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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 7. विज्ञान शिक्षक कम्प्यूटर का उपयोग प्रभावी शिक्षण में कैसे कर सकता है?

उत्तर - भौतिक विज्ञान में कम्प्यूटर का एक अतिविशिष्ट उपयोग उसके द्वारा विषय विशेष तथा प्रकरण विशेष के शिक्षण अधिगम हेतु उचित शिक्षण साधन तथा सामग्री उपलब्ध कराने को लेकर है। कम्प्यूटरों की मल्टीमीडिया सेवाएं अपने आप में स्वयं ही बहुमूल्य शिक्षण साधन हैं। इसके द्वारा हमें लिखित सामग्री के साथ-साथ चित्रात्मक सामग्री तथा अच्छी तरह समझने हेतु ध्वनि युक्त श्रवण सामग्री भी प्राप्त होती है। विभिन्न तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में जिस प्रकार की परिस्थितियाँ होती हैं, जिस प्रकार का प्रयोजन होता है तथा विद्यार्थी को जिस प्रकार के अनुदेशन की आवश्यकता होती है, उन सभी बातों को देखते हुए हमें कम्प्यूटर सह अनुदेशन के विविध रूप देखने को मिलते हैं।

आज प्रभावी शिक्षण हेतु कम्प्यूटर का प्रयोग करने के कुछ प्रयास निम्नवत हैं -

(1) एक समय में अनेक विद्यार्थियों को अनुदेशन देने में प्रभावी - शिक्षण में कम्प्यूटर का प्रयोग एक ही समय में हजारों तथा लाखों विद्यार्थियों को कम्प्यूटर सह अनुदेशन तथा वैयक्तिक स्व-अनुदेशन प्रदान करने का सामर्थ्य रखता है। कम्प्यूटर द्वारा अनुदेशन में किसी विद्यार्थी को अपनी रुचि क्षेत्र या विषय विशेष के प्रकरण की जानकारी प्राप्त हो सकती है। अधिगमकर्ता को जो अभिक्रमित अधिगम सामग्री व्यक्तिगत रूप से कम्प्यूटर की सहायता से प्राप्त होती है वह सर्वोत्तम स्तर की होती है।

(2) स्व-अनुदेशन एवं प्रतिपुष्टि में प्रभावी - एक विद्यार्थी को अनुदेशात्मक सामग्री को प्रस्तुत किए जाने पर वह किस प्रकार की अनुक्रियाएं व्यक्त करता है? विद्यार्थी विशेष का अधिगम परिणामों की दृष्टि से निष्पत्ति स्तर कैसा है? एक शिक्षक द्वारा अधिगम व्यवहारों इत्यादि की रिकार्डिंग कम्प्यूटर सह अनुदेशन के अन्तर्गत स्वयं होती रहती है। इस प्रकार की रिकार्डिंग के द्वारा विद्यार्थी को आवश्यक प्रतिपुष्टि मिलती रहती है इससे छात्रों को अधिगम के रास्ते में आगे बढ़ने के लिए कम्प्यूटर सह अनुदेशन से लगातार मिलती रहती है।

(3) विधियों एवं तकनीकों के प्रयोग में प्रभावी - सभी छात्र एक जैसी विधि या तकनीकी के माध्यम से शिक्षा ग्रहण नहीं करते और सभी विषय तथा प्रकरणों के अनुदेशन हेतु एक जैसी विधि या तकनीक नहीं प्रयोग की जा सकती। यह मूल धारणा कम्प्यूटर सह अनुदेशन के अन्तर्गत कार्य करती है। किसी विषय या प्रकरण के अनुदेशन हेतु विभिन्न प्रकार की तकनीक या विधियाँ अपनायी जानी चाहिए, जिससे विद्यार्थी अपने वैयक्तिकता तथा अनुदेशन सामग्री के अनुसार अपने-अपने हिसाब से किसी एक विधि या तकनीक का चयन करके अधिगम के रास्ते पर उचित रूप से आगे बढ़ते रहें।

