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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 1. अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ बताइए तथा इसे परिभाषित कीजिए।

उत्तर-अभिक्रमित अधिगम या अनुदेशन
(Programmed Learning)

अभिक्रमित अधिगम अथवा अभिक्रमित अनुदेशन शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के क्षेत्र में एक प्रभावशाली नवाचार और प्रयोग का प्रतिनिधित्व करता है। एक पूर्ण रूप से सुव्यवस्थित और वैयक्तिक अनुदेशनात्मक प्रविधि के रूप में यह न केवल प्रभावपूर्ण कक्षा शिक्षण के लिए काफी लोकप्रिय सिद्ध हुआ है बल्कि इससे स्वाध्याय, स्व-शिक्षण और पत्राचार पद्धति से भली-भाँति पढ़ना और पढ़ाना भी बहुत सहज और सरल हो गया है। शिक्षण मशीन और कम्प्यूटरों के प्रयोग को भी इसी नवाचार से बल मिला है। अनुदेशन और शिक्षण के क्षेत्रों में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रतिपुष्टि की अपनी मनोवैज्ञानिक तकनीक के माध्यम से यह शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रमों द्वारा शिक्षक व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाकर उनकी शिक्षण कुशलता में पर्याप्त वृद्धि कर सकता है। अपने इन बहु-आयामी उपयोगों के कारण आज इसे किसी भी शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम का महत्त्वपूर्ण अंग माना जाने लगा है।

अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ
(Meaning of Programmed Learning)

सामान्य रूप से अभिक्रमित अधिगम या अनुदेशन से तात्पर्य ऐसे अधिगम या अनुदेशन से होता है जिसे किसी भली-भाँति अभिक्रमित पाठ्य-पुस्तक या शिक्षण मशीन एवं कम्प्यूटर के माध्यम से दिए जा रहे वैयक्तिक शिक्षण कार्यक्रमों के द्वारा प्रदान किया जाता है।

स्मिथ एवं मूरे (Smith and Moore) के अनुसार—“अभिक्रमित अनुदेशन किसी अधिगम सामग्री को क्रमिक पदों की श्रृंखला में व्यवस्थित करने वाली एक प्रक्रिया है और प्रायः इसके द्वारा किसी विद्यार्थी को उसकी परिचित पृष्ठभूमि से संप्रत्ययों, प्रनियमों और बोध के एक जटिल एवं नवीन स्तर पर लाया जाता है।"

एस्पिच एवं विलियम्स (Espich and Williams) के अनुसार-"अभिक्रमित अनुदेशन से अभिप्राय अनुभवों की उस नियोजित श्रृंखला से है जो उद्दीपन-अनुक्रिया सम्बन्ध में संदर्भ में प्रभावशील माने जाने वाली दक्षता की ओर अग्रसर करती है।"

लीथ (Leith) के अनुसार—"अनुदेशन सामग्री के छोटे-छोटे पदों अथवा फ्रेमों की एक श्रृंखला है। इन पदों में से अधिकांश से अनुक्रिया के लिए किसी वाक्य में निहित खाली स्थान को भरना होता है। अपेक्षित अनुक्रियाएँ ही की गई हैं, यह विश्वास दिलाने के लिए किसी संकेत प्रणाली का प्रयोग किया जाता है और प्रत्येक अनुक्रिया की पुष्टि परिणामों के तत्काल ज्ञान के आधार पर भी की जाती है। इस प्रकार श्रृंखला वैयक्तिक स्व-अनुदेशन के रूप में स्वयं अपनी गति से आगे बढ़ने का अवसर भी देती है।"

सूसन मार्कले (Susan Markle) के अनुसार-"अभिक्रमित अनुदेशन पुनः प्रस्तुत की जा सकने वाली क्रियाओं की श्रृंखला को संचारित करने की वह विधि है जिसकी सहायता से व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक विद्यार्थी के व्यवहार में मापनीय और विश्वसनीय परिवर्तन लाया जा सके।"

एन. एस. मावी (N. S. Mavi) के अनुसार-"अभिक्रमित अनुदेशन प्राणवान अनुदेशनात्मक प्रक्रिया को स्व-अधिगम अथवा स्व-अनुदेशन में परिवर्तित करने की वह तकनीक है जिसमें विषय-वस्तु को छोटी-छोटी श्रृंखलाओं में विभाजित किया जाता है, अधिगमकर्ता को इन्हें पढ़कर सही अथवा गलत कैसी भी अनुक्रिया करनी होती है, अपनी गलत अनुक्रियाओं को उसे ठीक करना होता है अथवा सही अनुक्रियाओं को प्रतिपुष्टि देनी होती है और इस तरह किसी सूक्ष्म श्रृंखला से सम्बन्धित संप्रत्यय में पारंगत होने का प्रयास करना पड़ता है।"

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