्रकार की सभी शिक्षक क्रियाओं को सम्मिलित किया
जाता है।
6. इकाई योजना मूल्यांकन के लिए आधार प्रस्तुत करती है।
7. एक अच्छी इकाई योजना धन, शक्ति और समय की दृष्टि से मितव्ययी होती है।
8. इकाई योजना में छात्र-शिक्षक में पूर्ण सहयोग का अवसर प्रदान किया जाता है।
समुचित पुनर्बलन युक्तियों को भी सम्मिलित किया जाता है।
9. इकाई योजना का स्वरूप सैद्धान्तिक न होकर व्यावहारिक होता है। जिससे शिक्षक
समुचित अधिगम परिस्थितियों को उत्पन्न कर सकते हैं।
इकाई योजना के सिद्धान्त
(Principles of Unit Plan)
इकाई योजना के निम्नलिखित सिद्धान्त होते हैं -
1. उद्देश्य निर्धारण का सिद्धान्त (Principle of Determining Objectives) -
अध्यापक को इकाई योजना का विकास निर्धारित शिक्षण के उद्देश्यों के आधार पर ही
करना चाहिए।
2. व्यापकता का सिद्ध (Principle of Comprehensiveness) - अध्यापक को इकाई
योजना का निर्माण करते समय विषय-वस्तु से सम्बन्धित सभी पक्षों पर ध्यान देना
चाहिए कि महत्वपूर्ण पक्ष न रह जाये इसलिए व्यापकता के सिद्धान्त का अनुपालन
किया जाता है।
3. व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धान्त (Principle of Individual Difference) -
अध्यापक को इकाई योजना का निर्माण करने से पहले विद्यार्थियों की व्यक्तिगत
विभिन्नताओं जैसे - योग्यताएँ, क्षमतायें, रुचियों, आवश्यकताएँ आदि को पहले से
ध्यान में रखना चाहिए। उसी के आधार पर पाठ्य सम्बन्धित शिक्षण क्रियाओं एवं
शिक्षण युक्तियों को प्रयोग में लाना चाहिए क्योंकि आज शिक्षा बाल केन्द्रित हो
गयी है।
4. अधिगम सिद्धान्तों पर आधारित (Based on Principle of Learning) - किसी भी
इकाई योजना का निर्माण किसी भी आयाम के आधार पर हो परन्तु वह इकाई योजना अधिगम
सिद्धान्तों के आधार पर ही होनी चाहिए जैसे - तत्परता का नियम, अभ्यास का नियम,
प्रभाव का नियम, उद्दीपन अनुक्रिया का नियम आदि।
5. लोच का सिद्धान्त (Principle of Flexibility) - अध्यापक द्वारा शिक्षण से
पूर्व निर्मित इकाई योजना ऐसी होनी चाहिए जिसमें कक्षा में उपलब्ध समय,
परिस्थिति, पूर्व ज्ञान, सहायक सामग्री, विधि एवं प्रविधि, कथन एवं प्रश्न आदि
में आवश्यकता पड़ने पर थोड़ा बहुत परिवर्तन किया जा सके।
6. अभिप्रेरणा का सिद्धान्त (Principle of Motivation) - जब तक अध्यापक शिक्षण
में विद्यार्थियों को अभिप्रेरणा पैदा नहीं करता है तब तक अधिगम प्रभावशाली
नहीं होता है। अत: अध्यापक को पाठ का विकास करते समय ही विद्यार्थियों के पूर्व
ज्ञान एवं नवीन ज्ञान के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने तथा सहायक सामग्री के उचित
प्रयोग, उपयुक्त वातावरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
7. जीवन से सम्बन्धित होने का सिद्धान्त (Principle of Linking with Life) -
अध्यापक को इकाई योजना में विद्यार्थियों के जीवन से सम्बन्धित उदाहरणों को
लेकर ही इकाई योजना का निर्माण करना चाहिए तभी बालक उसे सरलता से समझ सकते हैं।
8. निश्चितता का सिद्धान्त (Principle of Definitions) - अध्यापक को इकाई योजना
का निर्माण करने से पहले ही हर पक्ष व क्षेत्र में पूर्णत: उसकी योजना
निर्धारित कर लेनी चाहिए तथा उसे क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
9. मनोरंजन एवं रुचि का सिद्धान्त (Principle of Recreation and Interest).
इकाई योजना के निर्माण में अध्यापक को यह ध्यान रखना चाहिए कि कुछ प्रकरण ऐसे
होते हैं जो कि सैद्धान्तिक दृष्टिकोण रखते हैं तथा कठिन प्रतीत होते हैं। उन
नीरस प्रकरणों को उपयुक्त शिक्षण विधि, युक्ति तथा वास्तविक जीवन से सम्बन्धित
करके एवं आकर्षक उदाहरणों, उपयुक्त सहायक सामग्री के प्रयोग के द्वारा रुचिकर
एवं मनोरंजक बनाया जा सकता है।
इकाई योजना का महत्व
(Importance of Unit Plan)
इकाई योजना का महत्व अग्रवत प्रकार से होता है -
1. इकाई योजना के द्वारा ज्ञान को एक पूर्ण इकाई के रूप में स्वीकार किया जाता
है।
2. इकाई योजना में वातावरण को महत्व दिया जाता है। इस प्रकार पाठ योजना
विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत की जाती है कि बालकों को स्वयं का अनुभव
प्राप्त हो सके जिससे बालक वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं।
3. इकाई योजना में विद्यार्थियों की रुचि, योग्यता एवं आवश्यकता पर पूर्णरूपेण
ध्यान दिया जाता है।
4. इकाई योजना बालकों द्वारा किये गये अर्जित ज्ञान के मूल्यांकन के लिए एक
आधार प्रस्तुत करती है जिसके आधार पर पुनर्बलन प्रक्रिया भी स्वत: निर्धारित हो
जाती है।
5. इकाई योजना के द्वारा पाठ्यक्रम को समय पर पूरा कराया जा सकता है क्योंकि
इससे यह जानकारी हो जाती है कि पूरे पाठ को कितने कालांशों में पढ़ाना है।
6. इकाई योजना धन, शक्ति और समय की दृष्टि से कम खर्चीली होती है।
7. इकाई योजना के साथ बालक प्रत्यय पर स्वामित्व प्राप्त कर लेते हैं।
8. इकाई योजना के द्वारा अध्यापक को शिक्षण क्रियाओं में वांछित एवं उपयोगी
क्रियाओं की जानकारी भी हो जाती है।
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