(4) समस्या समाधान में प्रभावी - कम्प्यूटर सह अनुदेशन में कम्प्यूटर स्वयं किसी समस्या का समाधान नहीं बताते बल्कि छात्र समस्या समाधान प्रयत्नों में संलग्न रहने के अवसर प्रदान करके उन्हीं से प्रस्तुत समस्याओं के समाधान चाहते हैं। समस्या समाधान कार्य के लिए ऐसे साफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है जिससे छात्रों को समस्या समाधान हेतु आवश्यक चरणों का व्यवस्थित रूप से अनुसरण करते हुए समस्याओं से निपटने के लिए आवश्यक चिन्तन-मनन, विश्लेषण-संश्लेषण, व्यवस्थापन-सामान्यीकरण
आदि प्रक्रियाओं से गुजरना पड़े। साफ्टवेयर समस्या समाधान प्रक्रिया के उचित अनुदेशन हेतु अच्छी प्रकार काम में लाया जा सकता है।

(5) सूचनाएं प्रदान करने में प्रभावी - छात्रों को सूचनाएं प्रदान करने में कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। कम्प्यूटर एक अच्छे प्रश्नकर्ता, परीक्षक या पूछताछ अधिकारी की भूमिका बड़े ही प्रभावशाली ढंग से निभाता है। छात्र द्वारा जो कुछ भी जानकारी कम्प्यूटर से चाही जाती है कम्प्यूटर अपनी संग्रहीत सूचना सामग्री की मदद से पूछने वाले को शीघ्र ही प्रदान करने की कोशिश करता है। पूछताछ प्रक्रिया और खोजपूर्ण दृष्टिकोण का अनुसरण होने के कारण यह विद्यार्थी को ज्ञानार्जन में पर्याप्त आत्मनिर्भर बनाकर एवं अधिगम के नए-नए नवीन रास्ते खोजने में सहायता करता है।

(6) अभ्यास कार्य में प्रभावी - कम्प्यूटर का शिक्षण अधिगम में प्रयोग छात्रों को पहले से अर्जित अधिगम अनुभवों को स्थायी एवं व्यवहार में लाने योग्य बनाने हेतु आवश्यक ड्रिल तथा अभ्यास करने सम्बन्धी अवसर प्रदान किए जाते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों का विविध प्रकार के कौशलों के समुचित या पूर्ण रूप ज्ञानार्जन में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इसके अन्तर्गत कम्प्यूटर द्वारा समस्यात्मक प्रश्न दिया जाता है जिसका विद्यार्थी की-बोर्ड में की दबाकर उत्तर देता है। उत्तर सही या गलत होने पर कम्प्यूटर स्क्रीन पर तत्काल सही या गलत लिखकर आता है। इससे छात्र को अभ्यास करने एवं तत्काल प्रतिपुष्टि पाने का अवसर मिलता है।

(7) ट्यूटोरियल शिक्षण में प्रभावी - प्रभावी शिक्षण हेतु ट्यूटरों की भूमिका निभाते हुए वास्तविक शिक्षण कार्य कम्प्यूटर सह अनुदेशन में कम्प्यूटर द्वारा किया जाता है। कम्प्यूटरों की तरह छात्रों से , व्यक्तिगत रूप से संवाद तथा अंत:क्रिया स्थापित करते हुए शिक्षण-अधिगम उद्देश्यों की पूर्ति में पूर्ण रूप से योगदान देते हैं।

(8) क्रियात्मक शिक्षण में प्रभावी- शिक्षा एवं शिक्षण के क्षेत्र में कम्प्यूटर द्वारा ऐसे साफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है कि जिनके द्वारा छात्रों को विविध प्रकार के कार्यशाला एवं प्रयोगशाला सम्बन्धी परीक्षणों, प्रयोगों एवं क्रियात्मक कार्यों के सम्पादन से जुड़े समस्त जीवन अनुभव कम्प्यूटर स्क्रीन पर देखने अथवा करने को मिल जाये। इस तरह छात्रों को उनकी विधिवत पूर्व जानकारी इस प्रकार से अनुदेशन से प्राप्त हो जाती है और फिर उसे इस प्रकार के अधिगम अनुभवों के अर्जन में विद्यालय में कोई विशेष परेशानी नहीं आती है।

शिक्षक द्वारा शिक्षण में कम्प्यूटर का प्रयोग करने से शिक्षक के नियन्त्रण के क्षेत्र को बढ़ाया जा सकता है और अधिक सूचनाप्रद बनाया जा सकता है। इसके द्वारा शिक्षक की व्यवस्था के अनुसार छात्रों के बीच सीधा सम्पर्क बनाया जा सकता है। कम्प्यूटर के प्रयोग से छात्रों को उनके द्वारा किए गए प्रयासों के लिए अच्छे स्तर की प्रतिपुष्टि प्रदान की जा सकती है जिससे छात्रों को प्रेरित किए जाने में सफलता प्राप्त होती है।

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